बहुत सारे लोग डेली आटा खरीद कर घर चलाते हैं।
बहुत सारे लोग डेली दोस्तों के हाटस्पाट से अपने
मोबाइल का डाटा कनेक्ट कर के अपना काम चलाते हैं।
ये दोनों तो अब लगभग समाप्ती के कगार पर होंगे।
बहुत सारे लोग एक महीने का राशन घर में रखते हैं।
और इससे ज्यादा लोग 28 दिन का डाटा मोबाइल में
रखते हैं।
ये लोग भी अब अपने आटा और डाटा के समाप्ति के
के कगार पर हैं काफी लोगों के आटा और डाटा समाप्त
भी हो चुके होंगे ।
कम से कम आधी आबादी का न्यूनतम खर्च दो सौ से
पांच सौ तक की डेली है जिन्हें ये फार्मूला ज़िंदा रखता है ।
डेली काम डेली पैसा।
काम बन्द पैसा बन्द ।
ये लोग किस मुकाम पर पहुंच गये होंगे ?
सुना है लोग कहते हैं कि भारत में जन्म लेने वाला बच्चा
भी कर्जदार होता है।
अब ये बात समझ में नहीं आती की भारत बिदेश से कर्जा ले और कर्जदार देश का एक एक बच्चा होता है तो यहां
हिन्दू मुस्लिम तो रहे नहीं
अमीर गरीब तो रहे नहीं
ए पी एल, बी पी एल तो रहे नहीं
सबका हिसाब बराबर है न
कर्जा तो हर बच्चे पर है न
तो फिर कैटेग्रियां क्यों ?
खैर कोई बात नहीं करे कोई और , भरे कोई और।
जिनके पास है वो आपातकालीन स्थिति में देश की
सेवा करें जिनके पास नहीं है देश उनके एक एक बच्चे
की सेवा करे चाहे वो किसी भी क्लास का हो
कैटेग्री सिस्टम को हटाया जाए , जब लोग बचेंगे तो
उन्हें जैसे चाहना बांट देना। अभी वे सभी लोग जो
संपन्न हैं चुनाव प्रचार की तरह खुद और अपने आदमियों द्वारा हर एक घर तक आटा डाटा के साथ हर एक आवश्यक चीजों के साथ पहुंचे इसी की जरूरत है और
इसी में भलाई है , यही मानव सेवा है, यही देश भक्ति है।
आप लोग खुद विचरक हैं मुनि भी हैं जो मुझसे छूट गया उस पर विचार करें और मनन भी करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें