दुनिया ये समझती है कि आराम बहुत है ।
हर शख्स कि आंखों में कोहराम बहुत है ।।
पढ लिख कर करोड़ों यहाँ बेकार पड़े हैं ।
सरकार ये कहती है है यहाँ काम बहुत है ।।
वादों के सहारे यहाँ जीते हैं सभी लोग ।
जीने के लिए लालच भरा पैगाम बहुत है ।।
हर आदमी कहता है खुलेआम यहाँ पर ।
सरकार मेरे देश कि नाकाम बहुत है ।।
मजलूम को इन्साफ मिलता नहीं जावेद ।
कानून मेरे देश का बदनाम बहुत है ।।