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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

बहुत है

दुनिया ये समझती है कि आराम बहुत है ।
हर शख्स कि आंखों में कोहराम बहुत है ।।

पढ लिख कर करोड़ों यहाँ बेकार पड़े हैं ।
सरकार ये कहती है है यहाँ काम बहुत है ।।

वादों के सहारे यहाँ जीते हैं सभी लोग  ।
जीने के लिए लालच भरा पैगाम बहुत है ।।

हर आदमी कहता है खुलेआम यहाँ पर ।
सरकार मेरे देश कि नाकाम बहुत है ।।

मजलूम को इन्साफ मिलता नहीं जावेद ।
कानून मेरे देश का बदनाम बहुत है  ।।

की तरह

कुछ लोग भी होते हैं चट्टान की तरह ।
सिर पे सवार रहते हैं शैतान की तरह ।।

आते हैं अपने साथ में लेकर तबाहियां ।
सैलाब कि तरह कभी तूफान की तरह ।।

ऐसे ही लोग जिंदगी को बर्बाद कर गये ।
दिल में जिसे बसाया था जान की तरह ।।

पहले तो जिस्म बिकते थे बाजार में मगर ।
बिकने लगा है प्यार भी सामान की तरह ।।

जावेद जरा अपने देश का दस्तूर तो देखो ।
मिलता है अपना हक भी यहाँ दान की तरह ।।

क्या हुआ

क्या हुआ क्यों उडा हुआ चेहरे का रंग है ।
न दिल्लगी, न आरजू, न कोई उमंग है   ।।

छाई हुई है हर तरफ खामोशी, उदासी ।
जैसे कोई गरीब अपनी गरीबी से तंग है ।।

भगदड मचि हुई है जिधर देखिये उधर ।
इन्सान का इन्सान से रोटी की जंग है ।।

हँसते हो देख कर क्यों अपनों कि बेबसी
दिल है तुम्हारे सीने में या कोई संग है  ।।

हक उसका उसको दीजिए जैसे भी हो सके ।
लाचार कोई आदमी है या कोई अपंग है ।।

जो भी गया जावेद आया न फिर कभी ।
अल्लाह जाने कब्र में ये कैसी सुरंग है ।।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

देखो

खुद अपने आप में प्यासा है समुन्दर देखो ।
वक्त की बात है ऐ दोस्त मुकद्दर देखो      ।।

सिर झुकाता है कोई फूल चढाता है कोई ।
देवता बन गया है राह का पत्थर देखो    ।।

मौत से मैं हि बचाकर के जिसे लाया था ।
उसी के हाथ में है मेरे लिए खंजर देखो  ।।

कौन पाता है उसे जिसकी लगी है बाजी ।
कौन है शहर में किस्मत का सिकन्दर देखो ।

जिनके खुशियों के लिए खुद को मिटाया जावेद ।
आज छुपते है वो परदे के अंदर देखो ।।

कुछ निशानी

किसी कि दि हुई कुछ निशानी       ।
किसी कि मुहब्बत भरी मेहरबानी ।।

महकती मेरी रात भी खुशबुओं से ।
मुकद्दर में होती अगर रात रानी    ।।

मेरे देस्तों वक्त आया है  ऐसा    ।
हो गया आज दूध से मंहगा पानी ।।

बदल जाएगा सारा मंजर यहाँ का ।
हकीकत कि है एक नई ये कहानी ।।

गुजरेगी क्या उस वक्त दिल पे जावेद ।
करेगा कोई जब गलत बज्जबानी    ।।


बुधवार, 17 अप्रैल 2019

भाग्य

भाग्य के अनुसार कर्म की रेखाएं बन्ति और बिगड़ती है । जब कि ऐसा नहीं है । हकीकत यह है कि भाग्य के अनुसार कर्म की रेखाएं संसार में जन्म लेने से पहले ही बन जाती है । इन्सान वही कर्म करता है जो उसके भाग्य में लिखा है इसके सिवा वह कुछ नहीं कर सकता है ।

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

सोच

तुम जो सोचते हो वो में नहीं सोचता और
मैं जो सोचता हूं वो तुम नहीं सोचते  ।

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

आत्मबल

जहर कि दो  चार बूँद जिन्दगी को मौत के घाट उतार देती है और तुम्हारी पांच किलो कि खोपड़ी काम नहीं करती ।

रविवार, 2 दिसंबर 2018

जलाया है मैने

बुझे हुए चिरागों को भी जलाया है मैने ।
कौन अपना कौन पराया आजमाया है मैने ।।

मक्कारों की दुनियां मिटाकर रहुंगा ।
आज दिल से कसम ये खाया है मैने ।।

उन्हें भी बताओ जो करते हैं झूठे वादे ।
उनके सात पुस्तों की हकीकत को पाया है मैने ।।

भटकता रहा दर बदर एक सदी से ।
मुकम्मल जहां अब बनाया है मैने ।।

मुझे अब किसी का कोई डर नहीं है ।
उसे दिल में जबसे बसाया है मैने    ।।

जावेद को अब कभी मत सताना ।
यही बस बताने बुलाया है मैने     ।।

अंदर से वो कांप रहा था

अंदर से वो कांप रहा था ।
राम नाम को जाप रहा था ।।
पड जाए ना गांड पे डंडा ।
हालत ऐसी भांप रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था

बहरुपियों का दादा था ।
सौ परसेंट नखादा था ।।
चिकनी बातों में उल्झा कर ।
रस्ता अपना नाप रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था

समाज को उसने मारा लात ।
रिश्तों में करता था घात ।।
मित्र का मतलब वो क्या जाने ।
कुत्तों जैसे हांफ रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था

जिसमें थी सारी मक्कारी ।
उसी से करता था वो यारी ।।
रुप बदलना बात बदलना ।
इसमें सबसे टाप रहा था ।।
अंदर से वो कांप रहा था
                       
                   जावेद गोरखपुरी
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