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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

बहुत है

दुनिया ये समझती है कि आराम बहुत है ।
हर शख्स कि आंखों में कोहराम बहुत है ।।

पढ लिख कर करोड़ों यहाँ बेकार पड़े हैं ।
सरकार ये कहती है है यहाँ काम बहुत है ।।

वादों के सहारे यहाँ जीते हैं सभी लोग  ।
जीने के लिए लालच भरा पैगाम बहुत है ।।

हर आदमी कहता है खुलेआम यहाँ पर ।
सरकार मेरे देश कि नाकाम बहुत है ।।

मजलूम को इन्साफ मिलता नहीं जावेद ।
कानून मेरे देश का बदनाम बहुत है  ।।

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