प्राकृतिक महामारी पर किसी का कोई वश नहीं।
ये पांच रूप में बनाए गये हैं जैसे -
1- आग
2- पानी
3- हवा
4- भूकंप
5-बिमारी
लेकिन हमारे देश में एक और महामारी है जिसे
धर्मवाद/जातिवाद के नाम से जाना जाता है।
इस महामारी को लोगों ने खुद अपने स्वार्थ के तहत
फैलाया है और ये एक दिन या एक साल में नहीं फैला
इसे पूरे भारत को जकड़ने में काफी समय लगा है और
इसे फैलाने के लिए तमाम गैंग रजिस्टर्ड हैं जैसे -
1- बहुजन समाज पार्टी
2- समाजवादी पार्टी
3-अंबेडकर समाज पार्टी
4- अकाली दल तथा अन्य
लगभग हर प्रांत में आप को दल या पार्टी मिल ही जायेगी जो एकता और भाईचारे की बात न कर के जात
पात के भेद भाव की बातें होती हैं जिसमें लोगों के सोचों
को लोगों से अलग किया जाता है।
जिसका नतीजा भयावह रूप लेता गया।
जिसमें मंदिर , मस्जिद, फिर हिन्दू मुस्लिम फिर लिंचिंग
फिर आगजनी , तोड़फोड़ आदी इत्यादि।
इन तमाम दंगों में भी लाकडाऊन किया जा सकता था।
अगर लाकडाऊन किया जाता तो कई लाख लोग आज
भिखारी की जिंदगी जीने को मजबूर न हुये होते।
कर्फ्यू उस वक़्त भी लगे लेकिन एकतरफा आताताई और फोर्स अपने काम को अंजाम देती रही न जाने कितने लोग गोलियों से भून दिये गये।
उफ जुर्म और मनमानी की इन्तेहा।
क्या मानव के मस्तिष्क पटल से कभी मिट पाएगा ?
लोगों का मानना है की श्राप अब इस कलयुग में नहीं
लगता लेकिन ऐसा नहीं है आज तुरन्त नहीं लगता मगर
लगता है।
जैसे हम आसमान में फ्रिक्वेंसी छोड़ते हैं तो उसे रेडियो,
टेलिविज़न, मोबाईल कैच कर के चलता है उसी तरह
जब मानव के दिल से वेदना निकलती है तो वो भी आसमान में नेटवर्क के फ्रिक्वेंसी की तरह सेफ हो जाती है जिसे दो चीजें रीड़ करती हैं
1- ईश्वर, अल्लाह
2- प्रकृति
नवम्बर एक प्रोसीड करता है नम्बर दो को
जैसा आदेश प्राप्त होता है वैसी आपदा, महामारी
सृष्टि में प्रकृति द्वारा फैल जाती है।
इस लिए किसी भी इंसान के दिल को दुखी न करें
भाईचारा कायम करें किसी के बहकावे में न आएं।
आज जो महामारी आई है उस से बचें और ईश्वर, अल्लाह, गाड, जिस भी रुप में जैसे भी आप मानते हैं उसी तरह मानते हुए प्रार्थना, प्रेयर और इबादत अपने अपने घरों में करें।