Translate

मंगलवार, 31 मार्च 2020

बादशाहियत

जिन्हों ने अल्लाह को राजी करने के लिए 
अपने बादशाहियत की गद्दी छोड़ दी। 
आज उन्हीं के कदमों में दुनियां झुकी है। 
उन्हें पता था कि दुनियां एक दिन फना
होने वाली है तो चन्द दिनों की हुकूमत का क्या 
उन्हें दुनियां के ताजो तख्त की न लालच थी और 
न परवाह उन्हें सिर्फ दीन की चाहत और लालच थी 
ताकी मरने के बाद भी अमर हो सकें। 
मगर आज लोगों को दुनियां और दुनियां के ऐशो इसरत
की चहत है चाहे जितने भी अपराध, पाप और अन्याय
क्यों न हो जाएं  ।

गुरु

हमारा देश अध्यात्म गुरू रहा है और रहेगा भी। 
इसमें हिन्दू  , मुस्लिम , सिख, ईसाई, जैन, पारसी
इत्यादि सभी वर्गो से सन्त महात्मा हुए हैं। 
आज भी हैं और आगे भी होते रहेंगे। 
आज हम पुर्वजों की प्रथा छोड़ कर ज्यादा तर 
वैग्यानिक विधियों पर आधारित होते जा रहे हैं। 
हमें अपनी सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा को
कभी नहीं छोड़ना चाहिए। 
इसमें लींन रहते हुए वैग्यानिक आविश्कारों का भी 
उपयोग करें। 
पहले जब कोई सुविधा नहीं थी तब भी महामारियां 
आती थी और ऐसी विकराल रुप में कि गांव का गांव
खाली हो जाता था। उस वक़्त लोग हैजा ताऊन से 
लेकर ओबा माई तक को तंत्र मंत्र कुछ टोटके और 
दुवा ताबीज से छुटकारा दिलाते थे। 
बचपन में सुने हुए ये वाक्य -
जा तुहके ओबा माई ले जाएं। 
ओबा के मुंहे में चल जइते त संतोष मिल जात। 
बहुत ही बैकवर्ड गांवों में आज भी ऐसे वाक्य सुनने को 
मिल ही जाते हैं। 
अन्त में मैं सभी धर्मों के गुरूओं संतों महात्माओं ओझा
सोखा से यही कहूंगा कि अपने अपने ग्यान और रिति 
रिवाज के मुताबिक इस महामारी रूपी ओबा माई को 
मानकर भगाने की कोशिश करें ।

सोमवार, 30 मार्च 2020

यूजर

 जन्म लेने से लेकर मरने तक सभी लोग उपभोक्ता हैं। 
पहले गवर्नमेन्ट की व्यवस्थाओं के। 
दूसरे बिजनेस मैन के। 
उसके बाद सामाजिक, धार्मिक तथा अन्य के। 
बिजनेस में आज सबसे बड़ा नेटवर्क मोबाइल सिम
और उसके रिचार्ज का है। 
मैं समझता हूँ कि आज भारत में 95% लोग इसके युजर हैं जिस भी नियम को बनाया गया लोगों को भले ही दुखी होना पड़ा मगर कबूल किया चाहे कर्ज ले कर ही रिचार्ज कराना पड़े लोग कराते हैं। 
अब चाहे लोगों के मजबूरियों का फायदा लिया जा रहा हो या कंपनियों की मजबूरी हो लेकिन जिसके जितने यूजर बन चुके हैं वो अब खतम नहीं होंगे। 
आज जो महामारी हमारे देश में आई है ये बहुत ही 
भयावह है ऐसे में घर से निकलना बहुत बड़े खतरे को
मोल लेने के बराबर होगा और ये खतरा लेकर भी क्या 
करेंगे जब हर तरफ हर चीज़ की दुकानें बन्द हैं ।
ऐसी परिस्थिति में मैं यही कहुंगा कि जितनी भी रिचार्ज
कंपनियां हैं वे अपने यूजरों को एक महीने की आउटगोइंग इनकमिंग और डाटा सहानुभूति में दें ताकी जो लोग जहाँ भी फंसे हैं वे अपनों के साथ ही साथ सरकारी एवं गैर सरकारी सहायता केन्द्रों से जुड़ सकें ।
यह सहयोग इस दुख की घड़ी में जनता के लिए बहुत ही
लाभकारी सिद्ध होगा। जो हमेशा याद रहेगा। 

रविवार, 29 मार्च 2020

महामारी

आज इस महामारी में जहां बार बार लोगों से 
अपने अपने घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है 
पुलिसकर्मी हिदायतों के बाद पीट कर भी समझा 
रहे हैं ऐसे में अगर कोई जिम्मेदार व्यक्ति घर से बहार 
निकलता है तो बात समझ में आती है कि कोई खास 
जरूरत होगी मगर वे लोग क्या ढूँढ रहे हैं जिनके उपर
कोई जिम्मेदारी ही नहीं है ।

शनिवार, 28 मार्च 2020

रुक जाओ

जो जहां है वहीं रुक जाए मगर कैसे  ?
न रहने को घर, न खाने को रोटी। 
उन वीरों को सत सत नमन की जो पांच सौ
से एक हजार कि,मी, पैदल चलने का जजबा
ही नहीं बल्कि चल रहे हैं। 
जिसमें बिमार भी हैं, नन्हें बच्चे भी हैं सब भूखे
प्यासे हैं भले मर जायें मगर अपनी मंजिल को तैं 
जरूर करेंगे। 
घर पर भी तो मरना ही है महामारी से न सही 
भूख से तो मरेंगे  , संतुस्टी सिर्फ इस बात की है 
कि अपने घर में अपने लोगों के बीच मरने की इच्छा 
है । कोरोना से भी बड़ी महामारी तो ऐसे लोगों की है 
जिनके पास कुछ भी नहीं है। स्पष्ट खुल कर सामने आना शुरू हो चुका है। 
बेहतर तो ये था कि इन सभी लोगों को कोरोना पलायन
कैम्प में ठहराया जाए और सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जब हालात सुधरें तब लोगों को उनके घर पहुंचवाया जाय वरना लाकडाऊन के बावजूद इस 
महामारी को रोक पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा जिसका परिणाम देश की आधी 
आबादी समाप्त हो सकती है। 
वैसे भी देश की एक चौथाई हिस्सा भूख से समाप्त होना तै है। रोज कमाने खाने वालों के उपर तो दोहरी महामारी आ पड़ी है। 
1- कोरोना वायरस 
2- रोटी की चिंता 
     बच्चों के पेट भरने के लिए इन्हें रोटी के आगे 
    कोरोना से कोई डर नहीं। 
    ईश्वर / अल्लाह सबका भला करे। 
    सभी बन्दों को हर रोग और दुख से बचाये। 

गुरुवार, 26 मार्च 2020

लाकडाऊन

प्राकृतिक महामारी पर किसी का कोई वश नहीं। 
ये पांच रूप में बनाए गये हैं जैसे -
1- आग
2- पानी
3- हवा
4- भूकंप 
5-बिमारी
लेकिन हमारे देश में एक और महामारी है जिसे 
धर्मवाद/जातिवाद के नाम से जाना जाता है। 
इस महामारी को लोगों ने खुद अपने स्वार्थ के तहत 
फैलाया है और ये एक दिन या एक साल में नहीं फैला
इसे पूरे भारत को जकड़ने में काफी समय लगा है और 
इसे फैलाने के लिए तमाम गैंग रजिस्टर्ड हैं जैसे -
1- बहुजन समाज पार्टी 
2- समाजवादी पार्टी 
3-अंबेडकर समाज पार्टी 
4- अकाली दल तथा अन्य 
    लगभग हर प्रांत में आप को दल या पार्टी मिल ही जायेगी जो एकता और भाईचारे की बात न कर के जात
पात के भेद भाव की बातें होती हैं जिसमें लोगों के सोचों
को लोगों से अलग किया जाता है। 
जिसका नतीजा भयावह रूप लेता गया। 
जिसमें मंदिर  , मस्जिद, फिर हिन्दू मुस्लिम फिर लिंचिंग
फिर आगजनी  , तोड़फोड़ आदी इत्यादि। 
इन तमाम दंगों में भी लाकडाऊन किया जा सकता था। 
अगर लाकडाऊन किया जाता तो कई लाख लोग आज
भिखारी की जिंदगी जीने को मजबूर न हुये होते। 
कर्फ्यू उस वक़्त भी लगे लेकिन एकतरफा आताताई और फोर्स अपने काम को अंजाम देती रही न जाने कितने लोग गोलियों से भून दिये गये। 
उफ जुर्म और मनमानी की इन्तेहा। 
क्या मानव के मस्तिष्क पटल से कभी मिट पाएगा  ?
लोगों का मानना है की श्राप अब इस कलयुग में नहीं 
लगता लेकिन ऐसा नहीं है आज तुरन्त नहीं लगता मगर
लगता है। 
जैसे हम आसमान में फ्रिक्वेंसी छोड़ते हैं तो उसे रेडियो, 
टेलिविज़न, मोबाईल कैच कर के चलता है उसी तरह 
जब मानव के दिल से वेदना निकलती है तो वो भी आसमान में नेटवर्क के फ्रिक्वेंसी की तरह सेफ हो जाती है जिसे दो चीजें रीड़ करती हैं 
1- ईश्वर, अल्लाह 
2- प्रकृति 
    नवम्बर एक प्रोसीड करता है नम्बर दो को
  जैसा आदेश प्राप्त होता है वैसी आपदा, महामारी 
  सृष्टि में प्रकृति द्वारा फैल जाती है। 
 इस लिए किसी भी इंसान के दिल को दुखी न करें 
भाईचारा कायम करें किसी के बहकावे में न आएं। 
आज जो महामारी आई है उस से बचें और ईश्वर, अल्लाह, गाड, जिस भी रुप में जैसे भी आप मानते हैं उसी तरह मानते हुए प्रार्थना, प्रेयर और इबादत अपने अपने घरों में करें। 

मंगलवार, 24 मार्च 2020

कोरोना वायरस

नोज पैड, मास्क, आज लगाना आवश्यक है। 
जब कि मैने टीवी समाचरों और लोगों को आते
जाते लोगों में देख रहा हूँ कि ज्यादा तर लोग नोज 
पैड/मास्क को मूह पर तो लगाए हैं मगर नाक को 
नहीं बन्द कर रहे हैं शायद उन्हें लगाने का सिस्टम 
न पता हो या फिर अपनी जि़दगी और कोरोना वायरस 
के प्रति सिरियस न होकर शौक या फैशन में लगा रहे हैं। 
पांच से छव फिट की दूरी से बात करने का मतलब स्पसट है कि वैक्टीरिया  ( किटाड़ू  ) आप के मुंह में नहीं बल्कि सांसों के जरिए अटैक ज्यादा होता है। 
कृपया नोज पैड / मास्क लगाएं तो मुँह के साथ नाक को भी जरूर ढंक कर रक्खें ।
2- हाथ में भी गलब्ज का इस्तेमाल करें। 
3- किसी के मोबाईल, ईयर फोन, रूमाल आदी का प्रयोग भूल कर भी न करें। 
4- न तो अपने किसी सामान को किसी को छूने दें और 
    न तो किसी के सामान को छूने की कोशिश करें। 
5- रुपये या सिक्के को छूने के बाद किसी को भी न छुवें। पूरा कपड़ा चेन्ज करें हाथ को अच्छी तरह से धोयें 
    फिर नहाएं उसके बाद घर के लोगों के संपर्क में आएं।
6- हाथ मुंह ढंक कर एटीएम रूम में अकेले जाएं। 
7- हाथ मुंह की सेफ्टी के साथ अगर रैन कोट भी पहने 
     तो ज्यादा लाभ होगा क्यों कि बिना रेनकोट के बाहर 
    निकलने पर घर लोटते ही अपने कपड़े को भी तुरन्त 
    धोयें बिना धोवे न कहीं टांगें और न इधर उधर रक्खें ।