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शुक्रवार, 30 जून 2023

बाहर कहीं कुछ भी नहीं है जो कुछ भी है वह सब तुम दोनों के अंदर ही है ।

पुरुषों को कभी ये उम्मीद नहीं रहती कि कोई महिला उसकी सुन्दरता की तारीफ करे ।
लेकिन हर महिला को ये उम्मीद करती है कि हर पुरुष उसके सुन्दरता की तारीफ करे ।
पुरुष के बिना महिला की जिंदगी कोई जिंदगी नहीं है फिर भी हर महिला के दिमाग में यह ग़लत फहमी कूट - कूट कर भरी हुई है कि उनके बिना पुरुष जी ही नहीं सकता , इन्हें यह भी लगता है कि हर पुरुष सिर्फ महिलाओं के अंग का प्यासा है ।
अगर वास्तव में महिला चरित्रवान है तो उसे पुरुष के अहमियत का एहसास होगा ।
अगर चरित्रवान नहीं है तो एहसास का कोई मतलब नहीं , फिर भी उसके जीवन में पुरुष ही होता है चाहे तुम हो या कोई और हो ।
कभी कभी तो दोनों होते हैं घर में तुम और बाहर में वो । अब तुम्हीं बताओ कि अंगों का भूखा प्यासा सबसे ज्यादा कौन है महिला या पुरुष ?
किसी के उपर आरोप लगाना आवश्यक नहीं है बल्कि एहसास का होना आवश्यक है ।
अच्छे और साकारात्मक विचार का होना आवश्यक है । गंभीरता का होना आवश्यक है ।
दोनों एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण हैं परन्तु महत्वपूर्णता का सार समझ में आना आना आवश्यक है । 
संबंध मनमाने ढंग से बना लेना न तो कोई मतलब है और न तो हत्वपुर्ण यह तो अन्याय और पाप का रास्ता है जो कभी पीछा नहीं छोडता है ।
संबंध जो सामाजिक ढंग से सबकी सहमति से जोड़ा गया है यह महत्वपूर्ण है फिर आपस में ब्लेम और कमेंट कैसा अपने जीवन को आपस में अर्जेस्ट करो एक दूसरे को समझो और उस ईश्वर का शुक्रिया करो कि ईश्वर ने जो तुम्हें दिया है उसी में अपनी खुशियों को तलाशो , जीवन को शांत और खुशनुमा माहौल देकर जीना सीखो ।
तुम जो ढूंढ रहे हो वह बाहर कहीं कुछ नहीं है जो कुछ भी है वो सब तुम दोनों के अंदर ही है ।
तुम्हें कोई गर्लफ्रेंड बनाने की जरूरत नहीं है
तुम्हें कोई ब्वायफ़्रेंड बनाने की जरूरत नहीं है
तुम्हें कोई प्रेमी बनाने की जरूरत नहीं है 
तुम्हें कोई प्रेमिका बनाने की जरूरत नहीं है
बस तुम्हारी सोच और नजरिए का कमाल है
अपनी सोच को बदलो , अपने नजरिए को बदलो
जो तुम्हारी पत्नी है उसी में गर्लफ्रेंड और प्रेमिका भी है बस नजरिए को बदल कर देखो ।
जो तुम्हारा पति है उसी में ब्वायफ़्रेंड और प्रेमी भी है बस नजरिए को बदल कर देखो ।

मंगलवार, 27 जून 2023

समय का चक्र अनवरत चलता रहता है

अगर साधु के घर में शैतान पैदा हो सकता है ,तो शैतान के घर में साधु भी पैदा हो सकता है ।
अमीर के घर में ग़रीब भी पैदा हो सकता है और
ग़रीब के घर में अमीर भी पैदा हो सकता है ।
समय का यह चक्र है जो कभी रुकता नहीं अनवरत चलता ही रहता है ।
किसी को देख कर उसका जजमेंट मत करो वो जो कुछ भी है अपने नसीब से है और तुम जो हो तो तुम भी अपने नसीब से ही हो इस लिए जजमेंट हमेशा खुद की करो अपने अच्छाईयों और बुराईयों की क्यों कि यही तुम इस दुनियां से लेकर जाओगे और यही तुम अपने जानने वालों के लिए चर्चा के लिए छोड़ जाओगे ।
इस लिए हमेशा अच्छी यादें छोड़ कर जाने का प्रयास करना, ऐसा मत करना कि जब भी तुम्हारी बात आए तो गाली से शुरू हो और गाली पर खत्म हो ।

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

कृप्टोकरेंसी

कृप्टो करंसी का मार्केट बहुत बड़ा है। कहीं कुछ मिल जाता है , तो कहीं कुछ डूब भी जाता है । इसपर पुरी तरह से आशा कर लेने पर दिल को धक्का भी लगता है । इस लिए इसे एक एक्सपर्ट और आधुनिक जुआ या सट्टेबाजी भी कहा जा सकता है । जिसे खेलने के लिए उतने पैसे से खेलें कि जितना पैसा आप भूल सकते हों , इस पैसे पर निर्भर होकर न लगाएं ।
कृप्टो करंसी के जानकार कम लोग हैं और ऐसे लोग जो जानकार हैं वे लोगों के चक्कर में कम रहते हैं , कारण कि इन्हें आनलाइन पैसा कमाना होता है जो डेली अर्निंग का मामला होता है । इसमें नेटवर्किंग की आवश्यकता नहीं होती । हां पैसा अगर कम है तो कम अर्निंग होती है । ज्यादा पैसे से ज्यादा अर्निंग होती है , ऐसे में तीन से चार पार्टनर एक हो सकते हैं ।
शैयर मार्केट और ट्रेडिंग जैसे सेक्टर में ज्यादा पैसों की आवश्यकता होती है इसमें भी पार्टनर बनने के लिए धैर्य का होना जरूरी है साथ ही साथ अगर आप भी इस प्लेटफार्म के जानकार हैं तो आप को अपने पार्टनर से कोई शिक़ायत नहीं होगी क्यों कि सारी प्रक्रिया आप के आंखों के सामने से होकर ही गुजरेगी और यदि आप जानकार नहीं है तो फिर विश्वास करिए । तीन बार लगातार नुकसान होने पर बंद कर दीजिए ।
सबसे बेहतर तो यही होगा कि पहले आप खुद सीखने कि कोशिश करें उसके बाद ही कोई क़दम बढ़ाएं ।
बिटक्वॉइन और इथेरियम की कोई नेटवर्किंग नहीं है । आप को एक्सचेंज पर जाकर खरीदना पड़ता है और बेचना भी पड़ता है । इन्हीं की सफलताओं को दिखा कर इन्हीं को बता कर भारत में तमाम नेटवर्किंग क्वाईन आ गई है जब कि आप को और हमको सबको पता है कि नेटवर्किंग हमेशा सबसे पहले फाउंडर्स को अमीर बनाती हैं । बाईं चांस सुरुआती दौर के रीडर्स भी कुछ कमा लेते हैं , लेकिन डाऊन लाईन से कलंकित और आरोपित तो होना ही पड़ता है । तो हम फिर ऐसा क्यु करें ? हमें लोगों को वहीं चीज देनी चाहिए जिसे वो अपनी इच्छा से कर सकें , अपनी इच्छा से करने को कहें , अपनी इच्छा से सीखने को कहें और उसे मैं स्वयं इतना ट्रेंड कर सकूं कि मैं रहुं या न रहुं उसे मेरी कोई आवश्यकता न रह जाय ।
उसका फायदा उसके साथ उसका नुकसान भी उसके साथ उसे कोई शिक़ायत करने का मौका ही न रह जाए । बिल्कुल हर बात पारदर्शिता से भरी होनी चाहिए ।
जीवन में हमेशा हर सेक्टर में डाउनलाइन का काल तो आएगा ही और ऐसे में हमारे पास वक्त ही नहीं होता कि मैं अपने डाउनलाइन से मिल सकूं ।
हमारे बहाने को, हमें किसी और कंपनी में जुड़ जाने को , मेरा डाउनलाइन भी जानता है क्यों कि वो मेरे ही उपर आसृत है इस लिए उसका ध्यान हमेशा सिनिर पर रहता है , भले ही सिनियर डाउनलाइन को भूल जाएं ।
इसका बहुत बड़ा कारण यह है कि लोग लोगों को प्लान से ज्यादा अपनी बातों में लपेटते हैं ।
प्लान दिखाते समय प्लान सुनने वाले के चेहरे पर कई प्रकार के रंग आते जाते हैं । प्लान का पचहत्तर प्रतिशत हिस्सा समझ में ही नहीं आता और प्लानर बीच - बीच में पुछता रहता है कि यहां तक तो आप क्लीयर है , समझ में आ रहा है न तो आगे बढ़े ?
कोई सवाल हो तो पुछ लिजिएगा , सुनने वाले हां सर , ठीक है सर , समझ रहा हूं , पुछ लुंगा । कह कर खामोशी साध लेता है और चुपचाप प्लान को सुन्ता रहता है । प्लान खतम होने पर ऐसा लगता है कि जैसे कोई बहुत बड़ी मुसिबत सिर से टली और हम बाहर आए । उसके बाद क्या होता है , आप ने प्लान लोगों दिखाया होगा तो आप खुद जानते हैं ।
ज्वॉइन करने की एक डेट मिलती है किसी की ये डेट आती है तो किसी की कभी नहीं आती ।
बीस साल में कोई नेटवर्क ऐसा नहीं है कि जिसे मैंने जाना नहीं देखा नहीं अस्सी प्रतिशत को तो किया भी मगर परिणाम आप भी जानते हैं । नेटवर्करों से कुछ छुपा नहीं है ।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम पहले प्लानर बनते हैं और फिर प्लानर बनाते हैं यही सिस्टम लोगों को फ्लॉप करता है । जरुरत प्लानर बनने की नहीं है जरुरत सिस्टम को समझने कि है जैसा कि ऊपर मैंने बताया है कि हर तरह से एक्सपर्ट कर देना , प्लान तो अनपढ़ भी सुनता है और वह निचोड़ निकाल लेता है कि मुझे करना क्या है और इसमें करना है हि क्या ? 
लोगों को जोड़ना है और आज की डेट में सबसे बदनाम शब्द लोगों को जोड़ने जुड़ाने का है ।
हमें उपर उठना होगा लोगों को तकनीक सिखानी होगी आज कल सभी के पास एंड्रॉयड और आईओएस स्मार्टफोन है , उनको उन्हीं के मोबाईल पर सिखाया जाय ताकि वो खुद सब कुछ कर सकें और लोगों से भी करा सकें । 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

अवसर जब आता है

अवसर जब आता है , तो समझ में जल्दी नहीं आता , क्यों कि यह हजारों निगेटिव सवाल खड़ा कर देता है।
लोग निगेटिविटि से भर जाते हैं।
निगेटिविटि बहुत ही चालाक और समझदार बना देती है।
अवसर को छोड़ने के लिए निगेटिविटि दिमाग में यह भर देता है कि यह पहली बार नहीं है ये तो फिर आएगा कभी भी शुरु कर लेंगे।
जब अवसर चला जाता है तब यह एहसास होता है कि मैंने आए हुए अवसर को छोड़ कर गलत किया था , फिर सिर्फ पस्ताने के सिवा कुछ नहीं रहता और लोग अक्सर बात ही बात में एक कहानी की तरह लोगों से कहते भी हैं कि यह अवसर पहले मेरे ही पास आया था , लेकिन मैंने शुरु नहीं किया। 
जिसने किया आज वो बहुत आगे निकल चुके हैं । अब पहचानते भी नहीं।
यदि वही अवसर जिंदगी में कभी दुबारा आ जाता है तो उसके माध्यम से अपने गोल को अचीव करना उतना आसान नहीं होता जितना कि पहली बार के अवसर में आया था।
क्यों कि अवसर एक ही हो सकता है लेकिन लाने वाले व्यक्ति अलग अलग हो सकते हैं । 
जितनी आसानी , जितनी सुविधाएं , जितना सहयोग पहली बार आए हुए अवसर में हमें प्राप्त होता है । वही चीजें दूसरी बार के अवसर में नहीं होती , इस लिए अगर कोई अवसर आप के पास आया है या आता है तो वह बहुत ही साधारण तो दिख सकता है लेकिन जब आप उसे अच्छी तरह से समझेंगे तो उसमें आप को अपने गोल को प्राप्त करने का रास्ता जरुर नज़र आएगा ।
सकारात्मक सोंच ही सकारात्मक दिशा को दिखा सकती है । नकारात्मक सोंच हमेशा ग़लत दिशा की ओर ले जाती है ।
इस लिए नकारात्मक और सकारात्मक यानी निगेटिव और पाजेटिव दोनों विचारों कि तुलना कर लेना चाहिए जिसमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि निगेटिव / नकारात्मकता बीस न पड़े ।
अब यहां एक समस्या यह उत्पन्न होती है कि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं कि जो इन दोनों की तुलना एक साथ नहीं कर पाते जिसका नतीजा यह होता है कि कोई निगेटिव से भरा होता है तो कोई पाजेटिव से भरा हुआ है । 
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दोनों में फर्क करना जानते हैं ।
ऐसी परिस्थितियों में जो तुम्हारी नज़र में सही लगे उससे सलाह अवश्य लें , और फिर आत्ममंथन करें ।

बुधवार, 30 नवंबर 2022

दौलत भी क्या चीज़ है

दौलत है तो हर जगह और हर किसी के तुम हो ।
दौलत नहीं है तो हर जगह से , हर किसी के दिल से और हर किसी की नज़रों से गुम हो ।
ये दौलत भी क्या चीज़ है ....... कि
कोई दौलत के पीछे भागते - भागते मर जाता है ।
तो किसी के पीछे दौलत भागती है ।

रविवार, 27 नवंबर 2022

भुमिका

भूमिका के साथ विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखें ।
पहले भूमिका की हेडिंग लिख कर भूमिका तीन चार लाईन में पुरी हो जाती थी ।
फिर व्याख्या की हेडिंग लिख कर डेढ़ दो पेज विस्तार पूर्वक व्याख्या लिखी जाती थी ।
ये दौर पढ़ाई का था।
अब ज्यादा तर लोगों में फोन ने भुमिका के स्थान को विस्तार पूर्वक व्याख्या की धारा पकड़ा चुका है
अब ज्यादा तर यह सुनने और देखने को मिल रहा है कि लोग भुमिका को इतना लंबा कर देते हैं कि अक्सर अपने मूल मकसद अर्थात खास बात / मुख्य बात को भूल जाते हैं कि उन्हें पुछना क्या था या कहना क्या था।
अक्सर यह सुनने को मिलता है कि देखिए मैं तो वो बात ही भूल गया जिसके लिए फोन किया था ।
भुमिका ने जो विस्तार पकड़ा है उसमें है क्या ?
सिर्फ बेवकूफी वाली बातें जैसे - कहां हैं ?
क्या हो रहा है ? और सुनाईए ?
इसमें से पहला सवाल - कहां हैं ?
यह अक्सर एक से दो बार पुछा जाता है । 
क्या हो रहा है ?
और सुनाईए ?
यह बार बार आता है ।
कौन कौन है ? 
क्या बना है ? 
और सुनाओ ? जैसे निरर्थक बातें जिसे कहने या पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है  लेकिन यह फोनटाक फोबिया है , जो गहरे डिप्रेशन से होते हुए स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन पैदा करता है ।



शनिवार, 26 नवंबर 2022

स्वर्ग और नर्क में बहुत दूरी नहीं है

दो चार क़दम पे तुम थे ।
दो चार क़दम पे हम थे ।।
दो चार क़दम ये लेकिन ।
सौ मिलों से क्या कम थे ।।

दो चार क़दम पे स्वर्ग भी है ।
दो चार क़दम पे नर्क भी है ।।
दो चार क़दम नर्क के इतने हसीन नज़र आते हैं कि लोग दौड़ कर उसमें समा जाते हैं ।
जब फंस जाते हैं तब समझ में आता है कि ये मैं कहां आ गया हूं , जब की नर्क ने खुद तुम्हें नहीं बुलाया उसने अपनी चकाचौंध से तुम्हें सिर्फ आकर्षित किया और तुम इस आकर्षण में वशीभूत हो कर दौड़ पड़े ।
तुम्हें नर्क का एहसास तुरंत नहीं हुआ , नर्क ने तो तुम्हें स्वर्ग जैसा आनन्द तब तक दिया जब तक कि तुम अपने पुन्य कर्मों से खोखले नहीं हो गये ।
फिर तुम्हारे पास नर्क भोगने के सिवाय बचा ही क्या है ?
स्वर्ग की ओर जाने के लिए कोई चकाचौंध नहीं है ।
कोई आकर्षण नहीं है , बल्कि दुःख है । तकलीफें हैं। त्याग है । तपस्याएं हैं आदि...... इत्यादि..... हैं ।
स्वर्ग भी अपनी ओर बुलाता है लेकिन स्वर्ग के दो चार क़दम सौ मीलों से कम नहीं लगते ।
इस मायावी संसार से विरक्त होना पड़ता है ।
जिसको जो चाहिए वो सब है यहां , अब निर्णय तुम को करना है कि तुम पाना क्या चाहते हो और जाना कहां चाहते हो ।

रविवार, 6 नवंबर 2022

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।

धर्म और कर्म दोनों अलग - अलग चीजें हैं ।
इसमें उपासना और इबादत के अनन्त रास्ते हैं ।
जिसको जैसे अच्छा लगता है ।
जिसको जैसे आनन्द आता है ।
जिन तरीकों से मुरादें पूरी होती हैं ।
जिन आस्था से सफलता प्राप्त होती है ।
वे वैसे करते हैं ।
किसी को समझाना…...... क्यूं है ?
तुम जैसे हो वैसे ही रहो ....... ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी कोई मुरादें हासिल की है ।
तुमने अगर आसान तरीके से अपनी सफलता को प्राप्त की है ।
तो लोगों को भी बताओ ।
लोगों को भी सिखाओ ।
न कि उसे उसके मार्ग से भटकाओ ।
किसी के धर्म और कर्म में कभी बाधा मत बनो
सभी इंसान हैं । सबकी अलग अलग सोंच है ।
उपरोक्त बातों द्वारा इसमें जातियों का कोई संबंध नहीं है ।
इस धरती पर सिर्फ चार प्रकार की जातियां हैं ।
1 - पुरुष / मर्द ।
2 - स्त्री / औरत ।
3 - अमीर / धनवान ।
4 - गरीब / निर्धन ।
इसके बाद कोई जात नहीं है ।
माना कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पुरक हैं ।
ठीक इसी तरह अमीर और गरीब भी एक दूसरे के पुरक हैं ।
स्त्री को पुरुष की आवश्यकता है ।
पुरुष को स्त्री की आवश्यकता है ।
गरीब को अमीर की आवश्यकता है ।
अमीर को गरीब की आवश्यकता है ।
हरलोग अपनी मर्यादा में रहते हुए अपने कर्तव्यों
का पालन करें । इसी को इंसानियत कहते हैं ।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

मुहब्बत में भी एक दुनिया है ।

एक तरफ़ दुनिया है , जो अपनी तरफ़ आकर्षित करती है और एक तरफ़ किसी की मुहब्बत है , जो अपनी आगोश में समेट कर दुनिया को भुलवाना चाहती है , दुनियां से दूर रखना चाहती है ।
दुनियां में अगर जाऊं तो यहां मुहब्बत नहीं है और मुहब्बत में अगर जाऊं तो वहां दुनिया नहीं है ।
अंत में यह एहसास हुआ कि इस दुनिया में जो दुनिया है , वह बहुत ही अलग तरह की दुनिया है , जिसमें चंद लोगों के सिवा कोई किसी का नहीं है ।
मुहब्बत में भी एक दुनिया है जिसमें सब अपने हैं । मुहब्बत के सिवा वहां कुछ भी नहीं ।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

दो मित्र

कुछ लोगों का मिजाज रईशी होता है , जो खानदानी है । किसी भी हाल में हों मगर उनकी रईशी बू बांस मरते दम तक नहीं जाती । कुछ लोग उनकी नकल करने में उजड़ जाते हैं । खैर ये अलग मैटर है , जिसके पास जितना होता है वो अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी का इंज्वॉय करता है । सब अपनी नसीब , अपनी सामाजिकता और अपनी औकात पर निर्भर करता है , इसमें न तो आप किसी को रोक सकते हैं और न तो समझा सकते हैं यदि आप ने अपना समझ कर हमदर्दी में कुछ राय पुर्वक समझाया तो पीठ पीछे आप की औकात दिखा दी जाती है ।
कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि आप कुछ भी हों मुंह पर ही आप की औकात नाप देते हैं ।
मैं आप को दो ऐसे मित्र की कहानी सुना रहा हूं जिसमें आप को ये महसूस होगा कि दुनियां और समाज की चकाचौंध में जाने के अंजाम क्या होते हैं और अपने भविष्य को लेकर जो सतर्क होते हैं वे क्या करते हैं , जिससे उनके और उनके आने वाली पीढ़ी किसी विपत्ति के समय में सुरक्षित कैसे हो सकती है ।
दो व्यक्ति थे । जिनकी सर्विस के दौरान ही मित्रता हुई । दोनों मित्र एक साथ रिटायर हुए , दोनों को काफी पैसा मिला .....।
एक मित्र ने दूसरे मित्र से जमीन खरीदने की बात की मगर उसे यह फाल्तू काम लगा तो उसने सुझाव देना छोड़ दिया और चुपचाप जाकर शहर में ही सिर्फ दस लाख खर्च कर के एक जमीन ले ली और दूसरे मित्र ने दस लाख की एक कार खरीदी ,
वक्त गुजरता गया दस साल बीत गए जमीन वाले को अपनी जमीन निकाल कर कुछ और करने की सूझी उस ने अपनी जमीन बेची तो उसे एक करोड़ पच्चीस लाख मिले और कार वाले मित्र की कार एक कबाड़ी वाला सिर्फ पच्चीस हजार रुपए दे कर ले गया ।
अब फैसला आप के हाथ में है कि आप जमीन की शक्ल में सोना से भी मंहगी चीज बनाकर बेचना चाहते हैं कि कबाड़ के भाव में गाड़ी ।
बढ़ती मंहगाई , बढ़ती आबादी के बीच सोने का भाव भी गिरता है । गाड़ियों के भाव में भी गिरावट और डिस्काउंट आते रहते हैं लेकिन जमीन के भाव को आज तक मैंने डाउन होते नहीं देखा ।
इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे आप्शन होते हैं जो आप के आत्ममंथन पर निर्भर करता है कि आप अपने आप को कैसे सेक्योर रहते हुए विकास की ओर ले जा सकते हैं ।