मुझसे छुप कर के कोई आके गुजर जाता है ।
जाने क्यों जान कर वो दिल मेरा तड़पाता है ।
क्यों तड़पता है किसी और की चाहत में वो ।
मुझको तड़पा के भला कैसी खुशी पाता है ।
मन के मन्दिर में जो तस्वीर नज़र आता है ।
मैने चाहा है सनम दिल का तुमसे नाता है
तेरी गलियों से गुजर कर के भी खामोश हैं हम ।
बेवफा तेरा ही गंम हर वक्त मुझे खाता है ।
तुमको जावेद कभी भुल नहीं पाएगा ।
एक तू ही है जो दिल को मेरे भाता है ।
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