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शनिवार, 16 नवंबर 2019

सोंच अपनी जुबान अपनी है

सोंच अपनी जुबान अपनी है ।
झूठ सच की दुकान अपनी है ।।

तेरे सोंचो पे किसका पहरा है ।
उठो, चलो, जहांन अपनी है ।।

उसको देखा तो उड़ गयी नींदे ।
नई दुल्हन में मकान अपनी है ।।

कब, क्या, कैसे, तुम्हें पाना है ।
ये समझने का ग्यान अपनी है ।।

बढ  रहा  है  जावेद  भीड़  का समंदर ।
बेरोजगार हूं ये कहने में शान अपनी है ।।

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