जिसने हमेशा हमको दिल से चाहा
वही आज हमको भुलाने लगा है ।
मोहब्बत का सौदा खुद कर रहा है।
किसी और का गीत गाने लगा है ।
जमाने से भी कोई सिक्वा नहीं है।
वो खुद रंग अपने दिखाने लगा है ।
हमें दुसमनों की जरूरत ही क्या है।
जो अपना था वो ही जलाने लगा है
हमें जख्म अपनो ने ईतने दीये हैं।
दर्द भी दर्द से मुंह छुपाने लगा है ।
वफा का सिला बेवफाई से दे कर।
मुहब्बत को दिल से मिटाने लगा है ।
मुझको पता है वो बदला है जावेद।
कि झुठी कसम मेरी खाने लगा है
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