Translate

शनिवार, 9 नवंबर 2019

दिल से चाहा

जिसने हमेशा हमको दिल से चाहा
वही आज हमको भुलाने लगा है ।

मोहब्बत का सौदा खुद कर रहा है।
किसी और का गीत गाने लगा है ।

जमाने से भी कोई सिक्वा नहीं है।
वो खुद रंग अपने दिखाने लगा है ।

हमें दुसमनों की जरूरत ही क्या है।
जो अपना था वो ही जलाने लगा है

हमें जख्म अपनो ने ईतने दीये हैं।
दर्द भी दर्द से मुंह छुपाने लगा है ।

वफा का सिला बेवफाई से दे कर।
मुहब्बत को दिल से मिटाने लगा है ।

मुझको पता है वो बदला है जावेद।
कि झुठी कसम मेरी खाने लगा है

       

कोई टिप्पणी नहीं: