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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

आर्थिक आज़ादी

इस देश में मुर्खों और पागलों की कमी नहीं है ।
महान शायर गालिब के कथनानुसार चार पंक्तियां -
चूतियों की कमी नहीं गालिब ।
एक ढूढो हजार मिलते हैं ।।
नगद ढूढो तो उधार मिलते हैं ।
उधार ढूंढो तो बेशुमार मिलते हैं ।।
नेता गिरी एक ऐसा धंधा है । जहां ऐसे ही लोग बेशुमार मिलते हैं । क्यों कि इन चूतियों को नौकरी , तनख्वाह या कैरियर की जरूरत नहीं होती बस पद चाहिए ।
क्यों कि ये धन्धा सीधे देश से होता है । पार्टी को सत्ता में आने से या खुद चुनाव जीत लेने से देश में हिस्सेदारी मिल जाती है । और ये बात सभी नहीं जानते , बस इतना जानते हैं कि किस पार्टी का माला जपना है । किस पार्टी को नीचा दिखाना है और उसका विरोध करना है । उसकी कमियों को दिखा कर माइंड़ डाईवर्ट कर देना है और वो भी उन लोगों का जो राजनीत में इनट्रेस्ट नहीं रखते अपने कमाने खाने में व्यस्त रहते हैं ।
ऐसे ही लोगों को कुछ लालच दे कर इकट्ठा करना और 
धरना , प्रदर्शन और उपद्रव करना साथ में लाठी भी खाना और खिलवाना है । लेकिन पूरे प्रक्रिया में राष्ट्रिय लीडर नहीं होता सब यही बेशुमार वाले होते हैं ।
यकीन न हो तो कोई भी अनाप सनाप पार्टी बना लो सैकड़ों में तो तुरंत मिल जाएंगे फिर हजारों में और इसी तरह बढते हुए बेशुमार वाले कैटेगरी के लोग भर जाएंगे ।
यहां कोई क्वाईलिफिकेशन या डिगरी की जरूरत नहीं होती आत्म निर्भर बनने के लिए हर तरह की संपन्नता का होना जरुरी है । जो रोज कमाता है तब खाता है तो ऐसे लोग आत्म निर्भर कैसे बनेंगे ।
ऐसे लोगों की महामंडी आज भी गरम है । जिसे राजनीति के नाम से जाना जाता है । इसी मंडी में तुम्हें तुम्हारा सही अधिकार मिलेगा और बोलबाला भी ।
जो पार्टीयां बनी हैं उसे सब जानते हैं इससे हटकर अलग से एक पार्टी बनाओ और देश के साथ देश वासियों को भी एक अलग दिशा दो जिसमें सभी के पास समय की आजादी और आर्थिक आजादी दोनों हो ।

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