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शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

कुछ भूल गये

कुछ भूल गये तो क्या हुआ ।
कुछ छोड़ गये तो क्या हुआ ।।

कुछ शर्तों पे साथ निभाते हैं  ।
कुछ मक़सद से हाथ मिलाते हैं ।।

सबके जखमों को सहना है ।
कुछ भी न किसी से कहना है ।।

धीरे धीरे सब कट जाएगा ।
जीवन का दर्द सिमट जाएगा ।।

तुम अपना धंधा चटकाये रहो ।
लोगों को खुद में भटकाये रहो ।।

वो चलता है चलता जाएगा ।
एक दिन मंजिल भी पाएगा ।।

तुम बोझ बनो या रोग बनो ।
सबको परवाह नहीं होती ।।

पराश्रित हो कर जीने में ।
आसानी से मौत नहीं होती ।।

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