Translate

शनिवार, 16 नवंबर 2019

सोंच अपनी जुबान अपनी है

सोंच अपनी जुबान अपनी है ।
झूठ सच की दुकान अपनी है ।।

तेरे सोंचो पे किसका पहरा है ।
उठो, चलो, जहांन अपनी है ।।

उसको देखा तो उड़ गयी नींदे ।
नई दुल्हन में मकान अपनी है ।।

कब, क्या, कैसे, तुम्हें पाना है ।
ये समझने का ग्यान अपनी है ।।

बढ  रहा  है  जावेद  भीड़  का समंदर ।
बेरोजगार हूं ये कहने में शान अपनी है ।।

बुधवार, 13 नवंबर 2019

सपने

कुछ सपने ऐसे होते हैं जिन्हें लोग देखते तो जरूर हैं मगर उन्हें पूरा न कर पाने की वजह से खुद से समझौता कर लेते हैं। आप सभी लोग जानते हैं कि इस दुनियां में असंभव नाम की कोई भी चीज नहीं है। वहां तक संभव है जहां तक आप अपनी कल्पना कर सकते हैं। बस आप को अपने सपनों को हकिकत में बदलने के लिए उतने ही प्रेम में डूबना होगा जितने प्रेम में डूब कर आप ने सपनों को देखा है। यहां 95 % लोग अपने सपनों से समझौता कर के सारी जि़दगी उसी सपने में जीते हुए मर जाते हैं। यहां किसी के सपनों से किसी का कुछ लेना देना नहीं है। सपना आप का है पूरा भी आप ही को करना है। मैं सिर्फ इतना बता सकता हूँ कि इस दुनिया में सबसे ज्यादा आप जिस से मुहब्बत करते हैं उससे ज्यादा आप अपने सपनों से करें। दिल और दिमाग मे हर वक्त, हर पल, हर लम्हा सिर्फ सपना होना चाहिए। इतनी दीवानगी होनी चाहिए कि आप को कहीं कुछ अच्छा न लगे। किसी की बात में न मन लगे न अच्छा लगे। रात में नीद न आए । बिस्तर काटने को दौडे। उसी वक्त घर से बहार निकल कर सपने में डूबे टहलने पर मजबूर कर दे तब जाकर आप को अपने सपनों को साकार करने का रास्ता मिलना शुरू होगा। यहां सपने हासिल करने में कम छीनने में ज्यादा जुनुन पैदा करना पड़ता है। जितना जुनुन होगा उससे कहीं ज्यादा अपने अंदर जिद भी पैदा करन पड़ेगा।

मंगलवार, 12 नवंबर 2019

मुझ से छुप कर

मुझसे छुप कर के कोई आके गुजर जाता है ।
जाने क्यों जान कर वो दिल मेरा तड़पाता है ।

क्यों तड़पता है किसी और की चाहत में वो ।
मुझको तड़पा के भला कैसी खुशी पाता है ।

मन के मन्दिर में जो तस्वीर नज़र आता है ।
मैने चाहा है सनम दिल का तुमसे नाता है

तेरी गलियों से गुजर कर के भी खामोश हैं हम ।
बेवफा तेरा ही गंम हर वक्त मुझे खाता है ।

तुमको जावेद कभी भुल नहीं पाएगा ।
एक तू ही है जो दिल को मेरे भाता है ।
       

शनिवार, 9 नवंबर 2019

दिल से चाहा

जिसने हमेशा हमको दिल से चाहा
वही आज हमको भुलाने लगा है ।

मोहब्बत का सौदा खुद कर रहा है।
किसी और का गीत गाने लगा है ।

जमाने से भी कोई सिक्वा नहीं है।
वो खुद रंग अपने दिखाने लगा है ।

हमें दुसमनों की जरूरत ही क्या है।
जो अपना था वो ही जलाने लगा है

हमें जख्म अपनो ने ईतने दीये हैं।
दर्द भी दर्द से मुंह छुपाने लगा है ।

वफा का सिला बेवफाई से दे कर।
मुहब्बत को दिल से मिटाने लगा है ।

मुझको पता है वो बदला है जावेद।
कि झुठी कसम मेरी खाने लगा है

       

तूफान ए गोरी

मारी मुस्की मचावेलु तुफान ए गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
सपना तुहार आवे राती के जगावेला ।
सारी सारी रात हमके नींद नाहीं आवेला ।।

मोरा तुहरे में बसेला। परान ए गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
काम करीं कहीं मन तुहरे पे अटके ।
मन नाहीं लागे दिल तुहरे से हटके ।।

तूँ त जान सब भईलु अन जान ए गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
असरा तुहार बाटे सरधा पुरा द।
कईसे मनाईं मन के एतना बता द ।।

कईले बानी तुंहसे प्यार के एलान गोरी ।
अपने दिल के बना ल मेहमान ए गोरी ।।
र ह तइयार सजनी डोली लेके आइब ।
आपन दुलहिनियां हम तुँहके बनाइब ।।
      

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

सोमवार, 4 नवंबर 2019

हम उस देश के वासी हैं

हम  उस  देश  के  वासी  हैं   ।
जहां इंसान को बेचा जाता है ।।
पांच रुपये के ख़ातिर भी  ।
ईमान को बेचा जाता है  ।।

जात धर्म और लिंग भेद में ।
नफ़रत  की  दीवारें  हैं     ।।
सत्ता की कुर्सी के ख़ातिर  ।
जान  को  बेचा  जाता है  ।।

किसने कैसे देश चलाया  ।
किसने कैसे देश बचाया  ।।
उनको याद दिला कर के  ।
पहचान को बेचा जाता है ।।

तुम  जो  हो, खुद  में  हो   ।
मुझको तुमसे क्या मतलब ।।
अपना कह कर के ही  तो  ।
सम्मान को बेचा जाता है  ।।

अंध विश्वास कि माया है  ।
पाखंड देश पर छाया है   ।।
रातो रात अमीर बना दे जो ।
भगवान को भी बेचा जाता है ।।

शनिवार, 2 नवंबर 2019

झूठ और सच

सच्चाई कहीं रक्खी हुई नहीं है कि आप उसे खरीद लें।
सच्चाई तो सिर्फ आप के दिल में है।
झूठ को कहीं से सीखने की जरुरत नहीं पड़ती,
तुम्हारी जरूरतें सिखा देती हैं।
तुम्हारी जरूरतों ने झूठ को इतना बढा दिया है कि
अब हर पल तुम्हारी जिंदगी झूठ के बल पर ही कट रही है। यही वजह है कि सच के एक भी अल्फाज तुम्हारे
जुबान पर आने में अपराध जैसा लगता है।

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

झूठों की मन्डी

दुनियां जबसे कायम हुई है तभी से झूठ को धरती पर फैलाया जा रहा है। आज हालात ये है कि झूठों की बड़ी
बड़ी मन्डीयां कायम की गई हैं।
जैसे - सुप्रीम कोर्ट
        हाई कोर्ट
      कलेक्टरी कचहरी
      दीवानी कचहरी
      तहसील
      ब्लाक
तथा अन्य जिसे आप समझ सकते हैं।
एक बार मुझे हाई कोर्ट इलाहाबाद जाना पड़ा।
दूसरी मंजिल से नीचे जब मैने अपनी नजर को
दौड़ाया तो हर तरफ काली कोट वालों की भीड़
सड़क से लेकर कोर्ट के बाउंडरी और छत सब कुछ
खचाखच भरा हुआ था।
ऐसा लगा जैसे समस्त भारत के गिद्ध और कौवे यहीं
इकट्ठे हो गये हैं।
जिस जिस प्रकार की डीलिंग सुना और देखा उससे
ये समझ आया कि अगर जज की कुर्सी पर साछात
ईश्वर आकर बैठते तो मरने वालों की तारीखें डाल डाल
कर उसे ज़िंदा कर दिया जाता। किसी को कभी मरने ही
नहीं दिया जाता।

रविवार, 20 अक्तूबर 2019

लेना और देना

देने वाला ( दानी) कभी लेने के बारे में नहीं सोंचता।
लेने वाला कभी देने के बारे में नहीं सोंचता ।
लेने वाले को जब देना पड़ता है तो ऐसा लगता है कि
जैसे जान ही निकल जाएगी मगर देने वाला जब लेना
चाहता है तो ऐसे सब ले लेता है जैसे उसे कुछ पता नहीं
कि कब कैसे मैं कंगाल हो गया कुछ पता ही नहीं चला।