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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

कुछ भी हैरत नहीं है दुनियां में

कौन सी चीज खो दिया तुमने ।
आज़ बर्बस ही रो दिया तुमने ।।

चुभ रहा है तुम्हें , आज जो कांटा ।
उस को पहले ही , बो दिया तुमने ।।

कुछ भी हैरत नहीं है दुनियां में ।
मिल रहा है वही जो दिया तुमने ।।

अब चुप-चाप देखते सहते जाओ ।
दुखती रग को जो टो दिया तुमने ।।

वो तो हंसा करता था हर लोगों पर जावेद ।
आज क्यूं मुझसे मिलते ही रो दिया तुमने ।।

बुधवार, 30 दिसंबर 2020

वक़्त ऐसा भी आने वाला है

रब ने उसको अजीब ढाला है ।
सामने उसके  चांद  काला  है ।।

जो भी देखे वो पूजना चाहे ।
रुप उसका बड़ा निराला है ।।

काट कर मैंने सख्त चट्टानें ।
रास्ता बीच से निकाला है ।।

हक़ भी जीने का छींन लेंगे लोग ।
वक़्त  ऐसा  भी आने  वाला  है ।।

चैन और नींद उड़ गई जावेद ।
रोग  कैसा  ये  हमने पाला है ।।

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

रेगिस्तान की रेत उसे पानी से लहराती हुई झील नज़र आ रही है

वो प्यासा है । रेगिस्तान की रेत उसे पानी से लहराती हुई झील नज़र आ रही है । वो पानी पानी चिल्ला कर निढाल और पस्त हो चुका है । बस अब दम निकलना बाकी है ।आप सक्षम हैं , उसकी जान बचाने में , आप को सुचित कर रहा हूं कि उसे पानी दे कर उसकी जान बचा लें , लेकिन आप को मेरी बातों पर शक है । आप को प्रमाण चाहिए , जब-तक आप प्रमाण प्राप्त करेंगे तब तक उसके प्राण निकल जाएंगे । इसका क्या मतलब है ?
कोई मरता है तो मर जाए लेकिन आप को अपनी संतुष्टि लोगों के जान से प्यारी है ।
प्रमाण तो बाद में भी लिए जा सकते हैं । संतुष्टि तो जान बचाने के बाद भी की जा सकती है ।
आज यही हाल है किसानों का , ग़रीबों का और बेरोज़गारों का , बेरोज़गार और गरीब का क्या होगा ? ये तो बाद की बात है , लेकिन किसानों का कुछ भी नहीं होना है । वो चाहे सारी ज़िन्दगी ऐसे ही धरने पर बैठे रहे , जब सरकार ने कह दिया कि मैं बिल वापस नहीं कर सकता , कुछ संसोधन करने के लिए तैयार हूं तो बात स्पष्ट हो चुकी है ।
कोर्ट का मामला तो एक सुनहरा जाल है । कोर्ट में मंदिर , मस्जिद का भी मामला था , जिसपर पुरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थी , लेकिन इस निर्णय से जनता का विश्वास उठ चुका है । किसान का मामला भी इसी तरह से गुजरेगा ।
आज सिर्फ तीन चीजें ही मुख्य रूप से हाईजैक और हावी है जैसे किसान पर नौजवानों की लाठी , बैलेट गन , पानी की बर्षात और आंसू गैस , फोर्स लगा कर जनता को पिटवाना आम बात है । दूसरी चीज कोर्ट जो हम चाहेंगे वही होगा और तीसरी चीज ई,वी,एम, जहां जितनी सीटें चाहेंगे उतनी निकालेंगे सिर्फ ई,वी,एम ही बंद हो जाय तो सारे राज़ खुल जाएंगे और सत्ता बदल जाएगी ।

रविवार, 27 दिसंबर 2020

मैं उसकी चाहत से संतुष्ट हूं

रब की चाहत में ही मेरी चाहत है । खोना भी उसी के मर्जी से है, और पाना भी उसी के मर्जी से है , अब खोने का डर , और पाने की चाहत से मैं बहुत ऊपर उठ चुका हूं , इस लिए मैं उसकी चाहत से संतुष्ट हूं ।

शनिवार, 26 दिसंबर 2020

मेरी औकात को कभी नापने की कोशिश मत करना

मेरी काबिलियत पर शक मत करना , और मेरी औकात को कभी नापने की कोशिश भी मत करना । तुम्हें जो जरुरत हो उसे मुझसे कहो , तुम मुझसे वो मांगो जो तुम्हें दुनिया का कोई भी व्यक्ति न पुरा कर सके , तुम्हे अगर किसी देश का बादशाह या किसी देश का प्रधानमंत्री भी बनना है । तो भी मुझसे कहो और इतना कहो , कि मैं तुम्हारी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए , अपने रब और उसके रसूल से मांगने के लिए मजबूर हो जाऊं ।

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

मेरी मुहब्बत की इन्तहा

ये एक अजीब विडंबना है या कि मेरी मुहब्बत की इन्तहा ।
अपने छोटे छोटे बच्चे अक्सर छोटे छोटे भाई नज़र आते हैं ।
मुहब्बत तो दोनों से बराबर ही है लेकिन जब यादाश्त कमजोर पड़ने लगती है , तो उसी बड़े , छोटे भाई का नाम मुंह से निकल पड़ता है । बचपन की यादें मरते दम तक नहीं जाती , मगर आज तक नहीं समझ पाया कि सब कुछ कैसे भूल कर किनारा कर लेते हैं लोग ।
जिस भाई ने अपनी उंगली पकड़ाकर चलना सिखाया था , और जिस भाई ने मेरी ऊंगली पकड़ कर चलना सीखा था जब दोनों की उंगलियां हमेशा के लिए छूट जाती हैं , तो मेरे जैसे एहसासमंद लोगों का , सिर्फ़ खाली जिस्म रह जाता है , मगर उसमें कोई जान नहीं रहती । तन्हाई , उदासी और खामोशी के काले बादल छा जाते हैं ।

गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

इससे ग़लत फहमियां बढ़ने लगती हैं

हर समस्याओं का समाधान है मुलाक़ात । और मुलाकात में जरुरी है उन सभी पहलुओं पर बात , जिनके कारण समस्याएं उत्पन्न हुई हैं ।
बहाने बना कर दूरी बनाना , इससे ग़लत फहमियां बढ़ने लगती हैं । जिससे शक मज़बूत होता चला जाता है ।

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही

बहुत अच्छी दुनिया है । 
बहुत सारे स्वाद हैं । 
बहुत तरह के लोग हैं । 
बहुत तरह के आनन्द हैं । 
बहुत सारे सपने हैं। 
बहुत सारी ख्वाहिशें हैं । 
बहुत ही आकर्षक और आस्चर्य जनक भूल भुलैया है । दुःख है ,
सुख है , 
हंसना भी , 
रोना भी , 
अपने भी हैं । 
अपनत्व भी है । 
और प्रेम भी है । 
बचपन भी है । 
लड़कपन भी है । 
जवानी भी है । 
बुढ़ापा भी है । 
यहां स्वर्ग भी है । 
यहां नर्क भी है । 
सब कुछ तो है । 
झूठे को सच्चा भी किया जाता है 
और सच्चे को झूठा भी किया जाता है । 
सिर्फ एक सच्चाई है , 
जिसे कभी कोई झुठला न सका 
और न तो कोई झुठला पाएगा , 
वो है मौत । 
सब कुछ होने के बाद भी अमरत्व यहां नहीं है । 
कोई अमर नहीं रह सकता , 
आखिर मरना तो है ही । 
एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही , 
लेकिन उस घड़ी , 
उस मुकाम,
और  उस कारण को भी कोई नहीं जानता । 
जिस जगह , 
जिस समय , 
जिस कारण से मरना है । 
यह सोंच कर सारी आशाएं निराशा में बदल जाती हैं । 
सारी ख्वाहिशें खत्म सी लगती हैं । 
सारी इच्छाएं कमजोर पड़ जाती हैं । 
दुनिया खाली खाली और वीरान सी लगने लगती है । 
सारे सुर संगीत रोने पिटने जैसी सुनाई पड़ने लगती है । 
मन को बहलाने या वक़्त को काटने का कोई रास्ता नहीं रहता लेकिन स्वयं से मर भी नहीं सकते , 
इस लिए उसी में आ कर डूबना और खोना पड़ता है 
जिसमें पुरी दुनियां डूबी और खोई है , 
लेकिन अपने ईमान और अपनी सच्चाई को बचाते हुए ।

मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

कौन से संत, महात्मा, ओझा, सोखा और गुरु को ढूंढ रहे हो

कौन से संत , महात्मा , ओझा , सोखा और गुरु को ढूंढ रहे हो ? कौन से औलिया , फ़कीर और पीर को ढूंढ रहे हो ?
जिसके माध्यम से इस दुनियां में आप पैदा हुए हैं , उस से बड़ा औलिया , फ़कीर और पीर दूसरा और कौंन हो सकता है । ( आस्था और विश्वास ) मुत्तक़ी और परहेज़गार पहले इनके बनो चाहे ये ज़िंदा हों या पर्दा कर गये हों , क्यों कि जब मौत आती है , तो पहले यही लोग आते हैं , और अगर ये लोग ज़िंदा हैं , तो खानदान के बुजुर्ग लोग आते हैं । क्यों नहीं कोई औलिया , फ़कीर या पीर आता है ? । मरते वक्त लोग इन लोगों का नाम नहीं लेते लेकिन 90% लोगों की जुबान से यही सुना जाता है कि लोग अपने ही लोगों का नाम बताते हैं , कि वो मुझे अपने साथ ले जाने आये हैं ।

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

अब बहोत फासले हैं हमारे तुम्हारे

कहां अब मुहब्बत कहां वो भाईचारे ।
अब बहोत फासले हैं हमारे , तुम्हारे ।।

कभी वक़्त था , जब तुम्हीं थे हमारे ।
चले थे हम इन्हीं उंगलियों के सहारे ।।

सितारों में क्या डूबना, खोजना ।
दुनिया में अभी बहोत हैं नज़ारे ।।

गांव को , शहर को , लोग लेते हैं गोद ।
क्यूं ?  सड़क के किनारे पड़े हैं बेचारे ।।

उन्हें क्या खबर जिनकी जन्नत यहीं  है ।
नज़र बन्द है सिर्फ तुम्हारे या की हमारे ।।

जावेद मेरे पास भी है रौशन सा चांद ।
उसी से चम- चमाते हैं लाखों सितारे ।।