बहुत अच्छी दुनिया है ।
बहुत सारे स्वाद हैं ।
बहुत तरह के लोग हैं ।
बहुत तरह के आनन्द हैं ।
बहुत सारे सपने हैं।
बहुत सारी ख्वाहिशें हैं ।
बहुत ही आकर्षक और आस्चर्य जनक भूल भुलैया है । दुःख है ,
सुख है ,
हंसना भी ,
रोना भी ,
अपने भी हैं ।
अपनत्व भी है ।
और प्रेम भी है ।
बचपन भी है ।
लड़कपन भी है ।
जवानी भी है ।
बुढ़ापा भी है ।
यहां स्वर्ग भी है ।
यहां नर्क भी है ।
सब कुछ तो है ।
झूठे को सच्चा भी किया जाता है
और सच्चे को झूठा भी किया जाता है ।
सिर्फ एक सच्चाई है ,
जिसे कभी कोई झुठला न सका
और न तो कोई झुठला पाएगा ,
वो है मौत ।
सब कुछ होने के बाद भी अमरत्व यहां नहीं है ।
कोई अमर नहीं रह सकता ,
आखिर मरना तो है ही ।
एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही ,
लेकिन उस घड़ी ,
उस मुकाम,
और उस कारण को भी कोई नहीं जानता ।
जिस जगह ,
जिस समय ,
जिस कारण से मरना है ।
यह सोंच कर सारी आशाएं निराशा में बदल जाती हैं ।
सारी ख्वाहिशें खत्म सी लगती हैं ।
सारी इच्छाएं कमजोर पड़ जाती हैं ।
दुनिया खाली खाली और वीरान सी लगने लगती है ।
सारे सुर संगीत रोने पिटने जैसी सुनाई पड़ने लगती है ।
मन को बहलाने या वक़्त को काटने का कोई रास्ता नहीं रहता लेकिन स्वयं से मर भी नहीं सकते ,
इस लिए उसी में आ कर डूबना और खोना पड़ता है
जिसमें पुरी दुनियां डूबी और खोई है ,
लेकिन अपने ईमान और अपनी सच्चाई को बचाते हुए ।