कहां अब मुहब्बत कहां वो भाईचारे ।
अब बहोत फासले हैं हमारे , तुम्हारे ।।
कभी वक़्त था , जब तुम्हीं थे हमारे ।
चले थे हम इन्हीं उंगलियों के सहारे ।।
सितारों में क्या डूबना, खोजना ।
दुनिया में अभी बहोत हैं नज़ारे ।।
गांव को , शहर को , लोग लेते हैं गोद ।
क्यूं ? सड़क के किनारे पड़े हैं बेचारे ।।
उन्हें क्या खबर जिनकी जन्नत यहीं है ।
नज़र बन्द है सिर्फ तुम्हारे या की हमारे ।।
जावेद मेरे पास भी है रौशन सा चांद ।
उसी से चम- चमाते हैं लाखों सितारे ।।
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