रब ने उसको अजीब ढाला है ।
सामने उसके चांद काला है ।।
जो भी देखे वो पूजना चाहे ।
रुप उसका बड़ा निराला है ।।
काट कर मैंने सख्त चट्टानें ।
रास्ता बीच से निकाला है ।।
हक़ भी जीने का छींन लेंगे लोग ।
वक़्त ऐसा भी आने वाला है ।।
चैन और नींद उड़ गई जावेद ।
रोग कैसा ये हमने पाला है ।।
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