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मंगलवार, 11 अगस्त 2020

संतुस्टी

नास्तिकता से भरे हुए लोग भी हैं और आस्तिकता से भरे हुए लोग भी हैं दोनों की अपनी मान्यताएँ हैं दोनों के अपने विचार हैं धर्मों में भी लोगों की अपनी अपनी संतुष्टि है ।
फिर ऐसे में किसी को कुछ कहना अपनी बेवकूफी है ।
अगर किसी को कुछ कहना ही है तो उस वक़्त ही कहा जा सकता है जब आप नास्तिकता , आस्तिकता और सारे धर्मों को गहराई से समझ कर उसमें महारथ हासिल कर लें तब। 
तब उम्मीद है कि शायद ही आप किसी को कुछ कह सकें। उन्माद और जलन तो उनके अंदर पैदा होता है जो इन सब से अंजान हैं । बेहतर होगा कि लोगों के बहकावे में आने से पहले उसकी सच्चाई को जानने की कोशिश करें ।

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