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बुधवार, 19 अगस्त 2020

आत्मनिर्भर

परासृत , परजीवी , या पराधीन रहने से न तो कभी मनोकामना पुरी होती है और न तो स्वयं के जीवन में
कभी सफलता मिलती है ।
अगर इन्हीं उपरोक्त परिस्थितियों में रहते हुए कोई अपनी मनोकामनाएं पुरी करना चाहता है और अपने जीवन में
कामयाबी भी हासिल करना चाहता है तो किसी न किसी
प्रकार का अपराध निस्चित है। 
अपराध लालच और आवश्यकताओं की जड़ है ।
ऐसी परिस्थितियों में घिरने , उलझने या अपनी संभावनाओं को तलाशने से बेहतर है कि आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की जाय ।

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