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गुरुवार, 20 अगस्त 2020

हमदर्दी

कभी किसी को बिना मांगे अपनी मरजी से कोई राय न दें। कभी किसी को कुछ करने की सलाह न दें। 
बहुत ज्यादा अगर अपनत्व है । 
बहुत ज्यादा अगर लगाव है ।
बहुत ज्यादा अगर उसकी चिंता है ।
तो उसके कुछ न करने की समस्याओं को उसके साथ बैठ कर समझने की कोशिश करें। 
और वह कुछ करे इसके लिए अपनी सलाह न दे के बल्कि उसकी आर्थिक मदद करें निस्वार्थ भाव से। 
यह कहना अलग बात है कि वह जब सक्षम हो जाए तो उसे वापस कर दे ।
लेकिन मदद अपनी शर्तों पर नहीं होना चाहिए । इसे उसी के ऊपर छोड़ो उसके जो समझ में आए करे। 
हो सकत है कि सफल होने के लिए आप से ज्यादा आईडियाज हों उसके पास ।
कोई आदमी फालतू नहीं रहना चाहता एक कुत्ता भी रोटी के लिए दिन रात एक किये रहता है कुत्ते को पैसा नहीं चाहिए लेकिन जीने के लिए रोटी जरुर चाहिए ।
इसी तरह इंसान को तो दोनों चीजें चाहिए रोटी भी और 
पैसा भी और इस युग में तो बच्चों को भी पैसा चाहिए फिर कौन है जिसे पैसा नहीं चाहिए ।
जब आप किसी से यह कहते हैं कि कुछ करो यार तो आप कि इस बात से उसे ऐसा लगता है कि जैसे उसकी खिल्ली उड़ाई जा रही हो ।
सिर्फ यह कहने से कि कुछ करो यार ।
कुछ शुरू किजिए ।
आखिर ऐसे कबतक घुमेंगे ।
कैसे काम चलेगा ।
ये सारी बातें निराधार हैं अपनत्व और अपनों की नहीं हैं। अगर वास्तव में आप को कष्ट है उसे अपना मानते और समझते हैं तो आप उससे पूछने के बजाय उसका कोई रोज़गार शुरु करा देते लेकिन आप को तो सिर्फ बातों से हमदर्दी जताना है ।

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