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शनिवार, 22 अगस्त 2020

रिश्ता

सब्र और विश्वास का नाम है रिश्ता ।
कोई भी रिश्ता शर्तों पर नहीं निभाए जाते ।
संबंधों में शर्तें हो सकती हैं मगर रिस्तों में नहीं ।

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

मुस्कान

तुमको या तुम्हारी हैसियत को छीनना कोई बहुत बड़ी
बात नहीं है और न मेरे लिए मुश्किल का काम ,
छीनने वाले तो होठों की मुस्कान तक छीन लेते हैं ।

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

हमदर्दी

कभी किसी को बिना मांगे अपनी मरजी से कोई राय न दें। कभी किसी को कुछ करने की सलाह न दें। 
बहुत ज्यादा अगर अपनत्व है । 
बहुत ज्यादा अगर लगाव है ।
बहुत ज्यादा अगर उसकी चिंता है ।
तो उसके कुछ न करने की समस्याओं को उसके साथ बैठ कर समझने की कोशिश करें। 
और वह कुछ करे इसके लिए अपनी सलाह न दे के बल्कि उसकी आर्थिक मदद करें निस्वार्थ भाव से। 
यह कहना अलग बात है कि वह जब सक्षम हो जाए तो उसे वापस कर दे ।
लेकिन मदद अपनी शर्तों पर नहीं होना चाहिए । इसे उसी के ऊपर छोड़ो उसके जो समझ में आए करे। 
हो सकत है कि सफल होने के लिए आप से ज्यादा आईडियाज हों उसके पास ।
कोई आदमी फालतू नहीं रहना चाहता एक कुत्ता भी रोटी के लिए दिन रात एक किये रहता है कुत्ते को पैसा नहीं चाहिए लेकिन जीने के लिए रोटी जरुर चाहिए ।
इसी तरह इंसान को तो दोनों चीजें चाहिए रोटी भी और 
पैसा भी और इस युग में तो बच्चों को भी पैसा चाहिए फिर कौन है जिसे पैसा नहीं चाहिए ।
जब आप किसी से यह कहते हैं कि कुछ करो यार तो आप कि इस बात से उसे ऐसा लगता है कि जैसे उसकी खिल्ली उड़ाई जा रही हो ।
सिर्फ यह कहने से कि कुछ करो यार ।
कुछ शुरू किजिए ।
आखिर ऐसे कबतक घुमेंगे ।
कैसे काम चलेगा ।
ये सारी बातें निराधार हैं अपनत्व और अपनों की नहीं हैं। अगर वास्तव में आप को कष्ट है उसे अपना मानते और समझते हैं तो आप उससे पूछने के बजाय उसका कोई रोज़गार शुरु करा देते लेकिन आप को तो सिर्फ बातों से हमदर्दी जताना है ।

बुधवार, 19 अगस्त 2020

आत्मनिर्भर

परासृत , परजीवी , या पराधीन रहने से न तो कभी मनोकामना पुरी होती है और न तो स्वयं के जीवन में
कभी सफलता मिलती है ।
अगर इन्हीं उपरोक्त परिस्थितियों में रहते हुए कोई अपनी मनोकामनाएं पुरी करना चाहता है और अपने जीवन में
कामयाबी भी हासिल करना चाहता है तो किसी न किसी
प्रकार का अपराध निस्चित है। 
अपराध लालच और आवश्यकताओं की जड़ है ।
ऐसी परिस्थितियों में घिरने , उलझने या अपनी संभावनाओं को तलाशने से बेहतर है कि आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की जाय ।

रविवार, 16 अगस्त 2020

रुसवाई

जिन रिश्तों में इज्ज़त , मान, सम्मान न हो। 
जिन रिश्तों में पीठ पीछे खिल्ली उड़ाई जाती हो ।
जिन रिश्तों में अनमने ढंग से बात की जाती हो ।
जिन रिश्तों में जाते ही हर किसी को बोझ महसूस होने
लगता हो, खामोशी सी छा जाए और बिना खुद बोले 
कोई कुछ बोलने को तैयार ही न हो ।
जिन रिश्तों में आप को हसी का पात्र बना दिया जाय ।
जिन रिश्तों में हर बात का कटाछ पूर्वक जवाब दिया जाय और ऐसी बात बोली जाय जो बे वजह हों जिनका बोलना न उचित हों और न जरुरी हों मन बढई में बोली जाए जो आप के दिल और दिमाग दोनों को दुखी कर दे तो ऐसे रिश्ते चाहे वो जन्म से पैदायशी मिले हों या आप ने खुद बनाये हों उससे चुपचाप मुंह मोड़ कर भूल जाना चाहिए इसी में भलाई होगी वरना ऐसे ही लोग अपने ही 
लोगों की बे वजह जग में रुसवाई करते फिरते हैं। 

मंगलवार, 11 अगस्त 2020

संतुस्टी

नास्तिकता से भरे हुए लोग भी हैं और आस्तिकता से भरे हुए लोग भी हैं दोनों की अपनी मान्यताएँ हैं दोनों के अपने विचार हैं धर्मों में भी लोगों की अपनी अपनी संतुष्टि है ।
फिर ऐसे में किसी को कुछ कहना अपनी बेवकूफी है ।
अगर किसी को कुछ कहना ही है तो उस वक़्त ही कहा जा सकता है जब आप नास्तिकता , आस्तिकता और सारे धर्मों को गहराई से समझ कर उसमें महारथ हासिल कर लें तब। 
तब उम्मीद है कि शायद ही आप किसी को कुछ कह सकें। उन्माद और जलन तो उनके अंदर पैदा होता है जो इन सब से अंजान हैं । बेहतर होगा कि लोगों के बहकावे में आने से पहले उसकी सच्चाई को जानने की कोशिश करें ।

सोमवार, 10 अगस्त 2020

कायनात

वक्त के आगे तुम एक तिनके के बराबर भी नहीं हो
जिसके आगे पूरी कायनात झुकती है ।

पानी

नायक-  "बारिश ने अपने पानी की चादर में ओढा कर मुझे भी। पानी पानी कर दिया ,। 

नायिका -  "और आप पानी की चादर ओढ़े 
हुए मुझे अपने आप से लिपटा कर मुझे भी पानी पानी
कर दिये हैं । अभी तक तो कुछ सुखा था कुछ गीला था
मगर अब तो सब कुछ भीग चुका है ,।

आदमी

हर आदमी अपने अपने चालाकी में लगा हुआ है ।
कोई ऊचाइयों को छू लेता है तो कोई गढहे में जा 
गिरता है । 

रविवार, 2 अगस्त 2020

शादी

शादी से पहले की जिंदगी और शादी के बाद की जिंदगी में अंतर होता है सब कुछ बदलने के साथ ही साथ मान्यताएँ और परंपराओं को भी ध्यान में रखते हुए उसे निभाना पड़ता है मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सिर्फ अपने मक़सद से मतलब है चाहे मान्यताएँ बिगडे़ या परंपराएं टूटे इन्हें समाज और लोक लाज किसी की परवाह नहीं  । शादी विवाह , मरनी करनी, व्रत त्यौहार इत्यादि में आना जाना आवश्यक है लेकिन कुछ परिस्थितियाँ हर जगह लागु नहीं होती जैसे आप की पत्नी त्यौहार मनाने अपने मायके चली जाए, दवा कराने अपने मायके चली जाए, हर सलाह मायके से लिए जाएं ये सब क्या है ?
अच्छे पति पत्नी के ये काम नहीं है अच्छे पति पत्नी मायका और ससुराल दोनों का ख्याल रखते हैं मगर समयानुसार । आप रोज मायके जाएं और लौट आएं ये अलग बात है । त्यौहार के अवसर पर या तो एक हफ्ता पहले जाएं या पन्द्रह दिन पहले और वहां रह कर त्यौहार मना कर आ सकती  हैं लेकिन ये काम बार बार न करें । एक बार की बात कुछ विशेष परिस्थितियों में आ जाता है । बार बार ऐसा करने से हास्यास्पद हो जाता है ।
मेरी दवा सिर्फ मयके में मिलती है ।
मेरे मायके में बहुत अच्छे अच्छे डाक्टर हैं ये भी बार बार कहना उचित नहीं है और न तो दवा कराने बार बार जाना ठीक है ऐसा करना रहस्यात्मक हो जाता है ।
ऐसा नहीं है कि हर कोई राम मनोहर लोहिया और पी,जी,आई के बगल में ही रहता है जब अटक जाती है तो पति ही अच्छा डाक्टर बताता है और ले भी जाता है ।
अगर आप किराये के मकान में रहती हैं तो आप त्यौहार 
मनाने अपने मायके या ससुराल जहां चाहें जा सकती हैं । अगर आप के ससुराल में कोई नहीं है आप अकेले हैं तो भी आप अपने घर जा सकती हैं ।
अगर आप ससुराल में अलग हैं और वहां के लोगों का व्यवहार आप के प्रति अच्छा नहीं है तो भी आप अपने 
घर जा सकती हैं । घर और ससुराल पति और परिवार सब का उचित ख्याल रखते हुए चलें कहीं ऐसा न हो की एक को बनाने में कई चीजें बिगड़ जाएं । कुछ चीजे बिगड़ जाएं तो कोई बात नहीं बनिस्बत उनके जिनका बना रहना आवश्यक है । जिससे आप को जीना है , जिसके साथ आप को जीना है ,और जहाँ आप को जीना है । इस बात का मनन करना और ध्यान देना आवश्यक है । विचारों में गंभीरता लाएं इसी में भलाई है । चाहे मायका हो या ससुराल किसी को तोड़ने की कोशिश न करे बेहतर यही होगा की दोनों को बनाए रक्खें । दोनों जगहों में अपना हस्तछेप न करें यह न सोचे कि एक टूटेगा तो दूसरा बचा रहेगा। दोनों टूटेगा फर्क सिर्फ इतना ही होगा की एक पहले टूटेगा तो दूसरा बाद में मगर टूटेंगे दोनो । बिखराव की बात सामने आने पर उसमें आग में खर डालने वाला काम न कर के उसे एक बने रहने की ही सलाह दे क्यों कि जो होना है वो तो होगा ही लेकिन अपनी वैल्यू और छवि को न बिगाडें। आप का आच्छा कर्तव्य और अच्छे विचार ही लोगों को याद आएंगे । संबंधों में आग लगाने वालों से हर कोई दूर रहना चाहता है ।