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सोमवार, 1 मार्च 2021

मुहब्बत में या किसी दुश्वारी में

बेबसी में या किसी लाचारी में ।
मुहब्बत में या किसी दुश्वारी में ।।
कुछ तो है , जो साथ लाई हूं ।
आज खुद चल के पास आई हूं ।।
अब न छोडुंगी मैं कभी तुमको ।
आज दिल से ये कसम खाई हूं ।।
जो बीत गई है उसे बीत जाने दो ।
नई सुबह नई किरन साथ लाई हूं ।।
अब अंधेरे का कोई ग़म मत करना ।
उजाला बन कर तुम पर मैं छाई हूं ।।
दिल को शीशे में मत ढालना जावेद ।
मैंने अक्सर इसे टूटते हुए ही पाई हूं ।।

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