मुहब्बत में या किसी दुश्वारी में ।।
कुछ तो है , जो साथ लाई हूं ।
अब न छोडुंगी मैं कभी तुमको ।
आज दिल से ये कसम खाई हूं ।।
जो बीत गई है उसे बीत जाने दो ।
अब अंधेरे का कोई ग़म मत करना ।
उजाला बन कर तुम पर मैं छाई हूं ।।
दिल को शीशे में मत ढालना जावेद ।
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