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शनिवार, 10 अप्रैल 2021

चुनाव जीतने का फंडा

 चुनावी त्यौहार में जिसने शाराब पिलाने की प्रथा शुरू की ।
जिसने चिकन और मटन खिलाने की प्रथा शुरू की । जिसने पैसे बांटने की प्रथा शुरू की , और वो बहुत सारे काम जिसे प्रत्याशी और मतदाता दोनों जानते हैं ।
हर बात कहना जरूरी नहीं है । ये सारे काम जिसने शुरू किया , उसके पटिदार , उसके खानदान , उसके हीत- मीत , उसके सपोर्टर , उसका भाई या उसका लड़का , जो भी हो जब प्रत्याशी के रुप में आएगा तो उसे भी इस प्रथा से हो कर ही गुजरना पड़ेगा । इससे कुछ और एक्स्ट्रा कर सकें तो और बेहतर होगा । अन्यथा मैदान छोड़ दें ।
जो शराब का सेवन नहीं करता । जो चिकन- मटन नहीं खाता । मेरे सर्वे में पता चला कि उन्हें कोई पुछने वाला नहीं है ।
क्या शाराबी लोग ही लोगों को चुनाव जिताते हैं ?
शुद्ध शाकाहारी और बिना मदिरापान करने वाले लोगों के सामने सिर्फ हाथ जोड़ लेने से काम नहीं चलेगा ।
मदिरापान का सेवन करने वाला हो या शाकाहारी सभी के सामने हाथ तो जोड़ना ही है , लेकिन हाथ जोड़ने से पहले अपने हाथ में एक लंबी नोंट लेकर मतदाता से हाथ मिलाएं । हाथ मिलाने पर अपने मुट्ठी में लिए नोट को उसके हाय मैं सटा कर उसकी मुट्ठी को बंद कर दें , इस क्रिया को सिर्फ आप और आप का मतदाता जाने ।
फिर इस बात को जरुर कहें कि अपना और अपने लोगों पर अपने स्तर से ध्यान दें ।
चुनाव जीतने के फंडे में सफल फंडा एक यह भी हो सकता है कि इस क्रिया को महिलाओं के साथ भी किया जाय जिससे महिलाएं अपनी कुछ जरूरी आवश्यकताएं पूरी कर सकें ।
यह रोटेशन एक दिन या एक रात ही सिर्फ न हो बल्कि यह रोटेशन डेली चलता रहे मतदान के दिन भी ।
अन्यथा चुनाव मत लड़े या फिर पांच वर्षों तक लोगों को अपना बनाएं । अपने आप को लोगों का विश्वासपात्र साबित करें यदि लोगों के विश्वासपात्र आप हो गये , तो चिकन मटन शराब पैसा इसकी कोई जरुरत नहीं । क्यों कि ये सब उनके लिए है जो अचानक कूद पड़ते हैं , और अपने धन के बल पर ही कूदते हैं । ऐसे लोगों को लूटने के लिए 90% लोगों को इंतजार रहता है ।
चुनावी बिगुल बजते ही प्रत्याशियों के एनलाईसिस शुरू हो जाते हैं । कौन किस लायक है और किस बेस पर उतरा है ।

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