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बुधवार, 14 अप्रैल 2021

किसे पकडूं और किसे छोड़ूं

मेरे अंदर मरऊवत भी है और मुझे जरुर भी है ।
दोनों से लगाव बेपनाह है । इन दोनों को छोड़ कर मैं जी ही नहीं सकता । समझ में नहीं आता कि किसे पकडूं और किसे छोड़ूं । जरूरत के लिए मरऊवत को छोड़ना पड़ेगा और अगर मरऊवत को पकडूं तो जरुरत हल नहीं होगी ।
क्या करुं ?
एक साथ दोनों का समावेश कभी कभी ज़हर बन जाता है ।
शब्दार्थ - मरऊवत - अपनापन , स्नेह , दया , दयावान ।

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