किसी की छोटी होती है , तो किसी की बड़ी होती है ।
अपनी आवश्यकताओं के अनुसार , अपने सोंच के दायरे में रहना ही बेहतर होता है ।
किसी की सोचों में , उसका दिल रखने के लिए , हां में हां न मिलाएं , और न तो उसकी आवश्यकताओं में , झूठे मददगार बनने की कोशिश करें ।
ऐसी हरक़त ! हमेशा के लिए आप को , उससे और उसके लोगों से दूर कर सकती है ।
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