hello my dear friends. mai javed ahmed khan [ javed gorakhpuri ] novelist, song / gazal / scriptwriter. mare is blog me aapka dil se swaagat hai.
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शनिवार, 23 जनवरी 2021
तुम जानते हो अपने अन्दर के झूठ और सच को
तुम जानते हो अपने अन्दर के झूठ और सच को । इस लिए कभी अपनी झूठी शान को "आंन " मत बनाना , क्यों कि झूठ का अपना कोई धरातल नहीं होता , इसे टूटने में ज्यादा वक़्त नहीं लगता , जब झूठी आंन , मान और शान टूटतीं हैं तो कलेजा मुंह को आ जाता है ।
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डायलॉग
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शुक्रवार, 22 जनवरी 2021
ऐसा रिश्क मत लेना कि जिससे तुम्हारा नुकसान हो जाय
मेरे लिए कभी ऐसा रिश्क मत लेना कि जिससे तुम्हारा नुकसान हो जाय , मैं तुम्हारे इस नुकसान वाले रिश्क में शामिल नहीं हो पाऊंगा । तुम्हारे रिश्क से अगर तुम्हारा भला या फायदा हो जाय , तो मैं तुम्हारे इस रिश्क में शामिल हो सकता हूं ।
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डायलॉग
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गुरुवार, 21 जनवरी 2021
मरना कोई नहीं चाहता
पाना तो सभी चाहते हैं ।
खोना कोई नहीं चाहता ।
लेना तो सभी चाहते हैं ।
देना कोई नहीं चाहता ।
जीतना तो सभी चाहते हैं ।
हारना कोई नहीं चाहता ।
जीना तो सभी चाहते हैं ।
मरना कोई नहीं चाहता ।
हक़दार होना तो सभी चाहते हैं ।
हक़ को निभाना कोई नहीं चाहता ।
ये सब , लोगों की चालांकी भरी मान्सिकता सिर्फ है । जब कि किसी के बस में कुछ भी नहीं है । सब कुछ उसके बस में है , जिसने इस दुनियां को बनाया है । वो जिससे जो करवाना चाहता है , करवा लेता है ।
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विचारात्मक लेख
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बुधवार, 20 जनवरी 2021
जब हालात नाजुक होते हैं
जब हालात नाजुक होते हैं तो सही और ग़लत का फर्क नज़र नहीं आता । ग़लत अल्फाज़ तो ग़लत होते ही हैं , मगर इस नाजुक हालात में सही अल्फाज़ भी दर्द देते हैं ।
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डायलॉग
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शनिवार, 16 जनवरी 2021
मनगढ़ंत के अर्थों में सारी जिंदगी भटकते रहोगे
जिस कालेज के तुम स्टुडेंट हो , उस कालेज में , मैं प्रोफेसर हूं । एक वाक्य के बहुत सारे अर्थ निकलते हैं । निर्अर्थक एवं मनगढ़ंत के अर्थों में सारी जिंदगी भटकते रहोगे , सही अर्थ जानने के लिए मेरे क्लास में तो आना ही पड़ेगा ।
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डायलॉग
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रविवार, 10 जनवरी 2021
अर्निंग के प्लेटफार्म भी मिल जाएंगे
मोबाइल पर न्यूज़ पढ़ते समय , यूट्यूब पर वीडियो या कोई न्यूज़ देखते समय बीच - बीच में एडवरटाइजिंग शुरु हो जाता है । इसी तरह टेलीविजन पर भी हर प्रोग्राम में एडवरटाइजिंग , फिल्म हो , सीरियल हो या न्युज चैनल बीच में एडवरटाइजिंग प्रस्तुत कर के बना बनाया मूड ख़राब कर देता है । क्या ऐसा नहीं हो सकता कि सारे एडवरटाइजिंग को पहले या बाद में दिखाया जाय ।
बीच - बीच में प्रचार को सैतनहट या भ्रमित करना कहा जा सकता है । इस तरह से भ्रमित करने के लिए लोग पैसा देते हैं । अखबार में प्रचार छापने पर अखबार वाले को पैसा मिलता है । टेलीविजन पर जीस चीज़ में प्रचार दिखाया जाता है उनको पैसा मिलता है । यूट्यूब पर जिसके चैनल पर प्रचार दिखाया जाता है , उनको भी पैसा दिया जाता है ।जिसके ब्लॉग पर प्रचार दिखाया जाता है , उनको भी पैसा दिया जाता है । क्या बिना प्रचार के उनकी इनकम नहीं हो सकती ? जब की कोर्ट में , मीटिंग्स में , और भी बहुत सारे प्रोफेशनल कामों में मोबाइल को भी स्वीच ऑफ करा दिया जाता है , कि किसी प्रकार का बाधा न पड़े तो फिर उपरोक्त लोगों को क्यों नहीं समझ में आता है कि हमारे दर्शक भी बाधित होते होंगे । क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि मोबाइल पर एडवरटाइजिंग का एक एप लांच हो जाए जिससे लोग उस पर एडवरटाइजमेंट दे सकें और जो एडवरटाइजमेंट को देखेगा उसे पैसा दिया जायेगा तो कैसा रहेगा ? । टेलीविजन पर एडवरटाइजिंग का चैनल बन जाय जो देखेगा उसे बैलेंस दिया जाएगा जिससे वे अपने टेलीविजन के मनपसंद चैनल्स को रिचार्ज कर सकें , तो कांटीन्यू किसी भी चीज़ को पढ़ा और देखा जा सकता है और लोगों को अर्निंग के प्लेटफार्म भी मिल जाएंगे ।
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मेरा विचार
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शनिवार, 9 जनवरी 2021
परिस्थितियों पर किसी का वश नहीं चलता
परिस्थितियों पर किसी का वश नहीं चलता , बुद्धिमानी इसी में है कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल लिया जाए ।
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डायलॉग
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बुधवार, 6 जनवरी 2021
मनोमस्तिस्क को विचलित कर देने वाली एक मानसिकता
इस दौर में , मनोमस्तिस्क को विचलित कर देने वाली , एक मानसिकता को मैं देख रहा हूं , कि लोग लोगों की जरूरतों को , मजबूरियों को , चाहतों को और सपनों को जानना चाहते हैं । इस को जानने के लिए बहुत क्लोज भी होना पड़े तो भी हो जाएंगे , ऐसा हर कार्य करेंगे जिससे आप को यह पूरी तरह से एहसास हो जाय कि इनसे बड़ा हमदर्द दूसरा हमारे लिए अब कोई और नहीं है । किसी के मन में क्या है । दिमाग में क्या चल रहा है । इस को जानने का कोई और आसान रास्ता नहीं है । इस लिए इसमें अगर कुछ वक़्त भी बर्बाद करना पड़े तो भी लोग अपना समय निकाल कर वक़्त देते हैं । जानकारी ले लेने के बाद खामोशी साध लेते हैं । कभी कभी दूरी भी बना लेते हैं , मगर दूर रहते हुए भी किसी न किसी माध्यम से आप के गतिविधियों की जानकारी रखते हैं ।
यह दूरी कोई कारण दिखा कर तुरंत भी बनती है , और धीरे-धीरे भी बनती है । धीरे धीरे जो बनती है , उसमें तमाम कामों के झाम बताए जाते हैं । कभी कभी तो भावनात्मक बातों को भी कहा जाता है , कि अब ऐसे तो काम चलेगा नहीं आप के लिए ही मैं प्रयास कर रहा हूं । जिससे आप को ये लगे की हम दोनों के लक्ष्य एक ही हैं । इन बातों को सुनकर खुद को महसूस होता है, कि चलो कोई बात नहीं है । मैं तो अभी व्यस्थ हूं , या मजबूर हूं , लेकिन ये तो लगा हुआ है ।
यह एक झांसा है । सच्चाई तो ये है कि वो अपना काम कर रहा है । अगर कहीं से कोई सोर्स आप का बन गया और आप ने अपने सपने को साकार कर लिया तो वो आप को ढूंढता हुआ आ जाएगा और ऐसा चिपकेगा कि जैसे पहले आप के दिल में घुसा था और सबसे बड़ा हमदर्द बन कर आप के दिलो-दिमाग पर राज किया था । और फिर यह कह कर दूरी बनाना शुरू कर दिया था , कि हम-दोनों के लक्ष्य तो एक ही हैं आप के पास समय नहीं है , या पैसा नहीं है तो क्या हुआ मैं आप के ही लक्ष्य को पाने का प्रयास कर रहा हूं जिसमें हम दोनों की भलाई है ।
अब वह अपने लक्ष्य को आप के द्वारा ही पूरा करेगा चाहे आप बर्बाद हो कर रोड पर क्यों न आ जाए इससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है ।
अगर आप वहीं पड़े हैं । जहां थे तो सारी जिंदगी वहीं पड़े रहेंगे । परिवर्तित होते समय के अनुसार यदि ऐसा ही चांस उसको मिल गया और उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया तो लौट कर फिर वो आप से मिलने नहीं आएगा , अगर अचानक कहीं मुलाकात हो गई , तो फिर मिलेंगे के साथ निकल लेगा और अगर समय रहा तो आप से वही बात करेगा जिससे यह झलक आएगी कि वो काफी परेशान है । आप चाह कर भी कुछ नहीं कह सकते ।
अगर आप से कोई काम लेना है , या आप के माध्यम से उसका कोई काम हो सकता है , तो आप को पहली मुलाकात में ऐसा कुछ नहीं बताएगा कि जिससे यह लगे कि अपनी जरूरत पड़ने पर आया है ।
आप से बहुत सारी बातों को करने के बाद आप के सपनों को , आप के जरुरतों को और आप के चाहतों को पुरा करने के लिए आप के सहयोग की बात करेगा जिससे लगेगा कि अब हम दोनों लोगों को साथ ही कम करना है ।
लेकिन ऐसा नहीं होगा वह आप के भावनाओं से खिलवाड़ करने आया है , अगर आप समझ गए तब भी दुखी होंगे और अगर नहीं समझे तो आप के सहयोग को लेकर अपना काम निकाल लेगा फिर अपना रास्ता पकड़ लेगा तब तो दुःखी होंगे न आप ।
अपने अंतर्मन की जिन चीजों को आप ने उससे शेयर किया था , वो आप की नीजी भावनाएं हैं । कभी कभी ऐसा भी होता है कि आप की नीजी भावनाओं को बिना आप से मिले , बिना आप के संपर्क में आए , बिना आप के क्लोज हुए भी जो लोग जान लेते हैं वे लोग भी आप से मिल सकते हैं , और ऐसे लोग जब मिलते हैं , तो वे डायरेक्ट आप की सारी बातों को अपने विचार के रूप में पेश करता है । ऐसे में आप को एहसास होता है , कि हम दोनों के विचार तो एक ही हैं । इस परिस्थिति में आप को उसके साथ जुड़ने में कोई दिक्कत नहीं महसूस होती , लेकिन चाहे ये व्यक्ति हो या वो
दोनों आप के भावनाओं की बुनियाद पर ही खड़े हो कर , आप की भावनाओं से आप को ब्लैक मेल करेंगे , आप को कैश करेंगे , और आप की भावनाओं से खिलवाड़ करेंगे ।
बाद में आप सब कुछ समझ कर भी कुछ नहीं कर सकते ।
बेहतर होगा कि आप अपनी इच्छाओं को और उन तमाम चीजों को जो आप की अपनी नीजी सिक्रेसी है , उसे अपने अंतर्मन में ही रक्खें । अचानक पहली मुलाकात में ही अगर दो लोगों के विचार आपस में मिलते जुलते हैं , तो यह आश्चर्य जनक नहीं है । आश्चर्य जनक तो तब हो जाता है कि जब बिना सोचे ही विचार मिलते ही तुरंत भावनात्मक ( इम्मोशनली ) जुड़ जाना । यहां आप को थोड़ा समय खुद में विचार करने के लिए निकालना आवश्यक है । ये वो मुकाम है । जहां आप के फैसले ही आप के आबादी और बर्बादी के जिम्मेदार होंगे । किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करना जिस्म से प्राण निकाल कर बेज़ान मुर्ती में परिवर्तित कर देने के बराबर होता है । जिसे मैं सिर्फ पाप ही नहीं बल्कि महा पाप समझता हूं । मेरा सुझाव - वादा तो किसी से कभी करो ही मत अगर करते हो तो वादे को नहीं बल्कि वादे की मर्यादा को तो बचाए रक्खो ।
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विचारात्मक लेख
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मंगलवार, 5 जनवरी 2021
जब समझ में नहीं आता तो बेबुनियाद लगता है
दुनियां में कोई भी सवाल बेबुनियाद नहीं होता । बस सवाल करने वाले का मकसद और उसका सवाल , जब समझ में नहीं आता , तो बेबुनियाद लगता है ।
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JAVED GORAKHPURI
सोमवार, 4 जनवरी 2021
किसी के बारे में सोचने की जरूरत क्यों पड़ती है
किसी के बारे में सोचने की जरूरत क्यों पड़ती है ?
कोई गहरा नाता हो सकता है ।
बहुत गहरा लगाव हो सकता है ।
कोई जरूरत या काम हो सकता है , या कोई स्वार्थ हो सकता है। इसके बारे में पहले खुद को समझना चाहिए ।
आप के द्वारा किया गया कार्य आप के जीवन के साथ साथ रहता है और जीवन के बाद भी रहता है ।
हर इंसान के जीवन में एक या दो ऐसे लोग होते हैं । जिनके साथ आप अपने आप को बिल्कुल खुले रुप से रखते हैं ।अपनी हर परिस्थितियों पर विचार विमर्श करते हैं । जो आप के जीवन में आने वाली हर परिस्थितियों में आप के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े रहते हैं , और साथ चलते भी हैं । यह बिल्कुल निस्वार्थ होता है , बस एक लगाव , आपसी अपनत्व और कर्तव्यों के निर्वहन का गहरा बोध , जिसे अच्छी तरह से एक दूसरे को महसूस होता है ।सही ग़लत का ज्ञान होता है । क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है ? कि आप के साथ आप के जीवन में ऐसा कोई है ? ।
जब कि मनुष्य का मस्तिष्क पल प्रतिपल बदलता रहता है ।
आज आप के लिए कोई विशेष है , आज आप किसी के बारे में सोचते हैं , तो क्या आप के प्रति उसके विचार कल भी वैसे ही रहेंगे ? जैसा आज आप उसके लिए सोंच रहें हैं ।
मैंने आप से कहा है कि मनुष्य का मस्तिष्क पल प्रतिपल बदलता रहता है , क्यों कि इसमें विचारों का प्रवाह लगातार चलता रहता है । ऐसी परिस्थिति में भी यदि कोई व्यक्ति आप से निस्वार्थ लगाव बनाए रखता है तो उसे कभी आजमाने की या उसके लिए ग़लत सुननें की आवश्यकता नहीं है ।
अपने स्वार्थ सिद्धी के लिए किसी को न सोचें , क्यों की आप अपना स्वार्थ तो सिद्ध कर सकते हैं , लेकिन यह उसके जीवन के साथ भी रहेगा और जीवन के बाद भी रहेगा । ऐसा नहीं है कि सिर्फ उसी के साथ रहेगा , उसके माध्यम से बहुत दूर तक जाएगा , इसी लिए जीवन के बाद भी रहेगा ।
बहुत गहरा लगाव होना कोई ग़लत चीज नहीं है लेकिन किसी भी तरह के लगाव को स्वयं सोचना आवश्यक है , एक दम से अंधे हो जाना लगाव के रूप को बदल सकता है जिससे ऐसा नुकसान उठाना पड़ सकता है कि जिसकी भरपाई शायद जीवन भर में न हो पाए ।
किसी के बारे में सोचने के लिए मेरी समझ से पांच ही कारण होते हैं जैसे - 1- किसी के बारे में सुन कर ।
2- किसी के व्यवहार को देख कर ।
3- किसी के बारे में जान कर ।
4- किसी से अपने काम निकालने के लिए ।
5- किसी से अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ।
इसी पांच चीजों में मैं समझता हूं कि सारी चीज़ें समाहित होती हैं । इसका विश्लेषण आप स्वयं कर सकते हैं । मैं विश्लेषण करने की आवश्यकता नहीं समझता ।
किसी के बारे में सोचने की आवश्यकता क्यों पड़ती है , वो इन्हीं पांच बिन्दुओं में जाकर समाहित होती है ।
अगर आप चाहते हैं कि मैं इन पांच बिन्दुओं को विस्तार से बताऊं तो आप कभी भी कमेंट बॉक्स में जाकर मैसेज कर सकते हैं ।
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विचारात्मक लेख
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शनिवार, 2 जनवरी 2021
कीचड़ उछालता था
मैंने वो चप्पल ही पहनना छोड़ दिया , जो मेरे पैर में ही रहता था , लेकिन पीछे से मेरे ही ऊपर , कीचड़ उछालता था ।
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डायलॉग
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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021
इस नए साल में सब कुछ नया और नये तरीके से होने की आशा करता हूं
मैं जावेद अहमद खान ( जावेद गोरखपुरी ) अपने ब्लॉग VOICE OF HEART - दिल की आवाज़ की तरफ़ से दुनियां में उन सभी लोगों को जो एक जनवरी से 1-1-21 को नया साल मना रहे हैं । उनको दिली मुबारकबाद ।
मेरी यही शुभकामनाएं और दुआ हैं कि आज साल के पहले दिन से सभी लोगों की शुरुआत अच्छी और सफलता पुर्ण हों । आप सभी लोगों की चाहते और सारे सपने भी पुरे हों ।
साल 2020 में जो कोरोनावायरस नामक बीमारी शुरू हुई है वो अभी पुर्ण रुप से समाप्त नहीं हुई है । इसके अलावा पुरी दुनियां में कुछ न कुछ प्राब्लम चल ही रही है जिसको देखते हुए अपने आप को सेफ रखते हुए लोगों के , गांव के , शहर के , देश के और दुनियां के भलाई और मानवता के बारे में सोचते हुए कोई पहल करने की कोशिश भी करें ।
अगर कुछ भी नहीं कर सकते हैं , तो अपने अपने धर्म के अनुसार प्रेयर , प्रार्थना और दुआएं तो कर ही सकते हैं ।
मैं भारत का रहने वाला हूं और भारत में ही रहता हूं । भारत वासियों के सामने बहुत सारी समस्याएं हैं । सभी समस्याएं एक साथ तो नहीं समाप्त हो सकती लेकिन मेरी ये दुआ है कि लाखों किसान जो इस ठंड में अपनी मांगों को लेकर खुले आसमान के नीचे बैठे हैं , उनका कोई समाधान वर्तमान सरकार ही निकाल सकती है । इस नए साल के शुभ अवसर पर यदि सरकार उनकी मांगों को इस अवसर पर गिफ्ट के रूप में अगर दे दे तो पुरे देश में , देश वासियों के बीच खुशी की एक लहर फैल जाएगी । वर्तमान सरकार की इस उदारिता को देश की जनता अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर अवश्य मानेगी ।
इस नए साल में सब कुछ नया और नये तरीके से होने की आशा करता हूं । आप सभी लोगों को धन्यवाद । अपना सुझाव देने के लिए मेरे ब्लॉग को फालो जरुर करें ।
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विचारात्मक लेख
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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020
कुछ भी हैरत नहीं है दुनियां में
कौन सी चीज खो दिया तुमने ।
आज़ बर्बस ही रो दिया तुमने ।।
चुभ रहा है तुम्हें , आज जो कांटा ।
उस को पहले ही , बो दिया तुमने ।।
कुछ भी हैरत नहीं है दुनियां में ।
मिल रहा है वही जो दिया तुमने ।।
अब चुप-चाप देखते सहते जाओ ।
दुखती रग को जो टो दिया तुमने ।।
वो तो हंसा करता था हर लोगों पर जावेद ।
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ग़ज़ल
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बुधवार, 30 दिसंबर 2020
वक़्त ऐसा भी आने वाला है
रब ने उसको अजीब ढाला है ।
सामने उसके चांद काला है ।।
जो भी देखे वो पूजना चाहे ।
रुप उसका बड़ा निराला है ।।
काट कर मैंने सख्त चट्टानें ।
रास्ता बीच से निकाला है ।।
हक़ भी जीने का छींन लेंगे लोग ।
वक़्त ऐसा भी आने वाला है ।।
चैन और नींद उड़ गई जावेद ।
रोग कैसा ये हमने पाला है ।।
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ग़ज़ल
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सोमवार, 28 दिसंबर 2020
रेगिस्तान की रेत उसे पानी से लहराती हुई झील नज़र आ रही है
वो प्यासा है । रेगिस्तान की रेत उसे पानी से लहराती हुई झील नज़र आ रही है । वो पानी पानी चिल्ला कर निढाल और पस्त हो चुका है । बस अब दम निकलना बाकी है ।आप सक्षम हैं , उसकी जान बचाने में , आप को सुचित कर रहा हूं कि उसे पानी दे कर उसकी जान बचा लें , लेकिन आप को मेरी बातों पर शक है । आप को प्रमाण चाहिए , जब-तक आप प्रमाण प्राप्त करेंगे तब तक उसके प्राण निकल जाएंगे । इसका क्या मतलब है ?
कोई मरता है तो मर जाए लेकिन आप को अपनी संतुष्टि लोगों के जान से प्यारी है ।
प्रमाण तो बाद में भी लिए जा सकते हैं । संतुष्टि तो जान बचाने के बाद भी की जा सकती है ।
आज यही हाल है किसानों का , ग़रीबों का और बेरोज़गारों का , बेरोज़गार और गरीब का क्या होगा ? ये तो बाद की बात है , लेकिन किसानों का कुछ भी नहीं होना है । वो चाहे सारी ज़िन्दगी ऐसे ही धरने पर बैठे रहे , जब सरकार ने कह दिया कि मैं बिल वापस नहीं कर सकता , कुछ संसोधन करने के लिए तैयार हूं तो बात स्पष्ट हो चुकी है ।
कोर्ट का मामला तो एक सुनहरा जाल है । कोर्ट में मंदिर , मस्जिद का भी मामला था , जिसपर पुरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थी , लेकिन इस निर्णय से जनता का विश्वास उठ चुका है । किसान का मामला भी इसी तरह से गुजरेगा ।
आज सिर्फ तीन चीजें ही मुख्य रूप से हाईजैक और हावी है जैसे किसान पर नौजवानों की लाठी , बैलेट गन , पानी की बर्षात और आंसू गैस , फोर्स लगा कर जनता को पिटवाना आम बात है । दूसरी चीज कोर्ट जो हम चाहेंगे वही होगा और तीसरी चीज ई,वी,एम, जहां जितनी सीटें चाहेंगे उतनी निकालेंगे सिर्फ ई,वी,एम ही बंद हो जाय तो सारे राज़ खुल जाएंगे और सत्ता बदल जाएगी ।
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विचारखत्मक लेख
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रविवार, 27 दिसंबर 2020
मैं उसकी चाहत से संतुष्ट हूं
रब की चाहत में ही मेरी चाहत है । खोना भी उसी के मर्जी से है, और पाना भी उसी के मर्जी से है , अब खोने का डर , और पाने की चाहत से मैं बहुत ऊपर उठ चुका हूं , इस लिए मैं उसकी चाहत से संतुष्ट हूं ।
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शनिवार, 26 दिसंबर 2020
मेरी औकात को कभी नापने की कोशिश मत करना
मेरी काबिलियत पर शक मत करना , और मेरी औकात को कभी नापने की कोशिश भी मत करना । तुम्हें जो जरुरत हो उसे मुझसे कहो , तुम मुझसे वो मांगो जो तुम्हें दुनिया का कोई भी व्यक्ति न पुरा कर सके , तुम्हे अगर किसी देश का बादशाह या किसी देश का प्रधानमंत्री भी बनना है । तो भी मुझसे कहो और इतना कहो , कि मैं तुम्हारी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए , अपने रब और उसके रसूल से मांगने के लिए मजबूर हो जाऊं ।
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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020
मेरी मुहब्बत की इन्तहा
ये एक अजीब विडंबना है या कि मेरी मुहब्बत की इन्तहा ।
अपने छोटे छोटे बच्चे अक्सर छोटे छोटे भाई नज़र आते हैं ।
मुहब्बत तो दोनों से बराबर ही है लेकिन जब यादाश्त कमजोर पड़ने लगती है , तो उसी बड़े , छोटे भाई का नाम मुंह से निकल पड़ता है । बचपन की यादें मरते दम तक नहीं जाती , मगर आज तक नहीं समझ पाया कि सब कुछ कैसे भूल कर किनारा कर लेते हैं लोग ।
जिस भाई ने अपनी उंगली पकड़ाकर चलना सिखाया था , और जिस भाई ने मेरी ऊंगली पकड़ कर चलना सीखा था जब दोनों की उंगलियां हमेशा के लिए छूट जाती हैं , तो मेरे जैसे एहसासमंद लोगों का , सिर्फ़ खाली जिस्म रह जाता है , मगर उसमें कोई जान नहीं रहती । तन्हाई , उदासी और खामोशी के काले बादल छा जाते हैं ।
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गुरुवार, 24 दिसंबर 2020
इससे ग़लत फहमियां बढ़ने लगती हैं
हर समस्याओं का समाधान है मुलाक़ात । और मुलाकात में जरुरी है उन सभी पहलुओं पर बात , जिनके कारण समस्याएं उत्पन्न हुई हैं ।
बहाने बना कर दूरी बनाना , इससे ग़लत फहमियां बढ़ने लगती हैं । जिससे शक मज़बूत होता चला जाता है ।
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बुधवार, 23 दिसंबर 2020
एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही
बहुत अच्छी दुनिया है ।
बहुत सारे स्वाद हैं ।
बहुत तरह के लोग हैं ।
बहुत तरह के आनन्द हैं ।
बहुत सारे सपने हैं।
बहुत सारी ख्वाहिशें हैं ।
बहुत ही आकर्षक और आस्चर्य जनक भूल भुलैया है । दुःख है ,
सुख है ,
हंसना भी ,
रोना भी ,
अपने भी हैं ।
अपनत्व भी है ।
और प्रेम भी है ।
बचपन भी है ।
लड़कपन भी है ।
जवानी भी है ।
बुढ़ापा भी है ।
यहां स्वर्ग भी है ।
यहां नर्क भी है ।
सब कुछ तो है ।
झूठे को सच्चा भी किया जाता है
और सच्चे को झूठा भी किया जाता है ।
सिर्फ एक सच्चाई है ,
जिसे कभी कोई झुठला न सका
और न तो कोई झुठला पाएगा ,
वो है मौत ।
सब कुछ होने के बाद भी अमरत्व यहां नहीं है ।
कोई अमर नहीं रह सकता ,
आखिर मरना तो है ही ।
एक दिन इस दुनियां को छोड़ना तो है ही ,
लेकिन उस घड़ी ,
उस मुकाम,
और उस कारण को भी कोई नहीं जानता ।
जिस जगह ,
जिस समय ,
जिस कारण से मरना है ।
यह सोंच कर सारी आशाएं निराशा में बदल जाती हैं ।
सारी ख्वाहिशें खत्म सी लगती हैं ।
सारी इच्छाएं कमजोर पड़ जाती हैं ।
दुनिया खाली खाली और वीरान सी लगने लगती है ।
सारे सुर संगीत रोने पिटने जैसी सुनाई पड़ने लगती है ।
मन को बहलाने या वक़्त को काटने का कोई रास्ता नहीं रहता लेकिन स्वयं से मर भी नहीं सकते ,
इस लिए उसी में आ कर डूबना और खोना पड़ता है
जिसमें पुरी दुनियां डूबी और खोई है ,
लेकिन अपने ईमान और अपनी सच्चाई को बचाते हुए ।
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