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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

दुनियां में भी बिगड़ता है और वहां भी बिगड़ता है

तुम सोचते हो कि मैं उसका बिगाड़ रहा हूं ।
दुनियां में तो जरुर उसका कुछ बिगड़ता है , क्यों कि तुम दिन रात सिर्फ उसके बिगाड़ने में ही लगे रहे , लेकिन वहां उसका बनता रहा जहां उसे इस दुनियां को छोड़ कर एक दिन जाना है । उसके लिए वहां तुमने ही बनाया है । यहां उसका बिगाड़ कर ।
जब किसी का बिगाड़ते हो , तो तुम्हारा दुनियां में भी बिगड़ता है , और वहां भी बिगड़ता है ।

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

बिना माध्यम के कुछ भी नहीं है

जन्म भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
मृत्यु भी किसी के माध्यम से ही होती है ।
नसीब भी किसी के माध्यम से ही बदलता है ।
अपमान भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
सम्मान भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
दुःख और कष्ट भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
खुशियां और आनन्द भी किसी के माध्यम से ही मिलती हैं ।
शोहरत और दौलत भी किसी के माध्यम से ही मिलती हैं ।
कामयाबी भी किसी के माध्यम से ही मिलती है ।
नाकामयाबी भी किसी के माध्यम से ही मिलती है ।
होंठों पर मुस्कान और आंखों में आंसू भी किसी के माध्यम से ही आते हैं ।
इंसान के सपने भी किसी के माध्यम से ही पुरे होते हैं ।
इंसान अपनी मंजिल भी किसी के माध्यम से ही पाता है ।
जिंदगी के हर पल में । जिंदगी के हर मोड़ पर । जिंदगी के हर काम में एक माध्यम ही होता है ।
मानता हूं कि सब अल्लाह , ईश्वर के मर्जी से ही होता है ।लेकिन वो स्वयं कभी सामने आकर कुछ नहीं करता , क्यों कि आप मानव हैं । इस लिए मानव का माध्यम मानव को ही बनाता है । बिना माध्यम के कुछ भी नहीं है , न कुछ होता है और न तो कुछ होगा ।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

सफलता , कामयाबी कैसे मिलती है ?

सफलता , कामयाबी कैसे मिलती है ? लोग कामयाब नही होते उनके सपने उनको कामयाब बनाते हैं । सपनों को कामयाब करने के लिए उसमें इतना डूब जाओ कि उस सपने में जान पैदा हो जाय ।
जिस दिन आप के सपनों में जान पैदा हो जाएगी , उस दिन आप अपने सपनों के सहारे कामयाब हो जाएंगे ।
सपना तो आप की मंजिल है और आप उस मंजिल के माध्यम । जितना मजबूत सपना होगा उतनी ही मजबूती से आप को अपने सपने का मजबूत माध्यम बनना होगा , वर्ना आप तो रह सकते हैं , लेकिन हो सकता है कि आप के सपने सिर्फ आप की कल्पना बन के रह जाएं ।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

पाप की दुनियां बहुत ही आकर्षक और रंगीन होती है

एक पाप से एक हज़ार पुन्य के रास्ते बंद होते हैं ।
एक पुन्य से एक हज़ार पाप के रास्ते बंद होते हैं ।
पाप और पुण्य का फर्क दिमाग कम दिल ज्यादा करता है ।
अब यह फैसला आप के ऊपर निर्भर करता है कि आप कौन सा रास्ता खोलना चाहते हैं और कौन सा रास्ता बंद करना चाहते हैं ।
पाप की दुनियां बहुत ही आकर्षक और रंगीन होती है ।
इससे बाहर निकलना संभव 1% होता है । असंभव 100% होता है ।
इसमें चाहतों के अनुसार आनंद है । इसमें से बाहर निकलना कोई जल्दी नहीं चाहता और न तो ये रंगीन दुनियां बाहर निकलने देती है ।
पुण्य की दुनियां ब्लैक एण्ड व्हाईट होती है । इसमें आनंद और रंगीनियां नाममात्र के लिए होती है । इसमें कष्ट , दुःख ज्यादा होता है । अक्सर लोग घबरा जाते हैं , फिर भी जो लोग पाप और पुण्य के फर्क को समझते हैं वे हर परिस्थितियों को झेलते हुए भी पुण्य के रास्ते को कभी , न छोड़ते हैं और न छोड़ पाते हैं ।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

धर्म का नाम आते ही लोग शांत क्यों हो जाते हैं ?

धर्म का नाम आते ही लोग शांत क्यों हो जाते हैं ?
या फिर बहुत ज्यादा बोलने लगते हैं ।
क्या धर्म लोगों को आकर्षित करता है ? या 
लोग धर्मों से आकर्षित होते हैं ?
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर आस्था और विश्वास का यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है ।
इसी आस्था का , इसी विश्वास का , लाभ लेने के लिए कुछ ना समझ लोग , कुछ लोगों को उन्मादी बना देते हैं ।
उन्माद फैलाने वाले लोगों को धर्मों की कोई जानकारी नहीं है । इन्हें जो बता दिया जाता है । इन्हें जो समझा दिया जाता है , उसे मान लेते हैं , क्यों कि ये लोग परंपरागत तौर से आस्था वादी है । ये पुर्ण विश्वास कर लेने वाले होते हैं ।
इनमें कुछ पढे लिखे लोग भी हैं , और कुछ अनपढ़ भी हैं ।इन दोनों को धार्मिक जानकारी पढ़ कर लेने की जरूरत नहीं महसूस होती सिर्फ लोगों के द्वारा सुन कर मान लेते हैं , और विश्वास कर लेते हैं ।
इसे कहते हैं धर्म से आकर्षित होना और आकर्षित हो कर बधे रहना । शांत वही लोग होते हैं , जो लोग कुछ जानते हैं । या पूरी जानकारी रखते हैं ।
जो बहुत ज्यादा बोलने लगते हैं , वो ज्यादा लोगों से उन्मादी बातों को धर्म के नाम पर सुन- सुन कर अपने आप को ज्यादा जानकार समझ बैठे हैं ।
ऐसे लोगों को जब कोई ज्ञ्यानी मिल जात है , तो इन्हें पता ही नहीं चलता कि ये कौंन हैं ? उनकी सुनने के बजाय अपनी सुनाने लग जाते हैं , जैसे खुद ही महा ज्ञ्यानी हो चुके हैं ।
अंत में ऐसे लोगों से ज्ञ्यानी जी हाथ जोड़ कर छमा मांग लेते हैं , और बहुत ही साधारण शब्दों में यह कह कर उठ जाते हैं कि श्रीमन मैं ही ग़लत हूं , मैं अपनी हार मानता हूं , और आप की जीत हुई क्यों कि आप ज्ञ्यानी नहीं बल्कि महा ज्ञ्यानी हैं ।
कभी फुर्सत के वक़्त मिले , तो आप से ज्ञ्यान प्राप्त करने के लिए आप से अवश्य मिलेंगे । इतनी सी बातों में ही सुनी सुनाई ज्ञ्यान वाले अपनी खुशी में गदगद हो जाते हैं ।
मुझे लगता है , कि ऐसे धार्मिक लोगों की संख्या ज्यादा है ।
यही वजह है , कि ऐसे लोगों को उन्मादी बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता । जो समझा देंगे जो सुना देंगे उसमें वे पूरी आस्था के साथ धर्म के नाम पर विश्वास कर के चल पड़ते हैं । जरूरत है लोगों को सही दिशा देने की जिससे सभी को गुडफील हो सके । आज कोई धर्म ख़तरे में नहीं है
न था और न रहेगा । ख़तरे में सिर्फ लोग हैं और हो सकता है कि तब-तक रहें जब-तक सभी धर्मों के लोगों को आदर और सम्मान पुर्वक समझने की कोशिश नहीं करेंगे ।
एक दूसरे को समझने से ही पता चलेगा कि कौंन सा धर्म किस धर्म के लोगों के लिए उन्माद का पाठ पढ़ा रहा है ।
इस अखन्ड भारत को ही मैं पूरे विश्व के रूप में देखता हूं
जहां सभी धर्मों के लोग बसते हैं । आस्था वादी भी हैं और नास्तिक भी हैं । विभिन्न प्रकार के त्योहार , विभिन्न प्रकार के परिधान , विभिन्न प्रकार के खान पान और विश्व के सारे मौसम । अखंड भारत का नागरिक विश्व के किसी भी कोने में किसी भी मौसम में अपने आप को जीवित रख सकता है। लोगों को चाहिए कि विश्व में जाकर अपने कल्चर और धर्म को फैलाएं , न कि एक ही तालाब में रहते हुए उस तालाब को अपने अधीन समझ कर अपना साम्राज्य समझ बैठें क्यों कि एक तालाब में बहुत सारे जीव जंतु होते हैं ।
ख़तरा सभी को एक दूसरे से बना रहता है चाहे छोटा जीव हो या बड़ा ।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

समस्या कहीं से बन कर नहीं आती है

समस्या कहीं से बन कर नहीं आती है ।
अपने ही बीच से समस्याएं पैदा होतीं हैं , और अपने ही बीच समस्याएं खत्म भी होतीं हैं ।
कुछ लोग हैं जो समस्याएं पैदा करना जानते हैं , मगर अपने ही पैदा किए हुए समस्याओं को हल करना नहीं जानते ।
कुछ लोग हैं जो समस्या पैदा करना नहीं जानते , लेकिन समस्याओं को हल करना बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ।
सर्वगुणसंपन्न कोई नहीं होता , कुछ न कुछ कमियां सभी के अन्दर होती हैं ।
सीख हमें हर क़दम पर हर इंसान से मिलती है । 
किसी की  निन्यानबे अच्छाईयों को छोड़ कर एक कमी को पकड़ कर देखेंगे तो वो निन्यानबे अच्छाईयां नज़र नहीं आएंगी , और यदि निन्यानबे अच्छाईयां पकड़ कर देखेंगे तो वो एक कमी धुमिल पडजाएंगी जो नज़र नहीं आएंगी ।
अब आप के ऊपर निर्भर करता है , कि आप सीखना क्या चाहते हैं ? अच्छाईयों को या बुराईयों को ।
अच्छाई भी साथ होती है और बुराई भी साथ होती है ।
जब जिस चीज़ का परसेंटेज ज्यादा हो जाता है , तब उसका परिणाम भी वैसा ही सामने आने लगता है ।
अच्छाईयों के परसेंटेज को बढ़ाना ही बुद्धिमानी और सफलता है । हर तरह के लोग हैं यहां । कुछ तो राह चलते अच्छाईयां दे जाते हैं , और कुछ लोग तो बुराईयां राह चलते दे जाते हैं । 
जैसा फूल होता है , वो वैसी ही खुश्बू बिना मांगे ही फैलाता है  । जैसे लोग होते हैं , वे वैसे ही विचार बिना किसी के कहे ही फैलाते हैं ।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

मरने के बाद अन्तिम संस्कार कितने प्रकार के होते हैं ?

मरने के बाद अन्तिम संस्कार कितने प्रकार के होते हैं ?
इस दुनियां में मरने के बाद अन्तिम संस्कार तरह तरह से होते रहे हैं ।
कुछ पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार , कुछ विचारों के अनुसार , कुछ हालात और वहां के परिवेश के अनुसार जैसे
1- ममी बना कर गुफाओं में रखना या ताबूत में रख कर ज़मीन में दफना देना ।
2- जल में प्रवाहित कर देना । आदि इत्यादि ।
दुनियां में मरने के बाद अन्तिम संस्कार मुख्यतः चार प्रकार से ही किये जाते हैं ।
1- मृत्यु शरीर को ज़मीन के अन्दर दफ़ना कर ।
2- मृत्यु शरीर को जला कर ।
3- अपने लोगों को बुला कर , मृत्यु शरीर को पका कर खा कर खतम कर देना ।
4- पशु पक्षियों को खिला कर । मृत्यु शरीर को ऐसी जगह रख दिया जाता है कि जिसे जानवर और पंक्षी खा कर खतम कर देते हैं ।


शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

विचार का होना और एहसास का होना दोनों में अंतर है

वो भी एक वक्त था जब तुम उसको , मुझको , या किसी को अपने करीब आने देना नहीं चाहते थे । ये भी एक वक्त है जब तुम उसको, मुझको , या किसी को अपने पास से जाने देना नहीं चाहते ।
आखिर ये है क्या ? या ऐसा क्युं होता है ?
जब तुम उसको , मुझको , या किसी को अपने करीब आने देना नहीं चाहते थे तो वो तुम्हारा अपना एक निजी विचार था । लेकिन जब तुम अपने करीब से उसको , मुझको , या किसी को जाने देना नहीं चाहते तो ये उसका , मेरा , या किसी का गहरा एहसास है जिसे तुमने अपने करीब पा कर किया है ।
विचार का होना और एहसास का होना दोनों में अंतर है ।
विचार सुन कर और देख कर बनते हैं ।
एहसास करीब रहने से और व्यवहार से होते हैं ।

रविवार, 7 फ़रवरी 2021

प्रेस रिपोर्टर / सोशल मीडिया रिपोर्टर

प्रेस रिपोर्टर दैनिक अखबार के भी हैं । साप्ताहिक अखबार के भी हैं । महीने में एक बार निकलने वाले अखबार के भी हैं । इनको प्रेस से मिलता क्या है ?
मुझे लगता है यह बताने की जरूरत नहीं है । इनके संघर्ष को भी आप लोग देखते और जानते हैं ।
कभी कभी जान भी चली जाती है । कैमरे तोड़ दिये जाते हैं । मार भी खानी पड़ जाती है । यह काम पुरी इमानदारी से किया जाय तो बहुत जोखिम भरा भी है और जोखिम उठाना भी पड़ता है ।
जीवन में बहुत ज्यादा संघर्ष करने के बाद अगर सुरक्षित रहे और अगर मान्यता प्राप्त हो गई तो कुछ सुविधाएं मिल जाती हैं वर्ना कमाने के लिए तो किसी का होना ही पड़ता है । और आज रिपोर्टरस की क्या छवि है ? किस नजरिए से देखे जाते हैं , यह सभी को पता है ।
खैर एक रिपोर्टर और है जिसे सोशल मीडिया पर लोग देखते हैं ।
इन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती है । इनका कैमरा भी नहीं टूटता , मार भी नहीं पड़ती , न तो जोखिम ही उठाना पड़ता है । अपने बेडरूम में ही पड़े पड़े नेट से सारीे रिपोर्ट निकाल लेते हैं और अपने यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कर देते हैं ।
ऐसा लगता है , कि इनसे ज्यादा मेहनत कोई करता ही नहीं , इनसे ज्यादा जोखिम कोई उठाता ही नहीं ।
अपने न्यूज़ को क्लिक और बूम कराने के लिए बे वजह के अनाप-शनाप टाईटल भी डाल देते हैं ।
ऐसे में इनके चैनल के न्यूज़ क्लिक भी होते हैं और बूम भी कर जाते हैं , जिससे अच्छी कमाई भी होना शुरू हो जाती है । ये लोग फिल्ड वर्कर नहीं हैं और न तो फिल्ड का कोई अनुभव होता है ये लोग सिर्फ कांपी पेस्टर हैं ।
न्यूज़ को कांपी कर के पेस्ट कर देना और ज्यादा कुछ करेंगे तो आवाज़ भी डाल देंगे , ऐसे लोग भ्रमित भी करते हैं ।
भारत में बढ़ते एंड्रॉयड , स्मार्टफोन एक अलग ट्रैंड पकड़ता जा रहा है । हर वर्ग हर आयु के लोगों की आवश्यकता बनती जा रही है , जिसमें कुछ न कुछ तो लोगों को देखना ही है । इसी में क्रियेटर्स भी हैं और वीवर्स भी ।
अखबार के रिपोर्टर की छवि जैसे दिन ब दिन गिरती जा रही है उसी तरह सोशल मीडिया के रिपोर्टर की भी चालाकियां लोगों की समझ में आती जा रहीं हैं । ऐसा नहीं है कि बाग के बाग ही कोपलासी हो गये हों , कुछ पत्रकार आज़ भी हैं जो अपने वसूलों से समझौता नहीं करते , वैसे ही कुछ सोशल मीडिया पर न्युज चैनल भी हैं , जो बंद भले हों जाय मगर कांपी पेस्ट नहीं कर सकते और न तो फेंक हेडिंग डालते हैं ।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

जब कोई निगाह से दूर होता है

जब कोई निगाह से दूर होता है तो फोन पर बहुत सारी बातें करना आ जाता है । इतनी बातें होने लगततीं हैं कि रखने का मन नहीं होता भले ही बैट्री बैठने लगे या नेटवर्क छोड़ने लगे या आवाज़ फंसने लगे लेकिन बात नहीं खतम होती ।
जब सामने आ जाते हैं तो बोलती बंद हो जाती है कोई बात नहीं रहती और न ज्यादा आवाज़ निकलती है ।
फोंन पर तो डाटा कटता है और वाइस चार्जेस भी लगाते हैं । लेकिन आमने-सामने होने पर कोई चार्जेस नहीं लगते फुर्सत भी रहती है और फ्री की बातें भी मगर बहुत कम लोग ही इसका लाभ लेते हैं । फोंन पर बातें करना लोगों की आदत सी बन गयी है ।