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सोमवार, 31 मई 2021

कुछ भूल जरुर हुईं हैं

आप मुझसे मेरे एहसानों की तारीफ न करें ।
मैं नेकियां , मदद और भलाई कर के याद नहीं रखता ।
ये तो तुम्हारा हक़ और नसीब था , कि मुझे अल्लाह ने आप के जरुरतों का माध्यम बनाया कि मुझसे आपकी जरुरतें पूरी हुईं और आप को खुशी मिली । मैं तो सिर्फ इस बात को सोचता और याद रखता हूं , कि मुझसे गल्तियां नहीं बल्कि कुछ भूल जरुर हुईं हैं , जो दुबारा न हों इस कोशिश में लगा रहता हूं ।

शनिवार, 29 मई 2021

फिरौन बादशाह । एक दौर ऐसा भी गुज़रा है

एक दौर ऐसा भी गुजरा है , जिस दौर में राज़ा , नवाब और बादशाह की हुकूमत हुआ करती थी ।
हिरन , मोर , तीतर , बटेर , और शुर्खाब के शिकार होते थे और उनसे तरह- तरह के स्वादिष्ट मीट पकवाये जाते थे ।
इसके लिए राजाओं के पास स्पेशल भंडारी और नवाब एवम बादशाहों के पास स्पेशल बावर्ची रक्खे जाते थे ।
अशर्फियों से दाल फ्राई होती थी । दांतों में फंसी हुई चीज़ को निकालने के लिए सोने की तिल्ली का इस्तेमाल किया जाता था ।
तीन सौ पैंसठ रानियां । कुछ लोगों के पास हजारों रानियां फिर उसपर से पट रानियां । एक का नंबर अगर अपने पति के साथ रात गुजारने का आ गया तो फिर साल भर बाद ही आएगा , लेकिन उनका क्या ? जिनके पास हजारों रानियां थीं । पता नहीं अपनी पुरी जिंदगी में दुबारा साथ रहने का अवसर आया होगा या नहीं ?
आज़ कहां हैं वो लोग ? कहां गया वो दौर ? एक वही बचा हुआ है । फिरौन बादशाह जिसे देख कर जिसके बारे में पढ़ कर यह लगता है , कि जो गुज़रे हुए दौर है , जो गुजरी हुई दास्तानें है , वो सही हैं , बनिस्बत इसके कि उन दास्तानें में किसी भी तरह का यदि परिवर्तन न किया गया हो ।

फिरौन को जिसने दुनियां में भेजा है , वही उनको आज़ भी दुनियां में क़ायम रक्खा है , और क़यामत ( प्रलय ) तक क़ायम रक्खेंगा ।
लेकिन आज़ उसकी हवेली , उसका राजदरबार , उसका सब कुछ लोगों ने ले लिया है । लावारिश लाश में परिवर्तित हो कर ठेले पर पड़ा हुआ है । पहले जिस म्युजिअम ने उसे रक्खा था , सुना है कि अब उसने भी म्युजिअम से बाहर निकाल दिया है ।
बेहतर होता कि उसे उसके राजदरबार में ही रक्खा जाता ताकि लोग उसका राजदरबार भी देखते ।
काश अगर उसके अंदर जान आ जाए तो वहां के लोग उसके गुलाम होंगे और उसकी बादशाहत पुनः क़ायम हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं होगा । मगर उसके देश में आज़ की हुकूमत को चाहिए कि उसकी हर एक चीज़ को महफूज़ रक्खें जिससे लोग उसे देखने के बाद उससे जुड़ी हुई उसकी हर चीज़ को देख सकें और उसके बारे में सोचें कि ऐसा उसके उसके साथ क्यूं हुआ ? , जिसकी वज़ह से उसकी मरी हुई शरीर को न पानी अपने अन्दर समाने देती हैं , न ज़मीन अपने अंदर दफनाने देती है और न तो आग उसे जला पाती हैं ।
फिरौन की कहानी बहुत लंबी है , मैं उनकी कहानी नहीं सुनाना चाहता हूं । अगर आप को इनके बारे में डिटेल जानना चाहते हैं तो नेट पर सर्च कर के देख और पढ़ सकते हैं । मैंने गुज़रे हुए दो चार पल को बताया है , वो सिर्फ इस लिए की बीते हुए दौर में और आज के दौर में थोड़ा नहीं , बहुत फासला है । वो दौर उसी तरह का था जिस तरह के लोग थे । आज दौर वैसा है , जैसे लोग हैं ।
बहुत सारे लोग अल्लाह के ताक़त पर नतमस्तक नहीं हैं ।लेकिन मैं तो पूरी तरह से हूं , सिर्फ एक फिरौन को देख कर नहीं बल्कि बहुत सारी बातें सुन कर और पढ़ कर ।
इस दुनियां में मरे हुए लोगों का गुजारा नहीं है , लेकिन फिरौन आज़ भी दुनियां में क्यूं है ? और ये (प्रलय) क़यामत तक ऐसे ही रहेगा । दुनियां में कोई ऐसी ताकत नहीं है कि फिरौन बादशाह के इस मृत्यु शरीर को खत्म कर दें ।
तुम्हारी ख्वाहिशें छोटी हो या बड़ी ।
तुम्हारे सपने छोटे हों या बड़े ।
इस दुनियां में तुम्हारे जीने की उम्र छोटी हो या बड़ी ।
तुम्हें वही मिलेगा और तुम वही करोगे जो अपने नसीब में लेकर आए हो ।

गुरुवार, 27 मई 2021

हर किसी को नहीं मिलता

शराफ़त एक प्रकार का धन है , जो हर किसी को नहीं मिलता । जिसे नहीं मिलता , वो शराफ़त का खोल पहन लेता है । लेकिन काम वही करता है , जैसा वो खोल के पीछे है ।

बुधवार, 26 मई 2021

निगेटिविटी से भरे हुए लोग

निगेटिविटी से भरे हुए लोग तुम्हें हर क़दम पर मिलेंगे लेकिन , एक पाजेटिव सोंच ही है जो तुम्हें हर तरह के डर से बाहर निकाल सकती है ।

सोमवार, 24 मई 2021

दुनियां को छुड़ा देता है

जो ज़हर पी के मरा उसमें दुःख और आस्चर्य क्या ?
जो अमृत पी के मरा इसका दुःख भी है और आश्चर्य भी ।
अब यह मत कहना कि विभिषण यदि श्री राम जी से न मिले होते तो रावण कभी मारा नहीं जात ।
रावण को तो मरना ही था क्यों कि यह महिमा उस ईश्वर की थी जिसने विष और अमृत दोनों इस जगत में भेजा था ।
आप जानते हैं कि यह मृत्यु लोक है , जो यहां आया है उसे यहां से जाना भी है और वो भी कोई न कोई कारण के साथ फिर अमृत को यहां क़ायम रहने का कोई औचित्य नहीं है ।
हां विष तो क़ायम रहेगा क्यों कि विष बड़े ही आनंद के साथ दुनियां को छुड़ा देता है ।

मंगलवार, 18 मई 2021

राजा के बच्चों को

राजा के बच्चों को नगारी नहीं पाल पाते ।
हां राजा के राज को , नगारी बेचने खाने और लूटने में बहुत आगे होते हैं ।

सोमवार, 17 मई 2021

आग को आग लिक्खूं

आग को आग लिक्खूं पानी को पानी लिक्खूं  ।
मैं की शायर हूं तो क्यूं  झूठी कहानी  लिक्खूं ।।

जिन्को सुन्ते ही बुझ उठते हैं मुहब्बत के चिराग  ।
क्या   जरुरत   है   वही   बात   पुरानी  लिक्खूं ।।

हज़ारों शक्ल में देखा है रात दिन तुझको ।
जिंदगी बोल तेरे कितने  मआनी  लिक्खूं ।।

रंग सब आप  पे  सजते  हैं  पहन लें जो भी ।
सब्ज या लाल लिक्खूं ज़र्द या धानीं लिक्खूं ।।

मेरा  दावा  है  मिला  है  न  मिलेगा  " जावेद " ।
कौन है जिसको की मैं आप का सानी लिक्खूं  ।।

शुक्रवार, 14 मई 2021

तेरा ग़म पहले

ईद का जश्न मनाऊं या तेरा ग़म पहले ।
कश्म कश का न था ऐसा कभी आलम पहले ।।

खुश्क पत्तों को जला देती है शोलों की लपट ।
शब्ज पत्तों को भिगो देती है शबनम पहले ।।

कत्रये आब से जल जाएंगे सावन में सजर ।
मैंने देखा न था ऐसा कभी मौसम पहले ।।

मुझ पे थीं जिसकी इनायत बहुत कम पहले ।
आंख उस शोख की हो जाती है अब नम पहले ।।

ज़ख्म भी देने का अंदाज़ नया है जावेद ।
जा ब जा जिस्म पे रख देता है मरहम पहले ।।

गुरुवार, 13 मई 2021

अपने आप को मिटाते जा रहे हो

उसने मेरी हस्ती ही कुछ और बनाई है , कि तुम मुझे मिटाने में अपने आप को मिटाते जा रहे हो और वो मुझे बनाने के लिए खड़ा है ।

बुधवार, 12 मई 2021

एक लोटा पानी

प्यास बुझाने के लिए एक लोटा ( जग ) पानी काफी है ।
मुझे क्या पता था कि ये पानी मेरी जरुरत बन जाएगी ।
जिंदगी भर प्यास लगेगी , और जिंदगी भर पानी की जरुरत पड़ेगी ।

निष्कर्ष-   यहां बात सिर्फ पानी और प्यास की ही नहीं है ।
जिंदगी में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं , जो एक प्यास की तरह शामिल हो जातीं हैं और जिंदगी से आखरी दम तक नहीं जातीं ।

शनिवार, 1 मई 2021

हर इंसान का सपना होता है

हर इंसान का सपना होता है , कि उसकी शादी हो ।
हर इंसान का सपना होता है , कि उसके बच्चे हों ।
हर इंसान का सपना होता है , कि उसका एक घर हो ।
ज़मीन जायदाद हो , शोहरत और दौलत भी हो ।
अपनी इच्छा के अनुसार अपनी जिंदगी को जी सकें । 

बहुत कम लोग हैं । जिनके पास सब कुछ हो जाता है ।
अधिकांश लोगों को तो अपना एक घर बनाने में ही जिंदगी गुजार जाती है । तमाम लोग पिता के बनाए हुए घर में जिंदगी गुजार देते हैं ।
कभी आप ने इस बात को सोंचा कि आप के बच्चों का क्या होगा ?

आप के पिता का बनाया हुआ घर हो या आप का बनाया हुआ हो , अगर आप के पास एक ही औलाद है , तो कोई बात नहीं , लेकिन अगर दो चार हैं तो क्या होगा ?

आप का वही एक घर जिसे आप ने या आप के पिता ने अपने हिसाब से अपनी सुविधा के अनुसार बनाया है । एक दिन वही घर ऊन दो चार बच्चों के विवाद का कारण बन जाएगा , क्यों कि आज आप संयुक्त परिवार में हैं और तभी तक रह सकते हैं , जब-तक आप के बच्चों की शादियां नहीं हुई हैं । जब शादीयां हो जायेंगी तो उन्हें भी अपना घर-बार बसाना होता है । अपनी जरूरतों के मुताबिक अपनी सहुलियतों को जुटाना पड़ता है ।

हर बच्चा एक बराबर नहीं होता , कुछ आप के जिंदगी में ही अलग हो जाएंगे , कुछ आप के मरने के बाद होंगे मगर होना तो है ही ।
अफसोस इस बात का है कि आसानी से , सबकी सहमति से और आपसी प्रेम से , अगर अलग हो जाएं तो बहुत अच्छी बात है । सभी का आपसी प्रेम बराबर बना रहेगा ।लेकिन वही जब लड़ कर और एक दूसरे से नफ़रत पैदा कर के अलग-अलग होंगे तो क्या फ़ायदा ? लोग एक-दूसरे से हमेशा दूर ही रहेंगे ।

बेहतर तो यह होगा कि आप सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चों के घर को बनाने के चक्कर में पड़ें , ताकि वे आपस में बिना विवाद के , अपनी जिंदगी अपनी खुशी से गुजार सकें ।
इससे भाईचारा और आपसी प्रेम बना रहेगा । सभी बच्चों का एक दूसरे के घर आना जाना बना रहेगा ।
सबको आपस में लडा कर , सब नफ़रत के बीज दिलो दिमाग में लेकर , अलग-अलग हों , एसी व्यवस्था न बनाएं।

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

सतयुग , द्वापर और त्रेता में

सतयुग , द्वापर और त्रेता में एक राजा हुआ करते थे वो भी सिर्फ अपने राज के । आज इस कलयुग में हर व्यक्ति स्वयं में ही राजा है । बिना किसी राज्य के ।

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

प्यार से मांगोगे

प्यार से मांगोगे, तो धन दौलत ही नहीं , बल्कि अपनी जान भी दे दुंगा , और अगर छीनना चाहोगे , तो मैं तुम्हारी जिंदगी छीन लुंगा ।

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

चल - अचल संपत्तियों का संचय करना

इज्जत , दौलत , शोहरत , सुख - दुःख , चैन - आराम , फुर्शत , तन्हाई , व्यस्तता , मुहब्बत , रुसवाई , मौत , बीमारी , सेहत , अमीरी , ग़रीबी , जमीन , मकान , ज़ेवर , औरत , औलाद , रिश्ते , नाते , दोस्ती , व्यवहार आदि इत्यादि जो कुछ भी है । न तो इसे जाने से रोक पाओगे और न ही इसे आने से रोक पाओगे ।

वक़्त और हालात के मुताबिक अल्लाह रब्बुल इज्ज़त जब चाहें  दें और जब जहें छींन लें । ज़िन्दगी में इसका आना और जाना आप के बस की चीज़ नहीं है ।

ऊपर बताए गए उदाहरण और इसके अलावा भी बहुत सारी चीज़ें हैं । जो आप की अपनी नसीब या फ़िर आप से जुड़े हुए आप के अपनों के नसीब से मिलती हैं । जिसमें उनका भी हिस्सा है , जिन्हें आप नहीं जानते ।

ऊपर बताई गई चीजें आप के पास से उस वक्त चलीं जातीं हैं जब आप किसी का हक़ मार लेते हैं , या आप किसी को उम्मीदें धरायें और उसकी उम्मीदों को तोड़ दें , या आप जान बूझ कर मदद मांगने वाले को , आप की छमता होते हुए भी उसे खाली हाथ वापस कर दें ।

चल-अचल संपत्तियों का संचय करना माया और लालच का दूसरा रुप है । इसका उपभोग आप के भाग्य में नहीं है ।
अल्लाह ये संचय आप के माध्यम से किसके लिए और किस लिए करवा रहा है , यह आप मरते दम तक नहीं समझ सकते ।

भारत के मशहूर शायर ( राज़ आज़मी ) जो मेरे दोस्तों में सबसे ज्यादा उम्र के हैं , मगर दिलजोई और हंसी-मजाक में किसी से कम नहीं हैं , काफी सेंसिटिव भी हैं । इनका एक शेर मुझे अक्सर याद आ जाता है -

वहीं मौत आई है मेरी खुदी को ।
जरुरत जहां हाथ फैला गई है ।।

अर्थात-  मेरी अंतरात्मा , मेरा ज़मीर उस वक्त मर जाता है ।जिस वक़्त मेरी जरुरतें किसी के आगे हाथ फैलाने पर मजबूर करतीं हैं ।
लेकिन जो खाली हाथ वापस कर देता है , सोचो वो कितना मरा हुआ होगा ।

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

बंजर और ग्रामसभा में दर्ज हो जाती है

दुनियां में एक भी इंच जमीन ऐसी नहीं है , कि जो किसी के नाम पर न हो । कुछ लोग जानते हैं । कुछ लोग नहीं जानते हैं । जो लोग अपनी जमीनों को नहीं जानते हैं , उनकी जमीन बंजर और ग्रामसभा में दर्ज हो जाती है । जब कि ये जमीन पहले भी किसी की थी । आज भी है , और कल भी किसी न किसी की रहेगी । फ़िर इसके लिए मरना, झगड़ना और खुद को तपाना क्यु ?

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

कोमा में लोग ज़िंदा रहते हैं

कानून के सामने अपने और अपने जुर्म का समर्पण करने पर , जुर्म और जुल्मीं दोनों में , सहुलियतें प्रदान की जातीं हैं ।
मैंने तो सिर्फ तुमसे मुहब्बत करने का जुर्म किया , और इस जुर्म में , अपना सब कुछ तुम्हारे आगे समर्पित भी किया । लेकिन तुम्हारे धोखा और नफ़रत ने , मुझे एनकाउंटर की सज़ा जैसा महसूस कराया ।
आज़ मैं जिंदा तो जरुर हूं , लेकिन वैसे ही जिंदा हूं , जैसे कोमा में लोग ज़िंदा रहते हैं ।

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

किसे पकडूं और किसे छोड़ूं

मेरे अंदर मरऊवत भी है और मुझे जरुर भी है ।
दोनों से लगाव बेपनाह है । इन दोनों को छोड़ कर मैं जी ही नहीं सकता । समझ में नहीं आता कि किसे पकडूं और किसे छोड़ूं । जरूरत के लिए मरऊवत को छोड़ना पड़ेगा और अगर मरऊवत को पकडूं तो जरुरत हल नहीं होगी ।
क्या करुं ?
एक साथ दोनों का समावेश कभी कभी ज़हर बन जाता है ।
शब्दार्थ - मरऊवत - अपनापन , स्नेह , दया , दयावान ।

मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

नेटवर्क का नाम आते ही

नेटवर्क का नाम आते ही , कंपनी , एमडी , सीएमडी , सीनियर लीडर , टीम लीडर या अचीवर्स का नाम आता है , और इन्हीं चीजों पर लोगों को मोटिवेट भी किया जाता है । लेकिन क्या आप ने कभी ऐसा सोंचा , कि आप का भी नाम आये ?
मैं चाहता हूं कि , आप जहां के भी रहने वाले हों , जिस भी शहर के , जिस भी गांव के , जिस भी कस्बे के , अगर वहां का नाम कोई  नेटवर्किंग से जुड़ा हुआ लेता है , तो सिर्फ आप का नाम लोगों के सामने आना चाहिए । नेटवर्किंग में वहां की पहचान , आप से शुरू होनी चाहिए । तब जाकर नेटवर्क की दुनिया में आप कुछ कर पाएंगे , और एक इतिहास रच पाएंगे ।

सोमवार, 12 अप्रैल 2021

जिंदगी भर प्यार भरी बातें नहीं हो सकती

जिंदगी भर प्यार भरी बातें नहीं हो सकती । कभी कड़वाहट कभी झुंझलाहट भरी बातें भी निकल ही जाती हैं । प्यार भरी बातों में , जितना अपनापन होता है , उससे ज्यादा अपनापन , उस कड़वाहट और झुंझलाहट भरी बातों के अंदर भी छुपी होती है ।

रविवार, 11 अप्रैल 2021

सम्मान देना उतना बुरा नहीं है

किसी को मान और सम्मान , देना उतना बुरा नहीं है , जितना बुरा , बिना सोंचे समझे , बिना जाने , परखे , किसी पर जान दे देना होता है ।