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रविवार, 13 दिसंबर 2020

किसान अपने उगाये हुए सामानों के मुल्य का निर्धारण खुद करें

बहुत सारी चीज़ें ऐसी हैं जिसके मुल्य का निर्धारण गवर्नमेंट ने नहीं बल्कि लोगों ने किया है । होल सेल में भी चोरी और कालाबाजारी होती है । फुटकर रेट में भी चोरी और कालाबाजारी होती है । वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मशीन और शेर तराज़ू में भी घपलेबाजी शामिल है ।
कहीं से कुछ भी लेंगे तो पैसा तो आप को पूरा देना पड़ेगा जिसमें पच्चीस पैसे भी कम नहीं लेगा लेकिन तौल में आप को सामान पुरा नहीं मिलेगा ।
यहां तक कि डब्बा बन्द सामान एवं पैकिंग में भी पूरा वजन नहीं होता । पच्चीस पैसा तो अब बाजार में नहीं चलता , पचास पैसा भी गायब है । एक रुपये का छोटा वाला सिक्का भी कोई नहीं लेता , कोई भी सिक्का हो अब बैंक वाले भी नहीं लेते ।
बहुत सारे बिजनेस दस , पंद्रह ,और पच्चीस पैसे के प्राफिट पर निर्भर होता है ।
जिस जिस चीज का भी गवर्नमेंट ने मुल्य का निर्धारण किया है । उसमें होल सेलर को ईमानदारी से पालन करना चाहिए लेकिन ये लोग भी कीमत बढ़ाकर लेते हैं । अब आप सोंचे कि फुटकर विक्रेता क्या करते होंगे । फुटकर वाले तो अपनी मनमानी करते हैं । जो चाहें रेट लगायें ये उनकी मर्जी ।
मार्केट में अगर सौ दुकान है तो पक्की और प्रिंटेड बिल देने वाले सिर्फ एक या दो लोग ही मिलेंगे बाकी निन्यानबे टैक्स की चोरी करते हैं या टैक्स फ्री हैं ? शायद इसी लिए पक्की बिल नहीं देते ।
मार्केट में किसी भी चीज का मीट हो उसके मुल्य का निर्धारण कौंन करता है ?
मार्केट में कोई भी शब्जी हो उसके फुटकर विक्रेता के मुल्य का निर्धारण कौंन करता है ?
जब फुटकर विक्रेता मुल्य का निर्धारण स्वयं करते हैं तो एक किसान अपने द्वारा उपजाये हुए अन्न की कीमत को क्यों नहीं निर्धारित कर सकता , दलहन फुटकर विक्रेता के वहां पंचानबे रुपये से लेकर एक सौ तीस रुपये तक है ।
शब्जी चालिस रुपये से लगाये अस्सी रुपये तक है ।
आप अगर जिम्मेदार व्यक्ति हैं तो आप को सभी चीजों के कीमतों का पता है । अब आप बताएं कि अगर आप के पास रोटी और चावल नहीं है तो शब्जी और मीट किस काम के अगर आप मार्केट में जाएंगे तो सबसे सस्ता आप को आटा और चावल ही मिलेगा इस लिए मैं किसानों से यही कहना चाहूंगा कि वो अपने अनाज की कीमत के रेट को भी स्वयं निर्धारित कर लें जैसे गेहूं सौ रुपया किलो कर दें , चावल ,एक सौ पच्चीस , आटा एक सौ बीस इसी तरह जितनी भी चिजें उगाते हैं सभी चीजों के मुल्य का निर्धारण खुद ही करें । जिसे आवश्यकता होगी वो खरीदेगा इसमें इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है । जब आप उगाएंगे तभी तो लोग पाएंगे , कोई जबरदस्ती नहीं ले सकता आप अपनी मेहनत और क़ीमत को पहचानें ।
जबतक आप खुद रेट का निर्धारण नहीं करेंगे तब तक कोई करने वाला नहीं है । जब बड़े बड़े बिजनेसमैन आप से सस्ते रेट पर लेकर स्टाक करेंगे तो उनकी मर्जी पर निर्भर होगा कि वो किस रेट पर बेचेंगे या कोई प्रोडेक्ट तैयार करेंगे ये उनकी मर्जी पर है ।

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