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बुधवार, 16 दिसंबर 2020

इसका भुगतान तो तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा

जब बादशाहों की हुकूमत थी तब भी देश में गद्दार थे ।
जब नवाबों की हुकूमत थी तब भी देश में गद्दार थे ।
जब अंग्रेजों की हुकूमत थी तब भी देश में गद्दार थे ।
आज लोकतंत्र है । आज किसी बादशाह या नवाब की हुकूमत नहीं है । तो क्या आज देश में गद्दार नहीं हैं ?
आज तो पहले के उन दौर से ज्यादा देश में गद्दार पैदा हो गये हैं ।
1- देश में भाईचारा को खंडित करने वाला कौन है ?
2- देश में जात , धर्म , और मजहबों को बांटने वाला कौंन है ?
3- देश में देश की सही ख़बर न देने वाला कौंन ?
4- देश में जनता के बीच भेदभाव पैदा करने वाला कौंन है ?
इन सवालों के जवाब को पूरा देश जानता है । ऐसे  लोगों को देश का गद्दार न कहें तो क्या देश भक्त कहा जाएगा ?
एक मकान को बनाने के लिए बहुत सारे लोगों और बहुत सारे मटेरियल्स की जरूरत पड़ती है ठीक वैसे ही एक देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए सभी देशवासियों की आवश्यकता होती है । सभी का अपने अपने स्तर से योगदान होता है । इसमें कहीं कोई धार्मिक भेदभाव नहीं होते ।
किसी भी वर्ग , समुदाय या धर्म को ग़लत नजरिए से न देखा जाए और न तो उनको विशेष रूप से एकिकृत कर के गन्दे ढंग से राजनीत की जाय । सबसे पहले दोषी तो वही लोग हैं जो अपने स्वार्थ के लिए अपने ही देश में अपने ही देश वासियों को जात पात के रुप में उकसाया और दूसरे जाति के लोगों के प्रति नफ़रत की आग बोना शुरू किया , वो भी ऐसा करने के लिए पार्टी का लाइसेंस तक बनवा डाले हैं ।
क्या संविधान में ऐसा कोई नीयम लिखा है कि हर धर्म के लोग अपनी अपनी पार्टी बनायें ?
ऐसी परंपरा शुरू करने वाले लोगों को तो आजीवन कारावास दे देना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसा करने के लिए कोई सोंच भी न सके नफ़रत होती है मुझे ऐसे लोगों से जो लोग धर्मों और जात पात की राजनीत करते हैं ।
अगर मेरी हुकूमत होती तो मैं उनके ऊपर भी राशुका लगा देता जो समाज में कहीं भी किसी से भी जात का नाम ले लेते या चर्चा करते हुए पाये जाते ।
देश आज़ादी के बाद से पुर्वजों ने जो भाईचारा क़ायम कर के चलते रहे हैं उसे पूरी तरह से तो नहीं तोड़ पाये हैं लेकिन जितना टूटा है उसका अंजाम आप के आंखों के सामने है ।
वह दिन दूर नहीं जब हर एक व्यक्ति को महसूस होगा कि उन्माद या बहकावे में आकर मैंने ग़लत किया है ।
हम जिस परिवेश और परिस्थितियों में जीते हैं उसमें सभी वर्ग , समुदाय के लोगों से आपसी भाईचारे का संबंध होता है 
जब हमारे पुर्वजों ने नहीं छोड़ा तो हम किसी के बहकावे या उन्मादी बातों में क्यों उल्झें । ये अलग बात है कि आज जो नफ़रत में चूर है लेकिन जिंदगी के कुछ ऐसे मोड़ भी आते हैं
जहां हमें सबके साथ की आवश्यकता होती है । इस बात का हमेशा ध्यान रखना कि आने वाली पीढ़ी तुम्हारे नफ़रत की खोखली जड़ को जिस दिन समझ लेगी उस दिन तुम संसार के सबसे बड़े पागल और देश द्रोही की नज़र से देखे जाओगे वो भी अपने ही लोगों के बीच चाहे वो किसी भी धर्म का हो , शिकारी अपना शिकार कर के निकल जाएगा लेकिन उसका भुगतान तो तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा ।

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