आंखों में अश्क आ गये कश्मीर देख कर ।
जन्नत में रहने वालों की तक़दीर देख कर ।।
बच्चे हमारे शहर के दहशत में आ गये ।
कुछ बुझदिलों के हाथ में शमशीर देख कर ।।
जो है तेरे नसीब में तुझको मिलेगा वो ।
आहें न भर गैरों की जागीर देख कर ।।
शायर हूं मै जरूर मगर शायरी है तू ।
लिखता हूँ गज़ल तेरी तस्वीर देख कर ।।
जावेद अभी कायम है मजनूँ का सिलसिला ।
हैरान क्यों है रेत पर तहरीर देख कर ।।
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