जब देखो तक़दीर का रोना रोता है ।
अपनी राह में कांटे खुद ही बोता है ।।
बेकारी में वक्त जो अपना खोता है ।
पछताता है खूंन के आंसू रोता है ।।
ये मत सोचो वक्त पे कोई काम आएगा ।
इस दुनियां में कौन किसी का होता है ।।
खुद मेहनत कर के आगे बढना सिखो ।
क्या भीख मांग कर राजा कोई होता है ।।
रोज़ी आकर दरवाजे से लौटेगी जावेद ।
सूरज चढने तक बिस्तर में जो सोता है ।।
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