बिजलियों के खौफ से हम आशियाना छोड़ दें ।
कातिलों के खौफ से क्या हम जमाना छोड़ दें ।।
कातिलों के खौफ से क्या हम जमाना छोड़ दें ।।
मस्जिदों में बम धमाके हो रहे हैं आज कल ।
क्या करें हम मस्जिदों में आना जाना छोड़ दें ।।
क्या करें हम मस्जिदों में आना जाना छोड़ दें ।।
अपना हक बनता है जो भी आगे बढ़ कर छीन लें ।
बुझदिली से आप सब भी आंसू बहाना छोड़ दें ।।
बुझदिली से आप सब भी आंसू बहाना छोड़ दें ।।
कायदे आज़म बने अपने कबीले का कोई ।
आवो हम सरकार गैरों की बनाना छोड़ दें ।।
आवो हम सरकार गैरों की बनाना छोड़ दें ।।
इस कदर महंगाई बढती जा रही है दिन-ब-दिन ।
जी में आता है यही कि खाना दाना छोड़ दें ।।
जी में आता है यही कि खाना दाना छोड़ दें ।।
शम्स हूं शम्मा नहीं हूं मैं किसी दहलीज का ।
आंधियों से कह दो हमको आजमाना छोड़ दें ।।
आंधियों से कह दो हमको आजमाना छोड़ दें ।।
पस्त हो जाएंगे जावेद ज़ालिमों के हौसले ।
जुर्म के आगे अगर ये सर झुकाना छोड़ दें ।।
जुर्म के आगे अगर ये सर झुकाना छोड़ दें ।।
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