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शनिवार, 20 अप्रैल 2019

जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ

जालिम तबाही बो रहे हैं हर तरफ ।
बम धमाके भी हो रहे हैं हर तरफ ।।

आने वाली मुश्किलों से बे खबर  ।
कुछ लोग देखो सो रहे हैं हर तरफ ।।

बे गुनाहों के लहू से देखिये           ।
लोग धब्बे धो रहे हैं हर तरफ       ।।

कुछ लोग मजहब का लेबादा ओढ कर ।
अपनी अज़मत खो रहे हैं हर तरफ     ।।

इन्सानियत जख्मों से जावेद चूर है   ।
बच्चे बूढे रो रहे हैं हर तरफ           ।।

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