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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

कौन देता है

जरा सोचो कि जहरीली फिजाएं कौन देता है ।
यहाँ पे बे गुनाहों को सजाएं कौन देता है  ।।

लगी है आग पुरे देश में फिरका परस्ती की ।
भडकती है जो चिंगारी हवाएं कौन देता है ।।

गुजरता हूं उधर से जब कभी सुनसान रातों में ।
मुझे शहरे खमुशा से सदाएं कौन देता है  ।।

सभी डूबे हुए हैं जुर्म की मदहोश खुशबू में  ।
किसी बीमार मां को अब दवाएं कौन देता है ।।

यह दुनिया है यहाँ पे होता है हर चीज का शौदा ।
बिना उजरत लिए जावेद दुवाएं कौन देता है  ।।


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