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सोमवार, 24 मई 2021

दुनियां को छुड़ा देता है

जो ज़हर पी के मरा उसमें दुःख और आस्चर्य क्या ?
जो अमृत पी के मरा इसका दुःख भी है और आश्चर्य भी ।
अब यह मत कहना कि विभिषण यदि श्री राम जी से न मिले होते तो रावण कभी मारा नहीं जात ।
रावण को तो मरना ही था क्यों कि यह महिमा उस ईश्वर की थी जिसने विष और अमृत दोनों इस जगत में भेजा था ।
आप जानते हैं कि यह मृत्यु लोक है , जो यहां आया है उसे यहां से जाना भी है और वो भी कोई न कोई कारण के साथ फिर अमृत को यहां क़ायम रहने का कोई औचित्य नहीं है ।
हां विष तो क़ायम रहेगा क्यों कि विष बड़े ही आनंद के साथ दुनियां को छुड़ा देता है ।

शनिवार, 1 मई 2021

हर इंसान का सपना होता है

हर इंसान का सपना होता है , कि उसकी शादी हो ।
हर इंसान का सपना होता है , कि उसके बच्चे हों ।
हर इंसान का सपना होता है , कि उसका एक घर हो ।
ज़मीन जायदाद हो , शोहरत और दौलत भी हो ।
अपनी इच्छा के अनुसार अपनी जिंदगी को जी सकें । 

बहुत कम लोग हैं । जिनके पास सब कुछ हो जाता है ।
अधिकांश लोगों को तो अपना एक घर बनाने में ही जिंदगी गुजार जाती है । तमाम लोग पिता के बनाए हुए घर में जिंदगी गुजार देते हैं ।
कभी आप ने इस बात को सोंचा कि आप के बच्चों का क्या होगा ?

आप के पिता का बनाया हुआ घर हो या आप का बनाया हुआ हो , अगर आप के पास एक ही औलाद है , तो कोई बात नहीं , लेकिन अगर दो चार हैं तो क्या होगा ?

आप का वही एक घर जिसे आप ने या आप के पिता ने अपने हिसाब से अपनी सुविधा के अनुसार बनाया है । एक दिन वही घर ऊन दो चार बच्चों के विवाद का कारण बन जाएगा , क्यों कि आज आप संयुक्त परिवार में हैं और तभी तक रह सकते हैं , जब-तक आप के बच्चों की शादियां नहीं हुई हैं । जब शादीयां हो जायेंगी तो उन्हें भी अपना घर-बार बसाना होता है । अपनी जरूरतों के मुताबिक अपनी सहुलियतों को जुटाना पड़ता है ।

हर बच्चा एक बराबर नहीं होता , कुछ आप के जिंदगी में ही अलग हो जाएंगे , कुछ आप के मरने के बाद होंगे मगर होना तो है ही ।
अफसोस इस बात का है कि आसानी से , सबकी सहमति से और आपसी प्रेम से , अगर अलग हो जाएं तो बहुत अच्छी बात है । सभी का आपसी प्रेम बराबर बना रहेगा ।लेकिन वही जब लड़ कर और एक दूसरे से नफ़रत पैदा कर के अलग-अलग होंगे तो क्या फ़ायदा ? लोग एक-दूसरे से हमेशा दूर ही रहेंगे ।

बेहतर तो यह होगा कि आप सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चों के घर को बनाने के चक्कर में पड़ें , ताकि वे आपस में बिना विवाद के , अपनी जिंदगी अपनी खुशी से गुजार सकें ।
इससे भाईचारा और आपसी प्रेम बना रहेगा । सभी बच्चों का एक दूसरे के घर आना जाना बना रहेगा ।
सबको आपस में लडा कर , सब नफ़रत के बीज दिलो दिमाग में लेकर , अलग-अलग हों , एसी व्यवस्था न बनाएं।

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

चल - अचल संपत्तियों का संचय करना

इज्जत , दौलत , शोहरत , सुख - दुःख , चैन - आराम , फुर्शत , तन्हाई , व्यस्तता , मुहब्बत , रुसवाई , मौत , बीमारी , सेहत , अमीरी , ग़रीबी , जमीन , मकान , ज़ेवर , औरत , औलाद , रिश्ते , नाते , दोस्ती , व्यवहार आदि इत्यादि जो कुछ भी है । न तो इसे जाने से रोक पाओगे और न ही इसे आने से रोक पाओगे ।

वक़्त और हालात के मुताबिक अल्लाह रब्बुल इज्ज़त जब चाहें  दें और जब जहें छींन लें । ज़िन्दगी में इसका आना और जाना आप के बस की चीज़ नहीं है ।

ऊपर बताए गए उदाहरण और इसके अलावा भी बहुत सारी चीज़ें हैं । जो आप की अपनी नसीब या फ़िर आप से जुड़े हुए आप के अपनों के नसीब से मिलती हैं । जिसमें उनका भी हिस्सा है , जिन्हें आप नहीं जानते ।

ऊपर बताई गई चीजें आप के पास से उस वक्त चलीं जातीं हैं जब आप किसी का हक़ मार लेते हैं , या आप किसी को उम्मीदें धरायें और उसकी उम्मीदों को तोड़ दें , या आप जान बूझ कर मदद मांगने वाले को , आप की छमता होते हुए भी उसे खाली हाथ वापस कर दें ।

चल-अचल संपत्तियों का संचय करना माया और लालच का दूसरा रुप है । इसका उपभोग आप के भाग्य में नहीं है ।
अल्लाह ये संचय आप के माध्यम से किसके लिए और किस लिए करवा रहा है , यह आप मरते दम तक नहीं समझ सकते ।

भारत के मशहूर शायर ( राज़ आज़मी ) जो मेरे दोस्तों में सबसे ज्यादा उम्र के हैं , मगर दिलजोई और हंसी-मजाक में किसी से कम नहीं हैं , काफी सेंसिटिव भी हैं । इनका एक शेर मुझे अक्सर याद आ जाता है -

वहीं मौत आई है मेरी खुदी को ।
जरुरत जहां हाथ फैला गई है ।।

अर्थात-  मेरी अंतरात्मा , मेरा ज़मीर उस वक्त मर जाता है ।जिस वक़्त मेरी जरुरतें किसी के आगे हाथ फैलाने पर मजबूर करतीं हैं ।
लेकिन जो खाली हाथ वापस कर देता है , सोचो वो कितना मरा हुआ होगा ।

मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

नेटवर्क का नाम आते ही

नेटवर्क का नाम आते ही , कंपनी , एमडी , सीएमडी , सीनियर लीडर , टीम लीडर या अचीवर्स का नाम आता है , और इन्हीं चीजों पर लोगों को मोटिवेट भी किया जाता है । लेकिन क्या आप ने कभी ऐसा सोंचा , कि आप का भी नाम आये ?
मैं चाहता हूं कि , आप जहां के भी रहने वाले हों , जिस भी शहर के , जिस भी गांव के , जिस भी कस्बे के , अगर वहां का नाम कोई  नेटवर्किंग से जुड़ा हुआ लेता है , तो सिर्फ आप का नाम लोगों के सामने आना चाहिए । नेटवर्किंग में वहां की पहचान , आप से शुरू होनी चाहिए । तब जाकर नेटवर्क की दुनिया में आप कुछ कर पाएंगे , और एक इतिहास रच पाएंगे ।

शनिवार, 10 अप्रैल 2021

चुनाव जीतने का फंडा

 चुनावी त्यौहार में जिसने शाराब पिलाने की प्रथा शुरू की ।
जिसने चिकन और मटन खिलाने की प्रथा शुरू की । जिसने पैसे बांटने की प्रथा शुरू की , और वो बहुत सारे काम जिसे प्रत्याशी और मतदाता दोनों जानते हैं ।
हर बात कहना जरूरी नहीं है । ये सारे काम जिसने शुरू किया , उसके पटिदार , उसके खानदान , उसके हीत- मीत , उसके सपोर्टर , उसका भाई या उसका लड़का , जो भी हो जब प्रत्याशी के रुप में आएगा तो उसे भी इस प्रथा से हो कर ही गुजरना पड़ेगा । इससे कुछ और एक्स्ट्रा कर सकें तो और बेहतर होगा । अन्यथा मैदान छोड़ दें ।
जो शराब का सेवन नहीं करता । जो चिकन- मटन नहीं खाता । मेरे सर्वे में पता चला कि उन्हें कोई पुछने वाला नहीं है ।
क्या शाराबी लोग ही लोगों को चुनाव जिताते हैं ?
शुद्ध शाकाहारी और बिना मदिरापान करने वाले लोगों के सामने सिर्फ हाथ जोड़ लेने से काम नहीं चलेगा ।
मदिरापान का सेवन करने वाला हो या शाकाहारी सभी के सामने हाथ तो जोड़ना ही है , लेकिन हाथ जोड़ने से पहले अपने हाथ में एक लंबी नोंट लेकर मतदाता से हाथ मिलाएं । हाथ मिलाने पर अपने मुट्ठी में लिए नोट को उसके हाय मैं सटा कर उसकी मुट्ठी को बंद कर दें , इस क्रिया को सिर्फ आप और आप का मतदाता जाने ।
फिर इस बात को जरुर कहें कि अपना और अपने लोगों पर अपने स्तर से ध्यान दें ।
चुनाव जीतने के फंडे में सफल फंडा एक यह भी हो सकता है कि इस क्रिया को महिलाओं के साथ भी किया जाय जिससे महिलाएं अपनी कुछ जरूरी आवश्यकताएं पूरी कर सकें ।
यह रोटेशन एक दिन या एक रात ही सिर्फ न हो बल्कि यह रोटेशन डेली चलता रहे मतदान के दिन भी ।
अन्यथा चुनाव मत लड़े या फिर पांच वर्षों तक लोगों को अपना बनाएं । अपने आप को लोगों का विश्वासपात्र साबित करें यदि लोगों के विश्वासपात्र आप हो गये , तो चिकन मटन शराब पैसा इसकी कोई जरुरत नहीं । क्यों कि ये सब उनके लिए है जो अचानक कूद पड़ते हैं , और अपने धन के बल पर ही कूदते हैं । ऐसे लोगों को लूटने के लिए 90% लोगों को इंतजार रहता है ।
चुनावी बिगुल बजते ही प्रत्याशियों के एनलाईसिस शुरू हो जाते हैं । कौन किस लायक है और किस बेस पर उतरा है ।

मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

दुनियां आप के लिए स्वर्ग के समान हो सकती है

पाप करना तुम्हारे लिए हुनर के समान हो सकता है ।
पाप करना मेरे लिए तो ज़हर के समान है ।
ये दुनियां आप के लिए स्वर्ग के समान हो सकती है ।
मैं इसे एक सराय से ज्यादा और कुछ नहीं समझता ।
जिन भी परिस्थितियों में यहां वक़्त को काटना पड़े खुशी-खुशी इसे स्वीकारना ही है , क्यों कि अच्छी , बुरी परिस्थितियां आप के वश में नहीं है ।
आप के चाहने या न चाहने से कुछ भी नहीं होना है और न तो इन परिस्थितियों से अपना पीछा छुड़ा सकते हो ।
बदलती हुई अच्छी बुरी परिस्थितियों में अपने कर्मों का आंकलन करें ।
प्रयास करें कि बुरे कर्मों का पश्चाताप करते हुए , इससे अपने आप को दूर रक्खें ।
उन अच्छे परिस्थितियों में अपने आप को स्वयं के स्वार्थ से दूर रख कर लोगों की भलाई और लोगों के कल्याण के बारे में प्रयासरत रहे जिससे सराय रुपी दुनियां को छोड़ने पर न कोई कस्ट हो , न कोई अफसोस हो और न दुबारा आने की चाहत । इस सराय से आप को साथ लेकर जाना क्या है बस इसका आत्ममंथन निरन्तर बना रहना चाहिए ।

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

बदलते समय के अनुसार बातों का अर्थ भी बदल जाता है

किसी बात को सुनने में ऐसा लगता है , कि पहले भी मैं सुन चुका हूं । पहले भी मैं पढ़ चुका हूं । पहले भी इस मुआमले से गुजर चुका हूं , तो फिर आप ने उसका निष्कर्ष क्या निकला ? उसकी सार्थकता और निर्रथकता की गहराई में कितना उतरे ? क्या सीखा आप ने ? , क्या जाना आप ने ?
आप के मतलब और मकसद का नहीं रहा होगा ? तो इस लिए आप ने कोई अहमियत नहीं दिया होगा , लेकिन अगर कोई बार- बार कह रहा हो , तो उसे ध्यान देना चाहिए । या कई लोग उस चीज़ को कह रहे हों , तो भी सोचना चाहिए कि कुछ तो है ? भले आज़ आप के मतलब का नहीं है । लेकिन हो सकता है , कि कभी आप का मतलब उन बातों से पड़ ही जाय ?
या फिर कोई ऐसी बात लाइए , जिसे कभी सुना ही नहीं गया , कभी पढ़ा ही नहीं गया , कभी मुझसे हो कर गुजरी ही नहीं ।
समय बदलता है । लोगों के विचार भी बदलते हैं । उसी समय के मुताबिक बातें भी तो वही होतीं हैं । फर्क सिर्फ इतना होता है , कि बदलते समय के अनुसार उन्हीं बातों का अर्थ भी बदल जाता है ।

शनिवार, 3 अप्रैल 2021

दुश्मन की पहचान

1- काट दो उस डाल को जिसका फल , कीचड़ , नाली , पोखरी और ऐसी जगह गिरता हो , जो न तुम्हारे काम आये और न किसी का भला हो ।

2- ऐसे लोगों का साथ तत्काल छोड़ दो , जो अपनी जुबान पर क़ायम न रहता हो ।

3- उसकी बातों पर न कभी भरोसा करना न कभी उम्मीदें करना जो अपने ऊपर निर्भर न रहकर किसी और के भरोसे आप से बातें करता हो।

4- ऐसे लोगों का कभी इन्तज़ार मत करना जो आप के वक़्त की क़ीमत न समझते हों ।

5- ऐसे लोगों से कभी भी रहस्यात्मक बातों को न करें , जो कभी आप के बातों को कोई अहमियत न देता हो ।

6- ऐसे लोगों का साथ तत्काल छोड़ दें , जो आप के पीठ पीछे आप की बुराईयां करता हो ।

7- ऐसे लोगों के साथ कभी भी न रहें , जो आप से वक़्त गुज़ारने के लिए मिलते हों ।

8- ऐसे लोगों से तत्काल दूरी बना लें , जो आप के मन की बातों को जानना चाहता हो और दूसरों से बता कर खिल्ली उड़ाता हो ।

9- ऐसे लोगों से तत्काल दूरी बना लें , जो आप का झूठा हमदर्द बन कर , आप का राज़ दूसरों तक पहुंचाता हो ।

10- ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें , जो आप को अपना बताता हो और आप के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हूं कहता हो , और आप को जब ज़रुरत पड़े तो आप का काम कैसे करेगा , उसमें वो अपनी फ्युचर प्लानिंग बताए और यह समझाए , कि इसी में आप का भी काम हो जाएगा धीरज रखें थोड़ा इंतजार करें ।

11- ऐसे लोगों पर न कभी भरोसा करें और न तो किसी प्रकार की आशा करें , जो जानता हो आप की परेशानियां क्या हैं । यह जान कर चुप्पी साधे हो , और आप अपने हैं कहता हो । आप अपनी परेशानी बताएं , फिर भी वो नज़र अंदाज़ करता हो ।
झूठी कहानियां गढ़ता हो । झूठे वादे करता हो , मगर आप के दिक्कतों से उसे कुछ लेना-देना नहीं , और न तो वो उसे दूर करना चाहता हो । आप की परेशानी में ही उसकी खुशी हो ।
आप जानते हैं , कि वह समर्थ है । इस काम को वो मिनटों में हल कर सकता है , लेकिन नहीं करता और आप का नुकशान होता जा रहा हो , जिसे वो अच्छी तरह से जानता भी है ।

12- ऐसे लोगों से हमेशा सतर्क रहें , जो अपनी जरुरत को को ही प्राथमिकता देता हो ।

13- ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें , जो थूक कर दुबारा चाटता हो ।

14- ऐसे लोगों से हमेशा सतर्क रहें और दूरी बना कर रहें जो आप को छोड़ चुका हो लेकिन अपनी जरुरत पड़ने पर आप से करीबी बना लेता हो ।

ऐसे लोग आप के कुछ भी नहीं है , सिवाय दुश्मन के , ऐसे लोग आप के हर पल पर नज़र रखते हैं ।
जितना चिंता आप अपने और अपने परिवार की करते हैं ।उससे ज्यादा चिंता ये लोग , आप की करते हैं । यदि खुद समय नहीं मिला तो किसी को भेज कर आप की रिपोर्ट लेते हैं ।

मंगलवार, 30 मार्च 2021

जिंदगी इन्तज़ार में गुज़र जाएगी

स्वार्थ सिद्धि में सौ कसमें , हजार वादे , और अनगिनत भरोसे दिये जाते हैं । स्वार्थ सिद्ध हो जाने के बाद उन सभी वादों , कसमों , और भरोसों से अंजान और अजनबी हो जाते हैं लोग । जब कि सब कुछ याद रहता है लोगों को ।
जो मुलाकातें पहले होती थी , जो बातें पहले होती थी , वो सब लगभग समाप्त कर दी जाती है । यदि अचानक आमना सामना हो गया तो जल्दी में हूं , समय निकाल कर मिलता हूं , कह कर निकल जाते हैं लोग । कोशिश यह होती है कि न मुलाकात हो , और न कुछ बात हो , क्यूं कि कहीं आप  कोई सवाल न पैदा कर दें ,?  यदि कभी कोई ऐसा क्षण आ भी जाता है , कि उन बातों को , उन कसमों को , और उन वादों को अगर आप ने पूछ लिया , तो उसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता ।
अगर मिलता है तो सिर्फ वादा । वो भी यह कह कर कि आप के काम के ही प्रयास में लगा हूं । कई लोगों से बात भी हुई है । बहुत जल्द आप का काम हो जाएगा ।
यह एक दिल बहलाने वाली झूठी सांत्वना है । उसने अपना स्वार्थ हल कर लिया है । आप उसके भरोसे रहेंगे तो सारी जिंदगी इंतजार में गुजर जाएगी और होना कुछ भी नहीं है ।इस लिए जो बीत गया है , उसे भूल जाएं और खुद के बदौलत अपने काम को पूरा करने का प्रयास नये हौसले के साथ जारी रखें ।
उस गलती को कभी न होने दें , जो आप के साथ हो चुकी है । ऐसे लोगों से वैसा ही व्यवहार करें , जैसा उसने किया है , क्यों कि शराफ़त और भोले पन का लाभ जो ले चुका है , उसकी आदत आसानी से नहीं जाती । जैसे ही आप अपने मकसद में कामयाबी की ओर बढ़ना शुरू करेंगे , ऐसे लोग आप के क़रीब आना शुरू हो जाएंगे ।
बेहतर तो यही होगा कि , बिना ठोस गारंटी के । बिना ठोस सबूत के । किसी की बातों में न पड़ें ।

सोमवार, 29 मार्च 2021

समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं

लेने और देने के बीच सिर्फ दो ही लोग होते हैं । एक देने वाला और एक लेने वाला । दे कर जब लेने की जरूरत पड़ती है , तो कभी कभी आठ दस लोगों को बैठा कर पंचायत भी करनी पड़ती है । इस लिए जब भी किसी को कुछ दो तो उसे वापस पाने की मत सोंचो ।
किसी को कुछ देना है , तो तभी दो जब आप की जरूरत से ज्यादा हो ।
दुनियां में बहुत कम लोग हैं , जिनके पास जरूरत से ज्यादा है । उसके बाद भी उनके अंदर कमी का एहसास बना रहता है । ऐसे लोगों तक हर किसी की पहुंच नहीं होती ।
आम जीवनचर्या के बीच जीते हुए आप को ऐसे लोग भी मिलेंगे जिन्हें इनकार करना आप के लिए मुश्किल हो जाता है । ऐसी परिस्थितियों में आप अपनी चीजों का आंकलन कर लें कि क्या मैं देने के योग्य हूं या नहीं ?
जितने से आप का काम चल जाए और आप को किसी प्रकार की कठिनाइयों का सामना भी न करना पड़े साथ ही मेरे दिये हुए धन मुझे वापस भी न मिले तो भी कोई बात नहीं है । तब आप के पास जो शेष बचता है , उसमें से कुछ अंश को आप बताएं कि मैं इतना दे सकता हूं ।
अगर आप को वो धन वापस मिलता है , तो आप उसे उपहार समझ कर रख लिजिए और यदि नहीं मिलता है तो उसे यह सोंच कर भूल जाएं कि वह मेरा नहीं उसी का था जो ले गया या , यह भी सोंच सकते हैं कि मैंने उसकी मदद की है ।
मदद कभी वापस पाने के लिए नहीं की जाती । मदद वही करता है , जो मदद करने के योज्ञ्य होता है ।
अगर आप देने के योज्ञ्य नहीं है , तो आप प्रेम से कह सकते हैं कि अभी में इस योज्ञ्य नहीं हूं या इस क्षमता में नहीं हूं ।
दुःखी कर देने वाली बात कभी न करें ।
मैंने कुछ अंश देने की बात इस लिए कही कि उसमें से जो बाकी अंश बचते हैं उन अंशों में कुछ अपने और अपने करिबियों का भी हक़ बनता है । जिन्हें अचानक अगर जरूरत पड़ गई तो उन्हें भी निराश न लौटना पड़े ।
इन सारे कामों को अपने आप को किसी समस्याओं में उल्झा कर करने की जरुरत नहीं है । सबसे पहले खुद को देखें फिर लोगों को देखें ।
समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं , जिनमें कुछ अपने भी होते हैं । वे लोग हर परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने आप को जिवित रखते हैं । ऐसे लोग कभी भी किसी भी परिस्थितियों में आप से सहयोग की बात नहीं करेंगे ।
यहां आप को खुद पता करना होगा कि किसे वास्तव में इसकी आवश्यकता है । उन्हें प्रेम से ऐसे सहयोग करें कि उन्हें लगे कि इस दुनियां में मैं अकेला नहीं हूं । मेरे भी अपने लोग हैं , जो अपनो के बारे में सोचते हैं , और उनका पता भी करते हैं । इससे करिबियां बढ़ती हैं , और अपनत्व भी बढ़ता है । वर्ना हर आदमी एक दूसरे के लिए आम आदमी हो जाता है । जिसकी कोई अहमियत , औकात , फ़र्ज़ , कर्तव्य , हक़ कुछ भी नहीं रह जाता , अजनबी और अंजान की तरह हो कर रह जाता है ।
रिश्तों का , पहचान का , अपने पन का सिर्फ नाममात्र रह जाता है । जिसका इस दुनियां में कोई मोल नहीं ।

रविवार, 28 फ़रवरी 2021

सब्र कितने प्रकार के होते हैं ?

सब्र कितने प्रकार के होते हैं ? 
मेरे सर्वे के अनुसार सब्र मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं ।जैसे 1- वास्तव में सब्र करना जैसे करने के लिए कहा गया है । 2-जब कोई रास्ता ही न रह जाए , जब कोई वश न चले , जब इंसान मजबूर हो जाय तब वह अपने आप से , अपने हालात से समझौता कर लेता है । इसी को वह अपने लोगों को बताता है कि मैंने सब्र कर लिया , और लोग भी समझते हैं कि वास्तव में उसने बहुत सब्र किया है । सब्र का फल ज़रुरी नहीं है , कि आप को आप के मर्जी के मुताबिक मिले । आप का काम है सब्र करना , और आप के हालात के अनुसार , आप के भाग्य के अनुसार फल मिलते हैं । कभी - कभी ऐसा भी होता है , कि आप के सब्र से भी आप को आप के जीवन में कोई फल नहीं मिलता . आप के पीछे आने वाले आप के नये जनरेशन को मिलता है । इस बात को बहुत सारे लोग नहीं जानते , अगर यह जान जाएं कि हो सकता है , कि इस सब्र का फल मुझे नहीं बल्कि मेरे पीछे आने वाले लोगों को मिलेगा , तो लोग सब्र करना छोड़ सकते हैं । क्यों कि सब्र में बहुत परेशानियां और तकलीफें होती हैं ।इसी वजह से ही शायद लोग कहते हैं , कि आज आप जो कुछ भी हैं । यह सब आप के पुर्वजों के अच्छे कर्म और त्याग से ही हैं । ऐसा नहीं है कि सब्र का फल कामयाबी और अमीरी से ही मिले । सब्र का फल लंबी उम्र ( हयात ) के शक्ल में भी मिल सकती है ।

शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

बिज़नेस से भी लोग कामयाब और अमीर होते हैं

बैठने का बिज़नस कभी मत करना और न बैठने से समझौता । तुम्हें कुछ पाना है , या पुरा करना है , तो अपनी कल्पनाओं के रफ्तार से चलना होगा ।
तुम बैठ जाओगे तो तुम्हारा समाज बैठ जाएगा , तुम्हारे सपने मुरझाकर बैठने लगेंगे , शरीर कमजोर पड़ने लगेगा , तुम्हारी आज़ादी खतम हो जायेगी ।
तुमसे जो मिलने आता है । तुम उससे मिलने नहीं जा सकते , इस लिए वो भी मिलने आना छोड़ देगा ।
क्यों कि वो अपने कल्पनाओं में संजोए सपनों को साकार करने के लिए दिन रात भाग रहा है । उसके पास भी फुर्सत नहीं है , लेकिन वो आज़ के दौर में इस लिए तुमसे मिलने आता है , कि शायद तुम उसके सहयोगी बन कर उसके साथ चल सको ।
बैठने का भी बिज़नस होता है , लेकिन इसका समय , इसकी अवस्था अलग होती है । जैसे -
1- जब कई बिमारियां घेर लेतीं हैं । 
2- जब उमर ढलने लगती हैं ।
3- जब बहुत ज्यादा दौलत हो जाती है । 
4- जब कोई टैंशन नहीं रह जाती । 
5- जब सिर्फ टाईम पास करना रह जाता है । 
तब स्थाई रूप से कोई बिज़नस कर के बैठ जाते हैं लोग । 
ये रिटायर्ड लाईफ वाले लोग होते हैं ।
बैठने के बिजनेस से भी लोग कामयाब और अमीर होते हैं ।
सबसे पहले यह देखना होगा कि आप बैठने का जो बिज़नस प्लान कर रहे हैं , उसकी संभावनाएं कितनी और कहां तक हैं । आप अपने बिजनेस से सिर्फ जी , खा सकते हैं , या आर्थिक आज़ादी भी पा सकते हैं । समय बर्बाद होगा या समय और पैसे का सही सदुपयोग होगा ।
बहुत सारे लोगों ने बैठने का बिज़नस किया है । आज वे ज़रुरत से ज्यादा कामयाब भी हैं । आप को इस रहस्य को बारीकी से समझना होगा कि उस बिज़नस का राज़ क्या है ? और उस बिज़नस को करने वाले की क्वालिटी क्या है ? क्या आप के अंदर भी वे चीजें हैं ?
अंधेरे में तीर चलाने की जरूरत नहीं है । सब कर रहे हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकता ऐसा सोचने की भी जरूरत नहीं है ।
किसका नसीब किस बहाने रंग लाता है , यह एक गहरा रहस्य होता है । करना आप को है पाना आप को है इस लिए वही करें जो आप से हो सकता है , जिससे आप वो सब पा सकते हैं , जो आप पाना चाहते हैं । वर्ना अपनी ललाश जारी रक्खें तब-तक , जब-तक आप पुरी तरह से संतुष्ट न हों जाएं । एक पुरानी कहावत है कि -
कूआं प्यासे के पास नहीं जाता ।
प्यासे को कूंए के पास जाना पड़ता है ।
उठो , निकलो , चलो अपने शौक अपने अरमानों को तलाशो कोई न कोई माध्यम तो ज़रूर मिलेगा ।
अपने आप को किसी बंदिशों में मत बांधो ।
तुम क्या सोचते हो कि तुम्हारा घर , तुम्हारा परिवार , तुम खुद चलाते हो तो ये तुम्हारी सबसे बड़ी भूल है । हर इंसान को केयर करने वाला कोई और है । तुमको सिर्फ उसने एक माध्यम बनाया है । जब तुम इस दुनियां से चले जाओगे तो क्या तुम्हारे पीछे जो लोग हैं वे जिएंगे नहीं ?
या तुम उन्हें भी अपने साथ लेकर जाओगे ?
हम सभी जानते हैं कि जो इस दुनियां में आया है , वो अपना कर्म और अपना नसीब लेकर आया है । हम किसी के अन्दर कोई परिवर्तन , कोई बदलाव नहीं कर सकते ।
फिर तुम परेशान क्यूं हो ?
जानते हो क्यूं ? 
क्यूं की इस दुनियां की मायावी जाल ने तुम्हें अपने अन्दर , अपनी पुरी ताक़त से लपेट लिया है । तुम्हें अंधा भी कर दिया है । तुम्हें बहरा भी कर दिया है ।
अब तुम कुछ कर भी नहीं सकते । अब तुम अपनी जिंदगी से समझौता कर चुके हो । कल्पनाओं की एक हसींन दुनियां है जो तुम्हारी अपनी नीजी संपत्ति है । इसी हसींन खयालों में डूबे मस्त पड़े रहना है और बिना कुछ किए सब कुछ हासिल हो जाने का इंतजार करना है ।

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

बिना माध्यम के कुछ भी नहीं है

जन्म भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
मृत्यु भी किसी के माध्यम से ही होती है ।
नसीब भी किसी के माध्यम से ही बदलता है ।
अपमान भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
सम्मान भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
दुःख और कष्ट भी किसी के माध्यम से ही होता है ।
खुशियां और आनन्द भी किसी के माध्यम से ही मिलती हैं ।
शोहरत और दौलत भी किसी के माध्यम से ही मिलती हैं ।
कामयाबी भी किसी के माध्यम से ही मिलती है ।
नाकामयाबी भी किसी के माध्यम से ही मिलती है ।
होंठों पर मुस्कान और आंखों में आंसू भी किसी के माध्यम से ही आते हैं ।
इंसान के सपने भी किसी के माध्यम से ही पुरे होते हैं ।
इंसान अपनी मंजिल भी किसी के माध्यम से ही पाता है ।
जिंदगी के हर पल में । जिंदगी के हर मोड़ पर । जिंदगी के हर काम में एक माध्यम ही होता है ।
मानता हूं कि सब अल्लाह , ईश्वर के मर्जी से ही होता है ।लेकिन वो स्वयं कभी सामने आकर कुछ नहीं करता , क्यों कि आप मानव हैं । इस लिए मानव का माध्यम मानव को ही बनाता है । बिना माध्यम के कुछ भी नहीं है , न कुछ होता है और न तो कुछ होगा ।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

सफलता , कामयाबी कैसे मिलती है ?

सफलता , कामयाबी कैसे मिलती है ? लोग कामयाब नही होते उनके सपने उनको कामयाब बनाते हैं । सपनों को कामयाब करने के लिए उसमें इतना डूब जाओ कि उस सपने में जान पैदा हो जाय ।
जिस दिन आप के सपनों में जान पैदा हो जाएगी , उस दिन आप अपने सपनों के सहारे कामयाब हो जाएंगे ।
सपना तो आप की मंजिल है और आप उस मंजिल के माध्यम । जितना मजबूत सपना होगा उतनी ही मजबूती से आप को अपने सपने का मजबूत माध्यम बनना होगा , वर्ना आप तो रह सकते हैं , लेकिन हो सकता है कि आप के सपने सिर्फ आप की कल्पना बन के रह जाएं ।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

पाप की दुनियां बहुत ही आकर्षक और रंगीन होती है

एक पाप से एक हज़ार पुन्य के रास्ते बंद होते हैं ।
एक पुन्य से एक हज़ार पाप के रास्ते बंद होते हैं ।
पाप और पुण्य का फर्क दिमाग कम दिल ज्यादा करता है ।
अब यह फैसला आप के ऊपर निर्भर करता है कि आप कौन सा रास्ता खोलना चाहते हैं और कौन सा रास्ता बंद करना चाहते हैं ।
पाप की दुनियां बहुत ही आकर्षक और रंगीन होती है ।
इससे बाहर निकलना संभव 1% होता है । असंभव 100% होता है ।
इसमें चाहतों के अनुसार आनंद है । इसमें से बाहर निकलना कोई जल्दी नहीं चाहता और न तो ये रंगीन दुनियां बाहर निकलने देती है ।
पुण्य की दुनियां ब्लैक एण्ड व्हाईट होती है । इसमें आनंद और रंगीनियां नाममात्र के लिए होती है । इसमें कष्ट , दुःख ज्यादा होता है । अक्सर लोग घबरा जाते हैं , फिर भी जो लोग पाप और पुण्य के फर्क को समझते हैं वे हर परिस्थितियों को झेलते हुए भी पुण्य के रास्ते को कभी , न छोड़ते हैं और न छोड़ पाते हैं ।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

धर्म का नाम आते ही लोग शांत क्यों हो जाते हैं ?

धर्म का नाम आते ही लोग शांत क्यों हो जाते हैं ?
या फिर बहुत ज्यादा बोलने लगते हैं ।
क्या धर्म लोगों को आकर्षित करता है ? या 
लोग धर्मों से आकर्षित होते हैं ?
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर आस्था और विश्वास का यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है ।
इसी आस्था का , इसी विश्वास का , लाभ लेने के लिए कुछ ना समझ लोग , कुछ लोगों को उन्मादी बना देते हैं ।
उन्माद फैलाने वाले लोगों को धर्मों की कोई जानकारी नहीं है । इन्हें जो बता दिया जाता है । इन्हें जो समझा दिया जाता है , उसे मान लेते हैं , क्यों कि ये लोग परंपरागत तौर से आस्था वादी है । ये पुर्ण विश्वास कर लेने वाले होते हैं ।
इनमें कुछ पढे लिखे लोग भी हैं , और कुछ अनपढ़ भी हैं ।इन दोनों को धार्मिक जानकारी पढ़ कर लेने की जरूरत नहीं महसूस होती सिर्फ लोगों के द्वारा सुन कर मान लेते हैं , और विश्वास कर लेते हैं ।
इसे कहते हैं धर्म से आकर्षित होना और आकर्षित हो कर बधे रहना । शांत वही लोग होते हैं , जो लोग कुछ जानते हैं । या पूरी जानकारी रखते हैं ।
जो बहुत ज्यादा बोलने लगते हैं , वो ज्यादा लोगों से उन्मादी बातों को धर्म के नाम पर सुन- सुन कर अपने आप को ज्यादा जानकार समझ बैठे हैं ।
ऐसे लोगों को जब कोई ज्ञ्यानी मिल जात है , तो इन्हें पता ही नहीं चलता कि ये कौंन हैं ? उनकी सुनने के बजाय अपनी सुनाने लग जाते हैं , जैसे खुद ही महा ज्ञ्यानी हो चुके हैं ।
अंत में ऐसे लोगों से ज्ञ्यानी जी हाथ जोड़ कर छमा मांग लेते हैं , और बहुत ही साधारण शब्दों में यह कह कर उठ जाते हैं कि श्रीमन मैं ही ग़लत हूं , मैं अपनी हार मानता हूं , और आप की जीत हुई क्यों कि आप ज्ञ्यानी नहीं बल्कि महा ज्ञ्यानी हैं ।
कभी फुर्सत के वक़्त मिले , तो आप से ज्ञ्यान प्राप्त करने के लिए आप से अवश्य मिलेंगे । इतनी सी बातों में ही सुनी सुनाई ज्ञ्यान वाले अपनी खुशी में गदगद हो जाते हैं ।
मुझे लगता है , कि ऐसे धार्मिक लोगों की संख्या ज्यादा है ।
यही वजह है , कि ऐसे लोगों को उन्मादी बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता । जो समझा देंगे जो सुना देंगे उसमें वे पूरी आस्था के साथ धर्म के नाम पर विश्वास कर के चल पड़ते हैं । जरूरत है लोगों को सही दिशा देने की जिससे सभी को गुडफील हो सके । आज कोई धर्म ख़तरे में नहीं है
न था और न रहेगा । ख़तरे में सिर्फ लोग हैं और हो सकता है कि तब-तक रहें जब-तक सभी धर्मों के लोगों को आदर और सम्मान पुर्वक समझने की कोशिश नहीं करेंगे ।
एक दूसरे को समझने से ही पता चलेगा कि कौंन सा धर्म किस धर्म के लोगों के लिए उन्माद का पाठ पढ़ा रहा है ।
इस अखन्ड भारत को ही मैं पूरे विश्व के रूप में देखता हूं
जहां सभी धर्मों के लोग बसते हैं । आस्था वादी भी हैं और नास्तिक भी हैं । विभिन्न प्रकार के त्योहार , विभिन्न प्रकार के परिधान , विभिन्न प्रकार के खान पान और विश्व के सारे मौसम । अखंड भारत का नागरिक विश्व के किसी भी कोने में किसी भी मौसम में अपने आप को जीवित रख सकता है। लोगों को चाहिए कि विश्व में जाकर अपने कल्चर और धर्म को फैलाएं , न कि एक ही तालाब में रहते हुए उस तालाब को अपने अधीन समझ कर अपना साम्राज्य समझ बैठें क्यों कि एक तालाब में बहुत सारे जीव जंतु होते हैं ।
ख़तरा सभी को एक दूसरे से बना रहता है चाहे छोटा जीव हो या बड़ा ।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

समस्या कहीं से बन कर नहीं आती है

समस्या कहीं से बन कर नहीं आती है ।
अपने ही बीच से समस्याएं पैदा होतीं हैं , और अपने ही बीच समस्याएं खत्म भी होतीं हैं ।
कुछ लोग हैं जो समस्याएं पैदा करना जानते हैं , मगर अपने ही पैदा किए हुए समस्याओं को हल करना नहीं जानते ।
कुछ लोग हैं जो समस्या पैदा करना नहीं जानते , लेकिन समस्याओं को हल करना बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ।
सर्वगुणसंपन्न कोई नहीं होता , कुछ न कुछ कमियां सभी के अन्दर होती हैं ।
सीख हमें हर क़दम पर हर इंसान से मिलती है । 
किसी की  निन्यानबे अच्छाईयों को छोड़ कर एक कमी को पकड़ कर देखेंगे तो वो निन्यानबे अच्छाईयां नज़र नहीं आएंगी , और यदि निन्यानबे अच्छाईयां पकड़ कर देखेंगे तो वो एक कमी धुमिल पडजाएंगी जो नज़र नहीं आएंगी ।
अब आप के ऊपर निर्भर करता है , कि आप सीखना क्या चाहते हैं ? अच्छाईयों को या बुराईयों को ।
अच्छाई भी साथ होती है और बुराई भी साथ होती है ।
जब जिस चीज़ का परसेंटेज ज्यादा हो जाता है , तब उसका परिणाम भी वैसा ही सामने आने लगता है ।
अच्छाईयों के परसेंटेज को बढ़ाना ही बुद्धिमानी और सफलता है । हर तरह के लोग हैं यहां । कुछ तो राह चलते अच्छाईयां दे जाते हैं , और कुछ लोग तो बुराईयां राह चलते दे जाते हैं । 
जैसा फूल होता है , वो वैसी ही खुश्बू बिना मांगे ही फैलाता है  । जैसे लोग होते हैं , वे वैसे ही विचार बिना किसी के कहे ही फैलाते हैं ।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

मरने के बाद अन्तिम संस्कार कितने प्रकार के होते हैं ?

मरने के बाद अन्तिम संस्कार कितने प्रकार के होते हैं ?
इस दुनियां में मरने के बाद अन्तिम संस्कार तरह तरह से होते रहे हैं ।
कुछ पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार , कुछ विचारों के अनुसार , कुछ हालात और वहां के परिवेश के अनुसार जैसे
1- ममी बना कर गुफाओं में रखना या ताबूत में रख कर ज़मीन में दफना देना ।
2- जल में प्रवाहित कर देना । आदि इत्यादि ।
दुनियां में मरने के बाद अन्तिम संस्कार मुख्यतः चार प्रकार से ही किये जाते हैं ।
1- मृत्यु शरीर को ज़मीन के अन्दर दफ़ना कर ।
2- मृत्यु शरीर को जला कर ।
3- अपने लोगों को बुला कर , मृत्यु शरीर को पका कर खा कर खतम कर देना ।
4- पशु पक्षियों को खिला कर । मृत्यु शरीर को ऐसी जगह रख दिया जाता है कि जिसे जानवर और पंक्षी खा कर खतम कर देते हैं ।


रविवार, 7 फ़रवरी 2021

प्रेस रिपोर्टर / सोशल मीडिया रिपोर्टर

प्रेस रिपोर्टर दैनिक अखबार के भी हैं । साप्ताहिक अखबार के भी हैं । महीने में एक बार निकलने वाले अखबार के भी हैं । इनको प्रेस से मिलता क्या है ?
मुझे लगता है यह बताने की जरूरत नहीं है । इनके संघर्ष को भी आप लोग देखते और जानते हैं ।
कभी कभी जान भी चली जाती है । कैमरे तोड़ दिये जाते हैं । मार भी खानी पड़ जाती है । यह काम पुरी इमानदारी से किया जाय तो बहुत जोखिम भरा भी है और जोखिम उठाना भी पड़ता है ।
जीवन में बहुत ज्यादा संघर्ष करने के बाद अगर सुरक्षित रहे और अगर मान्यता प्राप्त हो गई तो कुछ सुविधाएं मिल जाती हैं वर्ना कमाने के लिए तो किसी का होना ही पड़ता है । और आज रिपोर्टरस की क्या छवि है ? किस नजरिए से देखे जाते हैं , यह सभी को पता है ।
खैर एक रिपोर्टर और है जिसे सोशल मीडिया पर लोग देखते हैं ।
इन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती है । इनका कैमरा भी नहीं टूटता , मार भी नहीं पड़ती , न तो जोखिम ही उठाना पड़ता है । अपने बेडरूम में ही पड़े पड़े नेट से सारीे रिपोर्ट निकाल लेते हैं और अपने यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कर देते हैं ।
ऐसा लगता है , कि इनसे ज्यादा मेहनत कोई करता ही नहीं , इनसे ज्यादा जोखिम कोई उठाता ही नहीं ।
अपने न्यूज़ को क्लिक और बूम कराने के लिए बे वजह के अनाप-शनाप टाईटल भी डाल देते हैं ।
ऐसे में इनके चैनल के न्यूज़ क्लिक भी होते हैं और बूम भी कर जाते हैं , जिससे अच्छी कमाई भी होना शुरू हो जाती है । ये लोग फिल्ड वर्कर नहीं हैं और न तो फिल्ड का कोई अनुभव होता है ये लोग सिर्फ कांपी पेस्टर हैं ।
न्यूज़ को कांपी कर के पेस्ट कर देना और ज्यादा कुछ करेंगे तो आवाज़ भी डाल देंगे , ऐसे लोग भ्रमित भी करते हैं ।
भारत में बढ़ते एंड्रॉयड , स्मार्टफोन एक अलग ट्रैंड पकड़ता जा रहा है । हर वर्ग हर आयु के लोगों की आवश्यकता बनती जा रही है , जिसमें कुछ न कुछ तो लोगों को देखना ही है । इसी में क्रियेटर्स भी हैं और वीवर्स भी ।
अखबार के रिपोर्टर की छवि जैसे दिन ब दिन गिरती जा रही है उसी तरह सोशल मीडिया के रिपोर्टर की भी चालाकियां लोगों की समझ में आती जा रहीं हैं । ऐसा नहीं है कि बाग के बाग ही कोपलासी हो गये हों , कुछ पत्रकार आज़ भी हैं जो अपने वसूलों से समझौता नहीं करते , वैसे ही कुछ सोशल मीडिया पर न्युज चैनल भी हैं , जो बंद भले हों जाय मगर कांपी पेस्ट नहीं कर सकते और न तो फेंक हेडिंग डालते हैं ।

शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

आविष्कार पुरा हो जाने के बाद

क्या करुं मैं भी तो उसी को ढूंढ रहा हूं , जिसे आप भी ढूंढ रहे हैं । अचरज भरी और आस्चर्यजनक चीज़ों को , जिसे पढ़ने , सुनने और देखने के बाद सोचने पर मजबूर कर दे ।
अनसुनी , अनकही और अनदेखी चीजों की तलाश में तो आज भी मैं हूं । आप सोचते होंगे कि यह संभव नहीं है । मुझे पुर्ण विश्वास है , कि यह असंभव भी नहीं है । संभावनाएं तो वहां तक हैं , जहां तक आप सोंच सकते हैं । असंभव तो बस वही है , जिसे आप कभी सोंच नहीं सकते ।
जितने भी आविष्कार हैं , वो सब किसी की सोंच ही तो हैं ।
भले ही सुरुआत में लोगों को पागलपन लगा हो । आविष्कार पुरा हो जाने के बाद उपयोगकर्ता तो आज सभी लोग हैं ।
कोई अगर कुछ सोचता है और उसपर काम करता है , तो उसे व्यर्थ का पागलपन न समझें , अगर आप से उसके हक़ में कोई सहयोग नहीं हो सकता है , तो उसे निराश भी न करें  कोई ऐसी बात न कहें जिससे वो निराश हो या आप खुद उसकी नज़रों में बेवकूफ नज़र आने लगें ।
उसका पागलपन उसके लक्ष्य तक एक दिन जरूर ले जाएगा । इतना जरूर कहूंगा कि किसी पर ग़लत कमेंट करने से बेहतर है कि उसको प्रोत्साहन दें ताकि उसके जेहन में आप की अच्छी तस्वीर बनी रहे ।